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Essay on APJ Abdul Kalam in Hindi

भारत एक बहुत बड़ा देश है जिसके अंदर लाखों-करोड़ों जनता निवास करती है जिसके लिए एक मार्गदर्शक उन्हें सही राह दिखाने के लिए चाहिए। ऐसे तो आजकल हर कोई एक दूसरे को अपने से नीचे समझ कर उसका मजाक (Essay on APJ Abdul Kalam in Hindi) उड़ाते हैं और पीछे छोड़ने की नाकाम कोशिश करते हैं परंतु अगर ऐसे में कोई ऐसा मिल जाए जो हाथ पकड़ के चलना सिखाए तो भारत में चार चांद लग जाएंगे। भारत में न जाने ऐसे ही कितने वीरों को और कितने देश के बेटों को पैदा किया है जिन्होंने अपनी और उठने वाली उंगलियों को पकड़कर आगे के रास्ते पर किए हैं।

वैसे आजकल हर कोई किसी न किसी काम के लिए एक-दूसरे का सहारा लेता है, लेकिन काम हो जाने के बाद उसे किसी और काम के लिए धन्यवाद नहीं देते। कुछ ऐसे ही गलत कर्मों और गलत लोगों को सही राह पर लाने के लिए कुछ ऐसे लोग आते हैं जो अपने मन में मानवता और राष्ट्र प्रेम रखते हैं। ऐसे तो राष्ट्र को चलाने के लिए एक ऐसे व्यक्ति की जरूरत पड़ती है जिसके अंदर भाईचारे का भावना हो और राष्ट्रहित के लिए चेतना हो। ऐसे ही एक भारत के बेटे थे एपीजे अब्दुल कलाम। इनके द्वारा दी गई सीख और सूज भुज भारत को तत्पर आगे बढ़ाता रहा है और आज उनका नाम बहुत ही आदर के साथ लिया जाता है। इनके चारित्रिक और वैभवशाली जीवन का वर्णन वैसे तो कम शब्दों में नहीं किया जा सकता। परंतु कुछ ऐसे भी इनके विचार और कार्य हैं जिन्हें हम कम शब्दों में भी बहुत अच्छी तरीके से वर्णन कर सकते हैं।

भारत के अनमोल रत्नों में से एक डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 में तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था। इनका पूरा नाम डॉक्टर अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम है पेशे से और जन्म से मुस्लिम सिद्धांत (Essay on APJ Abdul Kalam in Hindi) होने के कारण इनका नाम उनके ग्रंथों और खुदा के बंदों के नाम पर रखा गया है। उनके पिता का नाम जैनुलाब्दीन था जो कि एक नाविक थे। और उनकी माता का नाम असी अम्मा था जो कि पेशे से एक गृहणी थी। अपनी छोटी उम्र से ही उन्हें बहुत सारा काम करना पड़ा था वह अपनी पिता की आर्थिक मदद करने के लिए स्कूल के बाद समाचार पत्र बेचे जाया करते थे। बचपन में वैसे तो उनके अंदर पढ़ाई को लेकर के कोई ज्यादा चाह नहीं थी परंतु उन्हें नई चीजों को बनाना और नई चीजों को सीखने के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। विद्यालय के समय में वैसे तो वे अपनी पुस्तकों और पढ़ाई पर घंटों ध्यान देते थे परंतु तभी भी उनका दिमाग पढ़ाई की और ना जाकर की कुछ नया सीखने की ओर जा रहा था।

उनके अंदर बचपन से ही कुछ नया सीखने की भूख थी उन्होंने अपनी स्कूल की पढ़ाई रामनाथपुरम सच्वतरज मैट्रिकुलेशन स्कूल से पूरी की और उसके बाद वह तिरुचिरापल्ली में सेंट जोसेफ कॉलेज में पढ़ने के लिए चले गए। बचपन से ही उनका मस्तिष्क भौतिक विज्ञान और गणित के सवालों में ज्यादा लगता था उनको बनाने में उन्हें एक ऐसा उज्जवला प्रतीत होता था जैसे कि वे कुछ नया अविष्कार कर रहे हैं। वैज्ञानिकों वाली मस्तिष्क के साथ वे धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगे और पढ़ाई में उनका ध्यान लगने लगा।

कलाम की शिक्षा और महाविद्यालय का जीवन :-

डॉ कलाम (Essay on APJ Abdul Kalam in Hindi) वैसे तो एक सीधा साधा जीवन व्यतीत करते थे परंतु उन्हें हर किसी के साथ मिल जुलकर और भाईचारे का रिश्ता निभाते हुए कई बार देखा गया है। महाविद्यालय में दाखिले के बाद उन्होंने कई सारे ऐसे कार्य किए जिसके द्वारा उन्हें पुरस्कृत और जानी मानी हस्ती बनाया गया। उन्होंने सेट जोसेफ कॉलेज से अपनी ग्रेजुएशन को पास किया और इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए मद्रास इंस्टिट्यूशन ऑफ टेक्नोलॉजी में अपना दाखिला कराया। पढ़ते के साथ ही उन्हें नासा से भी कार्य करने की अवधी प्राप्त हुई। उन्होंने 4 महीने के लिए नासा में कार्य करने का निर्णय लिया परंतु फिर उन्होंने 1958 में डीआरडीओ को ज्वाइन कर लिया जिसके बाद फिर उन्होंने उसे छोड़कर इसरो में अपना नसीब को मौका दिया।

