Home निबंध Essay on Article 370 in Hindi

Essay on Article 370 in Hindi

हमारे देश में जनता के हित के लिए कई सारे योजनाएं राष्ट्र सरकार व केंद्र द्वारा निकाले गए है। कई सारे संविधान को भारत में लागू करवाया गया है । जब 15 अगस्त 1947 को हमारा देश आजाद हुआ था उस समय कोई भी कानून या संविधान नहीं था ऐसे में देश का संतुलन बनाए रखना मुश्किल सा होगया था। सामाजिक तौर पे देश के विकाश व प्रगति के लिए संविधान का आना जरूरी था क्युकी राष्ट्र की शासन व्यवस्था को ढंग से चलने के लिए , न्यायपालिका की नीति व कर्ताव्यो के अधिकारों और देश व्यवस्था (Essay on Article 370 in Hindi) के संचालन के लिए राष्ट्र में संविधान लागू करना जरूरी था। १९५० में जब भारत में संविधान लागू हुआ उसी के साथ ,जम्मू और कश्मीर में धारा 370 को बहुत बड़ा दर्जा व स्थान दिया गया। भारत में पूरे देश के लिए जब संविधान बनाया गया तभी ये जरूरी समझते हुए जम्मू और कश्मीर के लिए एक अलग संविधान बनाया गया। यह संविधान के अंतर्गत राज्य के केंद्र को क्षेत्र की पूरा निर्णय लेने का अधिकार मिला।

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इसे आर्टिकल 370 क्यों कहा जाता है??

हर एक महान् देशों का एक अलग संविधान लिखित रूप में  बनाया गया। चुकी इतिहास के संविधान में भविष्य में कोई हस्त्षेप ना करे । इस लिखित संविधान में कुल 299 सदस्यों के हस्ताक्षर किए गए तब जाकर इस संविधान को सुचारू रूप से राष्ट्र में लागू किया गया । 1950 में जब ये सब काम चल रहा था उस वक़्त इसमें कुल 395 आर्टिकल्स , एक प्रस्तावना और 8 शड्यूल थे। इस संविधान के एक आर्टिकल 306 A को जम्मू कश्मीर के संविधान सभा में कुछ बदलाव करके आर्टिकल 370 (Essay on Article 370 in Hindi) बना कर उसे स्वीकार किया गया और यह आर्टिकल भारतीय संविधान का हिस्सा बनने में सफल रहा। इसलिए जम्मु कश्मीर के रक्षा को देखते हुए विदेश मामले के प्रावधान के अनुसार ये संविधान को आर्टिकल 370 या धारा 370 कहा जाने लगा ।

धारा 370 क्या है??

धारा 370 संविधान के अनुसार जम्मू कश्मीर के संसद को इस राज्य के हित में तथा विदेश मामलों को देखते हुए कोई भी कानून बनाने का अधिकार है। परंतु अगर उन्हें किसी दूसरे विषय पर कानून बनाने की जरूरत पड़ती है तो केंद्र सरकार को राज्य सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है। हम सभी को पता है भारत देश में कश्मीर का एक अलग ही स्थान है। इस संविधान (Essay on Article 370 in Hindi) के अनुसार केवल जम्मू कश्मीर के नागरिक ही इस राज्य में कोई भी संपत्ति खरीद सकते थे परंतु कोई बाहरी राज्य का व्यक्ति इस राज्य में कोई भी संपत्ति नहीं खरीद सकते थे। यह सब प्रस्ताव को देखते हुए भारत का संविधान बनाने वाले डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी ने  यह संविधान बनाने से इंकार कर दिया था फिर इसके बाद क्या प्रस्ताव को शेख अब्दुल्ला नेहरू के पास ले जाया गया उन्होंने इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए जम्मू कश्मीर के लिए एक अलग कानून वह संविधान बनाया । जम्मू कश्मीर की नागरिकता को देखते हुए कहा जाता था कि यह संविधान लोगों के हित में की गई थी।

