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Essay on Birds in Hindi

इस पूरे पृथ्वी पर ऐसे बहुत सारे जीव और जातियां हैं जो कि हमारे पर्यावरण और प्राकृतिक सुंदरता को और भी ज्यादा बढ़ा देती है। हमारे प्राकृतिक वातावरण के अंदर बहुत सारे पेड़ पौधे नदी पहाड़ पक्षी और पशु आते हैं। यह सब मिल करके हमारे पूरे पृथ्वी को सुंदर बनाने का कार्य करते हैं। यदि इन सब चीजों में से एक भी चीज हट जाए तो हमारी पूरी पर्यावरण और वातावरण में बहुत बड़ा बदलाव आ सकता है जो कि आगे चलकर हानिकारक होगा। एक पर्यावरण को स्थिर रखने के लिए इन सब की बहुत ज्यादा आवश्यकता होती है। हर चीज का अपना अलग-अलग महत्व है।ऐसे ही हमारे पृथ्वी पर रहने वाले सैकड़ों पक्षी भी बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पक्षी (Essay on Birds in Hindi) अपनी छोटी-छोटी चीजों से ही पृथ्वी के संतुलन को बनाने में मदद करती है।

Table of Contents

पक्षी का स्वरूप:-

पक्षी केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में पाए जाते हैं। दुनिया के प्रत्येक पक्षी के पास दो पैर होते हैं जिनसे वे जमीन पर आसानी से चल सकती हैं और साथ ही उनके पास दो बड़े बड़े पंख होते हैं जिससे वह आकाश की ऊंचाइयों को छू सकती है। पक्षी के पास एक चीज होता है जिससे वह अपना भोजन को निगल सकती है और प्रत्येक जीवो की तरह दो आंखें होती है जिससे वह दुनिया का दर्शन कर सकती है। इस पृथ्वी में लगभग सारे पक्षी यही उरते है परंतु कुछ ऐसी पक्षियाँ है जो केवल जमीन पर चलती है उर नहीं सकती। इन पक्षियों के गणना में पेंगुइन, कीवी, शुतुरमुर्ग आदि आते हैं। परंतु ये पक्षियाँ जमीन पर दौड़ने में ज्यादा माहिर होती हैं और अपने शिकार को वे जमीन से ही पकड़ती हैं। सभी प्रकार के पक्षी अंडा देते हैं परंतु स्तनधारी होने के कारण चमगादर अंडे नहीं देता। पक्षी बहुत रंग-बिरंगे होते हैं और उनके शरीर पर बहुत सारे अलग-अलग रंग पाए जाते हैं जिससे वह अपने आप को बहुत ज्यादा सुंदर बनाते हैं।

पक्षी का खाना :-

आमतौर पर पक्षी को दो प्रकारों में देखा जाता है पहला मांसाहारी और दूसरा शाकाहारी। पक्षियों भी मांस का सेवन करती है मांस का सेवन करने वाली पक्षियों को ही मांसाहारी कहते हैं। इसके अलावा घास फूस पत्तियां फल आदि चीजों को ग्रहण करने वाली पक्षियों को शाकाहारी पक्षी के प्रकार में लिया जाता है। दोनों ही पक्षियों के बीच बहुत अंतर होता है मांस खाने वाली पक्षियों के चोंच लंबे और नुकीले होते हैं जबकि साग सब्जी खाने वाली पक्षियों के चोंच छोटे छोटे होते हैं। कुछ पक्षियाँ ऐसी भी है जो इन दोनों चीजों को खा कर अपना जीवन जीती है। मांस खाने वाली पक्षियों के प्रकार में चिल, काग, बगुला, बतख, आदि। शाकाहारी पक्षियों के प्रकार के अंदर तोता, मैना, कबूतर, मोर आदि पक्षी आते हैं। और सर्वाहारी जो सब खाते हैं उन पक्षियों के अंदर इस दुनिया की बहुत सारी पक्षियों आती है जिनमें से कुछ है कोयल, मुर्गा, मैना आदि आते है।