गति अवरोधक में बढ़ते हुए एपीजे अब्दुल कलाम इतने आगे बढ़ चुके थे कि उन्होंने अपनी पिछली जिंदगी को याद करना छोड़ दिया। धीरे-धीरे वह पूरी तरीके से अपने अंदर बदलाव लाना चालू कर दिया था। उन्होंने बस यही याद रखा है कि इस दुनिया में हर कोई एक दूसरे के लिए हिना की भावना रखता है और केवल अपने लिए जीता है। पढ़ाई के दौरान उन्हें इन सब बातों के कई सारे संकेत और उदाहरण मिले। महाविद्यालय में भी पढ़ते समय उन्होंने कई सारे ऐसे लोगों से मिला करते थे जो हिंदू मुस्लिम और आदि धर्मों पर चर्चा करते रहते थे। इन सब के बाद उन्होंने भारत में एक बदलाव की शुरुआत की।

कलाम का पेशा और कार्यशैली:-

भारत के एक सर्व ज्ञाता व्यक्ति कहलाने वाले एपीजे अब्दुल कलाम ने अपना सबसे पहले अपनी रुचि रॉकेट और मिसाइल से दिखाई। यह उनके कार्य शैली का कोई चित्र नहीं था यह वह केवल इसरो में एक प्रोजेक्ट डायरेक्टर के तौर पर काम किया करते थे। उनके द्वारा लांच किया गया इसरो से एक सेटेलाइट जिसका नाम रोहिणी सेटेलाइट था जो कि सन 1980 में भारत के बिल्कुल करीब में सबसे पहले ही छोड़ा गया। उन्होंने एस एल वी तीसरे को लॉन्च करने के लिए 10 साल का समय लिया जिसके बाद भी उन्हें अपनी पहली हार और निराशा का सामना करना पड़ा। परंतु उन्होंने हार नहीं मानी अपनी भावनाओं को अपने काबू में किया और मरो को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि अगर इस बार नहीं तो अगली बार हो जाएगा।

उसके बाद 1982 में डॉक्टर कलाम ने विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर छोड़ दिया और हैदराबाद में स्थित रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर को डायरेक्टर के वादे पर ज्वाइन कर लिया। उसके बाद उन्होंने भारत को एक से बड़े एक मिसाइलों को लांच करने का सहयोग और सुख प्राप्त कराया। साथ ही साथ वे अपने पेशे के अनुसार लोगों को यह भी सिखाते चले गए की एकता में ही बल है। अपने मन को प्रोत्साहित करने की सलाह और सीख देते चले गए।

कलाम का सपना और राष्ट्रपति पद और मृत्यु :-

भारत को हिंदुत्व समझाने की आशा और आंखों में सपना लिए वह बढ़ते चले गए धीरे-धीरे उन्होंने लाखों करोड़ों लोगों के दिल पर अपना राज कर लिया। लोगों के लिए हुए एक ऐसे व्यक्ति और अभिभावक बन गए थे जो उन्हें सही मार्गदर्शन दे रहे थे। एक-एक करके लोग उनके राज्य कार्यभार के कार्य में जुट गए। देखते ही देखते असंग सेना खड़ी हो गई और लोग उनके जयकारे लगाने लगे। धीरे-धीरे अब्दुल कलाम ने हर किसी के दिल को जीत लिया बूढ़ा, बच्चा, जवान, औरत आदमी हर कोई अब्दुल कलाम को अपनी मार्गदर्शन के रूप में देखने लगा। अब्दुल कलाम एक शांतिप्रिया आदमी थे जिन्होंने तमिल भाषा में बहुत सारे पोयम्स लिखे थे उन्हें बिना बजाना बहुत ज्यादा पसंद था और वह एक बैचलर की जिंदगी व्यतीत करते थे। 1997 में उन्हें भारत रत्न द्वारा पुरस्कृत किया गया और फिर उन्हें रिपब्लिक भारत का राष्ट्रपति बना लिया गया।

हथियारों के लिए जहां एक तरफ हो न्यूक्लियर पावर और मिसाइलों को बनाते उसी जगह दूसरी तरफ से लोगों को शांतिप्रिय रहने का सीखनी सिखाते। दो दो हस्तियों के साथ चलते हुए अब्दुल कलाम लोगों के दिल पर राज करने लगे।

भारत को सोन चिरैया का खिताब दिलाने के बाद भारत रत्न जिन्हें मिसाइल मैन कहा जाता था उन्होंने 2015 में अपनी आखिरी सांसे ली और 26 अगस्त को उन्होंने आंखें बंद कर ली। इस दिन सारा भारत उनकी प्रशंसा में जुट गया था और आंसू बहा रहा था अपने एक सपूत को खोने पर।

निष्कर्ष:-

वैसे तो भारत में ऐसे कई सारे राष्ट्रपति आए और गए जिन्होंने भारत के हित में कार्य किया परंतु अब्दुल कलाम (Essay on APJ Abdul Kalam in Hindi) के जाने के बाद हर किसी को उनकी कमी महसूस होने लगी। उन्होंने जो निष्ठा प्रेम और निस्वार्थ सेवा अपने देश कि ऐसी तो कोई नहीं कर सकता और बड़ी-बड़ी बातें हर कोई करते हैं। उनके द्वारा दिखाया गया मार्ग आज भी चल रहा है और हर कोई उससे आगे बढ़ रहा है। हर किसी के मन में उनके प्रति जो उत्साह और प्रेम हैं वह कभी भी खत्म नहीं होगा और हर कोई उनके लिए हमेशा अच्छी कामनाएं करेगा। उनके दिए गए उपदेशों को हमेशा निभाता रहेगा और भाईचारे का रिश्ता बनाता रहेगा।