जम्मू कश्मीर को इसके मुताबिक बहुत से अधिकार दिए गए, क्षेत्र की रक्षा ,विदेश मामले और राज्य की संचार के लिए केंद्र सरकार खुद ही अपना कानून बना सकते हैं। प्राचीन काल में कश्यप ऋषि के नाम से इस राज्य का नाम  कशमीर रखा गया उस वक्त यहां सिर्फ हिंदू निवास करते थे। परंतु जब यहां अकबर का शासन हुआ तब मुगल के होते यह मुस्लिमों की जनसंख्या उत्पन्न होने लगी। मुस्लिम हो या हिंदू हर व्यक्ति  यह कानून 370 को महत्व देते  हैं।

धारा 370 का अधिकार :-

धारा 370 लागू करने के साथ-साथ जम्मू कश्मीर की केंद्र सरकार को कई से अधिकार प्राप्त हुए-

  • इस संविधान के अनुसार जम्मू कश्मीर के सांसद को जम्मू कश्मीर के रक्षा, विदेश मामले और राज्य की संचार एवं विकास के लिए कानून बनाने पर निर्णय लेने का पूरा हक है।
  • यह संविधान के साथ अनेक धाराएं जैसे धारा 356 जम्मू कश्मीर में लागू नहीं हो सकती ।
  • अगर जम्मू कश्मीर की केंद्र इस राज्य में कोई कानून बनाती है तो राष्ट्रपति को इस कानून को खारिज करने का कोई भी दर्जा नहीं दीया जाता।
  • इस कानून से भारतीय नागरिक भारत में कहीं भी जमीन खरीद सकते हैं परंतु जम्मू कश्मीर में उनको कोई भी संपत्ति खरीदने का अधिकार नहीं है।
  • धारा 370 के अनुसार पूरे भारत में जम्मू कश्मीर को एक अलग दर्जा दिया गया है इसके तहत धारा 360 देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का कानून जम्मू कश्मीर पर लागू नहीं होता ।

धारा 370 लगाने पर ऐसे ही कई से अधिकार जम्मू कश्मीर के केंद्र को मिला। यह सब जम्मू-कश्मीर की हित को सोचते हुए ही किया गया था। जहां पूरे भारत का संविधान अलग बनाया गया था परंतु जम्मू कश्मीर के लिए एक विशेष संविधान का आयोजन किया गया था।

धारा 370 को कब और क्यों हटाया गया ??

5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने का प्रस्ताव राज्यसभा में रखा गया। इसके तहत जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाई गई तथा 31 इस राज्य को दो शासित केंद्र में विभाजित किया गया। राज्य के विभाजन के बाद हमें एक केंद्र को जम्मू-कश्मीर कहते हैं और एक केंद्र को लद्दाख कहते हैं। धारा 370 (Essay on Article 370 in Hindi) हटाने के बाद इस दोनों केंद्र में अलग-अलग शासित कानून बनाए गए जैसे जम्मू कश्मीर केंद्र की क्षेत्र में अपनी एक विधायिका होगी परंतु लद्दाख की शासित कोई विधायिका नहीं होंगे। धारा 370 लगाने से इतना बड़ा भारत छोटे-छोटे टुकड़े में बटा हुआ दिख रहा था। जम्मू कश्मीर को एक अलग सा दर्जा दे दिया गया था मानो वह भारत का हिस्सा नहीं है ,पूरे भारत का संविधान अलग और जम्मू कश्मीर का संविधान अलग सा दिखता था।

जम्मू कश्मीर को जिस प्रकार एक अलग विशेष अधिकार मिला था धारा 370 हटाने के बाद उनसे अधिकार छीन लिया गया। यह बहुत ऐतिहासिक कदम था जो राज्य सरकार द्वारा उठाया गया। धारा 370 हटाने के कुछ फायदे भी हैं-

