हमारे भारत देश में कई सारे धर्म के लोग रहते हैं और उनके द्वारा कई सारे अलग-अलग प्रकार के त्यौहार मनाए जाते हैं। हर धर्म के लिए उनका त्योहार सर्वप्रथम और सर्वप्रिय होता है वे लोग अपने त्यौहार को सबसे ज्यादा आनंदित तरीके से मनाते हैं। भारत देश में बहुत सारे अलग-अलग धर्म के लोग रहते हैं जिनमें से एक महत्व पूर्ण धर्म है सिख धर्म। सिख धर्म पंजाबियों द्वारा निभाए जाने वाले धर्म को कहा जाता है इसके अंदर कई सारे अलग-अलग प्रकार के सांस्कृतिक और पारंपरिक त्योहार मनाए जाते हैं। सिख द्वारा मनाए जाने वाले सबसे ज्यादा त्योहारों में नाम आता है- लोहरी, नानक जयंती, और बैसाखी (Essay on Baisakhi in Hindi) इन सभी त्योहारों में कुछ यही त्यौहार है जो सिख द्वारा उनके धार्मिक और पारंपरिक तरीके से मनाए जाते हैं। परंतु इनमें से भी द्वारा सबसे ज्यादा आनंद और खुशी से मनाया जाने वाला त्यौहार है बैसाखी का।
बैसाखी क्या है:-
बैसाखी सिख धर्म द्वारा मनाए जाने वाला एक पारंपरिक त्योहार है जो कि 13 या 14 अप्रैल को हर वर्ष मनाया जाता है। केवल सिख धर्म ही नहीं बल्कि पंजाब और भारत देश के कई सारे हिस्सों में बैसाखी पर्व को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। बैसाखी मनाने से सीख लोगों द्वारा अपने नए साल को उत्साहित करना है। पंजाबी और सिखों द्वारा बैसाखी से ही उनकी नई साल शुरू होती है। बैसाखी पर्व का मूल रूप सिखों के लिए है जो कि हिंदू समुदाय द्वारा मनाया जाता है। इसी के द्वारा गुरु गोविंद सिंह के हिंदू खलासा को सम्मानित भी किया जाता है। बैसाखी को सिख और हिंदू दोनों ही समाज द्वारा बहुत धूम धाम से मनाया जाता है परंतु दोनों के लिए बैसाखी (Essay on Baisakhi in Hindi) का अपना अलग-अलग महत्व है। जैसे सीख के लिए यह बैसाखी उनके नववर्ष का प्रतीक है वही हिंदू समाज के लिए बैसाखी अपने अलग महत्व को लेकर चलता है।
बैसाखी की शुरुआत:-
शुरुआत में 13 अप्रैल 1999 को गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। इसी दिन गुरु गोविंद जी ने गुरुओं की वंशावली को खत्म किया था और सिखों के लिए आदेश जारी किया था। उसी समय से इस दिन सीख द्वारा अपने समुदाय को स्थापित करने के जश्न को मनाया जाने लगा और बैसाखी के समय आकाश में विशाखा नक्षत्र शुरू हुआ रहता है। विशाखा नक्षत्र यानी कि पूर्णिमा में होने के कारण इस महीने को बैसाखी कहते हैं। इस माह के समय गर्मी की कालीन शुरू होती है और फसलों की कटाई भी शुरू की जाती है। बैसाखी का पर्व ईश्वर को धन्यवाद करने के लिए भी बनाया जाता है और अगले साल अच्छी फसल होने की कामना भी की जाती है।
बैसाखी का हिंदू समाज में महत्तव:-
यह बात हमेशा कही जाती है कि बैसाखी का पर्व हमेशा ही नव वर्ष का प्रतीक कहलाता है परंतु हिंदू समुदाय के लोगों के लिए इस दिन एक अलग त्यौहार के जैसा होता है। हिंदू समुदाय के लोग इस दिन अपने जश्न को मनाने के लिए सबसे पहले मंदिर जाते हैं, प्रार्थना और बैठक करते हैं, अपने मित्रों में खुशियां बांटते हैं, अच्छे पकवान और नए कपड़े से बैसाखी का स्वागत करते हैं। गर्मी की शुरूआत में मनाया जाने वाला बैसाखी शुरुआत में ही अच्छी फसल तैयार करके देती है जो कि देशभर के किसानों के लिए जश्न के समान होता है। बैसाखी पूरे भारत में मनाई जाती है परंतु इस को हर कोई अलग अलग नाम से जानता है। इस दिन को मनाने के लिए हिंदू समाज अपने घरों के अनाज को पूजा में उपग्रह करते हैं और इसके बाद ही फसल की कटाई शुरु होती है। हिंदू समाज के लिए बैसाखी (Essay on Baisakhi in Hindi) उनके फसलों को एक सही उपज देने वाला ऋतु है।