पक्षियों का घर:-

यह तो हम सब जानते हैं कि पक्षी ज्यादातर घोसला में ही रहते हैं जिसके लिए वे दिन भर मेहनत करके व घोंसला बनाते हैं। घोसला बनाने के लिए भी छोटी-छोटी लकड़ियां घास और सूखी पत्तियों का उपयोग करते हैं। इतना ही नहीं कई ऐसे पक्षी भी है जो केवल पेड़ पर रहते हैं। कुछ पक्षी ऐसे भी होते हैं जो घर में अपना बसेरा बनाते हैं और एक ही स्थान पर हमेशा रहते हैं। पक्षियों के अंदर यह आदत होती है कि वे समय पर किसी भी जगह पर नहीं ठहरती। यही कारण है कि उनको हमेशा अपना घोंसला (Essay on Birds in Hindi) तैयार करना पड़ता है। पक्षियों का कोई एक निश्चित बसेरा नहीं होता वे आसमान की ऊंची ऊंची और बादलों को चीरते हुए उड़ते हैं और समय-समय पर अपने बसेरे को बदलते रहते हैं। कई सारे ऐसे पक्षी भी है जो अपने रहने के लिए अपना व्यवस्था सुनिश्चित करते हैं और उसमें ही रह कर अपना जीवन चलाते हैं। पक्षियों के घोंसले बनाने का सबसे बड़ा कारण होता है कि उन्हें अंडों को स्थाई रखने के लिए एक निश्चित स्थान की जरूरत होती है।

पक्षियों का जीवन काल:-

इस धरती पर हर किसी का एक निश्चित जीवन वर्ष पहले से ही निर्धारित किया गया है। उसी जीवन काल के आधार पर पक्षियों का पूरा जीवन चलता है। पक्षियों का जीवन 3 से 5 साल का होता है जिसमें वे यदि बिना किसी का शिकार हुए जीते रहे तो पुनः 3 से 5 साल पूरी आयु होगी। कई बार ऐसा भी होता है कि शिकारी के आक्रमण और शिकार हो जाने की वजह से उनकी मृत्यु हो जाती है। यही नहीं कई बार ऐसा भी होता है कि सर्दी या फिर बहुत ज्यादा गर्मी के वजह से भी पक्षियों की मृत्यु हो जाती है। पक्षियों (Essay on Birds in Hindi) की जीवन तिथि और वर्ष पहले से ही निर्धारित होती है परंतु कई बार ऐसा भी होता है कि पक्षी अपने समय से ज्यादा जी लेते हैं यह सब भी प्राकृतिक चक्र के वजह से होता है। यही नहीं पक्षियों की मृत्यु कई बार बड़े पक्षियों का शिकार हो जाने की वजह से भी होती है। इसके अलावा कई बार शिकारी भी उनका शिकार कर लेते हैं जिस कारण उनकी मृत्यु हो जाती है।

उपसंहार:-

वैसे तो हमारे पर्यावरण में ऐसे कई सारे जीव जंतु है जो कि हमारे पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं परंतु पक्षियों का इसमें बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। यह पक्षियों हमारे पर्यावरण को ना केवल साफ और शुद्ध रखने में मदद करती है बल्कि इससे और भी कई सारी मदद मिलती हैं। परंतु आज के समय में हर कोई पक्षियों का शिकार करने लगा है और यही कारण है कि पक्षी धीरे-धीरे विलुप्त हो रहे हैं। बड़ी-बड़ी इमारतें और प्रदूषण से भरी हुई फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं इन पक्षियों (Essay on Birds in Hindi) को हानि पहुंचाते हैं। यदि ऐसा ही चलता रहा तो 1 दिन पक्षियों का अस्तित्व पूरी तरीके से मिट जाएगा और पर्यावरण में बहुत बड़ा बदलाव आ जाएगा जो कि आने वाले समय के लिए बहुत हानिकारक हो सकता है।

FAQ:-

1. पक्षियों का स्वरूप कैसा होता है?

उत्तर:- पक्षियों का स्वरूप बहुत सुंदर होता है उनके पास दो पैर दो आंख एक चोंच और दो पंख होते हैं उनके पर कई सारे रंग बिरंगे रंग के होते हैं जो कि उन्हें और भी ज्यादा सुंदर बनाते हैं।

2. पक्षी घोंसला क्यों बनाते हैं?

उत्तर:- पक्षियों के घोंसले बनाने का सबसे बड़ा कारण होता है कि उन्हें अंडों को स्थाई रखने के लिए एक निश्चित स्थान की जरूरत होती है।

3.मांसाहारी पक्षियों में कौन-कौन से पक्षी आती है?

उत्तर:- मांस खाने वाली पक्षियों के प्रकार में चिल, काग, बगुला, बतख, आदि।

4. शाकाहारी पक्षियों के अंदर कौन-कौन सी निशानियां होती है?

उत्तर:- साकारी पक्षियों की चोंच छोटे-छोटे होते हैं और उनके पंजे भी छोटे छोटे होते हैं।

5. पक्षियों का जीवनकाल कितना होता है?

उत्तर:- आमतौर पर सभी पक्षियों का जीवनकाल 3 से 5 वर्ष का होता है जिसमें वह अपने औसत आयु जी लेती है।