धारा 370 हटाने के फायदे :–

  • वैसे तो धारा 370 हटाने की कई से फायदे हैं परंतु एक विशेष फायदा यह है कि वहां के नागरिकों को तथा दूसरे राज्य के नागरिकों को वहां पर संपत्ति लेने का अधिकार पूरा मिलेगा।
  • जम्मू कश्मीर के नागरिक जो वहां के खेती किसानी करते हैं वह अपना उद्योग बढ़ा सकते हैं। कश्मीरी क्षेत्र में जो फसल उगाई जा सकते हैं वह और किसी क्षेत्र में नहीं हो सकते यह देखते हुए उस क्षेत्र के शासकीय व्यापार बढ़ सकते हैं।
  • धारा 370 के अंतर्गत केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर पर कई सारे कानून व्यवस्था को सौंप देती थी।जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को कोई भी कदम उठाने में केंद्र सरकार का सहारा लेना पड़ता था। जम्मू कश्मीर का व्यापार पवा का उद्योग दोनों ही उसी क्षेत्र पर सिमट के रह जाते थे। धारा 370 हटाने के बाद उनका व्यापार प्रोडक्शन बढ़ रहा है।
  • दूसरे राज्यों के लोग वहां जाकर अपना कोई भी कारोबार शुरू कर सकते हैं और व्यापार में समृद्धि कर सकते हैं।धारा 370 हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को बहुत से अधिकार प्राप्त हुए हैं।
  • इस कानून खारिज करने के बाद जम्मू कश्मीर में लोगों के हित के लिए कई से अस्पताल ,स्कूल व शिक्षा क्षेत्र बनाए गए।

जम्मू कश्मीर इस प्रकार आतंकवाद और टूरिज्म बड़े हुए थे दो केंद्रों के विभाजन के बाद यह सब से राज्य को बहुत ही राहत मिली। भारत के पड़ोसी देश चाइना या पाकिस्तान का प्रभाव जम्मू कश्मीर पर अधिक पड़ता  आ रहा है । सरकार का कहना है कि धारा 370 के नाम पे जम्मू कशमीर के नागरिकों के साथ छल होता आया है। इस राज्य में भ्रष्टाचार बढ़ने का कारण भी केंद्र सरकार के बनाए हुए कानून है जिनपर राष्ट्रपति और उनके सरकार को उंगली उठाने का कोई अधिकार प्राप्त नहीं था। जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के साथ-साथ वहां के किसानों के साथ छल किया जाता था। यह धारा महिलाओं , गरीबी और आदिवासियों के लिए विरोधी भी साबित होता है। इस दौरान लोगतांत्र का प्रदर्शन जम्मू कशमीर में केंद्रों के विभाजन के बाद ही हुआ । धारा 370 का विरोध पहले भी किया जाता था परंतु कुछ राज्य सरकार द्वारा इस धारा को कश्मीर में लागू कर दिया गया मगर आज भी इस धारा के विरोध करने वाले सरकार  धारा 370 को हटाने में सफल हुए।

उपसंहार:-

राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार कोई भी कानून बनाते समय नागरिकों के हित के बारे में सोचना चाहिए। कुछ सरकार भ्रष्टाचार के कारण लोगों के अधिकारों के विरुद्ध होकर बहुत से कदम उठा लेते हैं, ऐसे में जनता सरकार को कुछ भी नहीं बोल पाती और चुप चाप सरकार के भ्रष्टाचार को सहती रहती है। यह सब व्यक्तिगत प्रस्ताव को देखते हुए सरकार को समझ कर कोई भी कदम उठाना चाहिए जो जनता के हित में हो। धारा 370 कश्मीर में लगाने से सिर्फ केंद्र सरकार का फायदा हो रहा था और जम्मू कश्मीर के निवासी उस कानून का पालन करते सिर्फ अपनी जीवनशैली को पूरा करने के लिए करते थे । भारत के निवासियों को उनका हक लेने का पूरा अधिकार है। वर्तमान काल में सरकार जनता के हित के बारे में पूरी तरीके से सोच रही है धारा 370 हटाने के पीछे भी जम्मू कश्मीर का फायदा ही है।