बैसाखी का सीख समुदाय के लिए महत्तव:-
सीख लोगों के लिए बैसाखी का त्यौहार उनके परंपरिक तरीके से मनाया जाने वाला एक त्यौहार है। जिसको गुरु अमर दास जी ने स्थापित किया था और साथ ही साथ दो और अन्य त्यौहार भी दिए थे जिसमें दीपावली और मकर संक्रांति शामिल है। हिंदू धर्म की तरह ही बैसाखी सिख धर्म के लिए भी नए साल का प्रतीक है और सिख लोग भी इसका जश्न बड़ी धूम धाम से मनाते हैं। पंजाब के क्षेत्रों में बैसाखी के दौरान रवि की फसल उगते हैं l जिसको काट के पंजाबी और सिख समाज ईश्वर का धन्यवाद करते हैं उनके द्वारा यही बैसाखी है। यह दिन सिखों के लिए बहुत ही ज्यादा विशेष होता है क्योंकि इस दिन ओवैसी गुरु तेग बहादुर के निष्कासन के बाद सीख आदेश की शुरुआत हुई थी।
कैसे मनाते है बैसाखी:-
यह तो हम सब जानते ही हैं कि बैसाखी के पर्व को किसानों और उन ग्रामीणों द्वारा मनाया जाता है जो खेतीवाड़ी करते हैं। बैसाखी पर्व को मनाने का बहुत आसान तरीका है इस दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं और ईश्वर के पास जाकर अच्छी फसल की कामना करते हैं। अच्छे पकवान बनाते हैं और एक दूसरों में उसे बांट कर अपने प्रेम का लेनदेन करते हैं। बच्चों में भी बहुत उत्साह देखा जाता है और इसी दिन फसलों की कटाई शुरू होती है। बैसाखी (Essay on Baisakhi in Hindi) की आते ही किसानों में एक अलग खुशी की लहर फैल जाती है और इसी खुशी में इस जश्न को मनाया जाता है।
उपसंहार
त्योहार चाहे कोई सा भी हो परंतु उसकी खुशी में हर कोई ढल जाता है। हमारे भारत देश में ऐसे कई सारे धर्म है जो अपने अलग-अलग त्यौहारों को मना कर अपने धर्म का प्रदर्शन करते हैं। बैसाखी सीखो द्वारा मनाया जाने वाला बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण त्यौहार है जो कि पूरे हिंदुस्तान में मनाया जाता है। बैसाखी पर दिए गए संदेश को हर कोई आसानी से समझ पाते हैं। इस पर्व के आगमन के साथ-साथ बहुत सारी खुशियां भी आती है और हिंदू समाज में इसकी महत्वता को दर्शाती है। बैसाखी केवल सीखो का त्यौहार नहीं परंतु या पूरे भारतवर्ष में किसानों के लिए एक हर्ष और उल्लास का त्यौहार है।
FAQ:-
1. बैसाखी का त्यौहार किसके द्वारा मनाया जाता है?
उत्तर:- बैसाखी का त्यौहार सिर्फ हिंदू और अन्य धर्मों द्वारा मनाया जाता है इस त्यौहार को किसानों द्वारा भी जश्न के रूप में बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।
2. बैसाखी पर्व की शुरुआत कब और कैसे हुई थी?
उत्तर:- बैसाखी की शुरुआत 13 अप्रैल 1699 में सिख गुरु अमर सिंह द्वारा नए आदेश को जारी करने पर मनाया गया था और समय और नक्षत्र को देखते हुए इसका नाम वैसा ही रखा गया था।
3. किसानों द्वारा इसे पर क्यों माना जाता है?
उत्तर:- किसानों द्वारा इसे पर माना जाता है क्योंकि इसी माह से फसलों की कटाई शुरू होती है और इसी माह से उसके लिए सही खरीददार भी आते हैं।
4. बैसाखी का त्यौहार कैसे मनाते हैं?
उत्तर:- बैसाखी पर्व को मनाने का बहुत आसान तरीका है इस दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं और ईश्वर के पास जाकर अच्छी फसल की कामना करते हैं।अच्छे पकवान बनाते हैं और एक दूसरों में उसे बांट कर अपने प्रेम का लेनदेन करते हैं।
5. बैसाखी को और किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर:- बैसाखी को हिंदू नव वर्ष के नाम से जाना जाता है और इसे वैशाखी के नाम से भी जाना जाता है।