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Essay on Child Labour in India in Hindi

प्राचीन काल से लेकर आज के आधुनिक काल में भारत में बहुत ज्यादा बदलाव हो गया है।पहले के समय में एक कमाता था और पूरा परिवार सुख शांति से खाता था और आज पूरा परिवार कमाता है फिर भी सुख ओर संतोष जैसी चीजों मानो खो सी गई है।माना जाता है कि पहले के लोग अपने बच्चो के सुख और जरूरतों का ख्याल रखने के लिए क्या कुछ नहीं कर जाते थे। और आज उन्हीं बच्चो को पालना बोझ समझते है।यह भारत देश है जहां चीजों कि कोई कमी नहीं है यहां तो राजाओं ने अपने महल तक दान कर दिया है जबकि आज तो लोग किसीको दो रोटी नहीं दे सकते।तेजी से बदलते इस देश में गरीब जाए तो जाए कहा।वो तो खुद कमा कर भी इतनी महंगाई को आक नहीं सकता।चाहे फिर भी अपने परिवार को खुश नहीं रख सकता चीजों के बढ़ते रूप देख वो कहीं न कहीं खुदमे ही टूटता जा रहा है।

गरीबी का स्तर इतना ज्यादा बढ़ गया है कि अपने छोटे छोटे नाउम्र बच्चो को काम पे लगा देते है।खेलने कूदने वाली उम्र में ही घर की जरूरत और अपनी भूखे पे को भरते है।यही है बाल मजदूरी,बाल मजदूरी एक ऐसा गंदा पानी है जिसमें बच्चो का उज्ज्वल और उत्तम भविष्य साफ कागज की तरह धूल जाता है।

बाल मजदूरी किसे कहते हैं?:-

बाल मजदूरी मतलब छोटे छोटे नन्हे बालकों द्वारा कोई भी कार्य करना या फिर किसी के अंदर में कार्य को सम्पन्न बाल मजदूरी कहलाता है। बाल मजदूरी एक तरीके का गैर कानूनी काम है क्योंकि छोटे छोटे बालकों को किसी भी जगह कार्य कराना हानिकारक होता है। परंतु गरीबी और बेरोज़गारी के वजह से उन्हें काम करना पड़ता है। काम करने के लिए उन्हें छोटी-छोटी टपरिया, सफाई का काम, होटल में खाना पहुंचाना, आदि मजदूरियां करवाई जाती है। हालांकि इनके माता-पिता भी कोई छोटी-मोटी नौकरी कर रहे होते हैं जिस कारण उनके पूरे परिवार को संभालना कठिन हो जाता है। यही कारण है कि परिवार का छोटा से छोटा सदस्य बचपन से ही काम करने लग जाता है। यहां तक की मजबूरी में उन्हें ऐसी जगह पर भी काम करना पड़ता है जो उनके लिए हानिकारक होता है। गैरकानूनी होने के बाद भी लोग इन्हें छुप चुपकर काम करवा लेते हैं। लोग इनकी मजबूरी को भी देखते हैं और अपने काम को भी जो कि इतना बढ़ा रहता है कि लोगों की जरूरत होती है। कारणवश छोटे-छोटे बच्चों को काम पर रख लिया जाता है और कम तनख्वाह में उनसे साझेदारी कर ली जाती है।

बाल मजदूरी से देश में प्रभाव:-

बाल मजदूरी ऐसे तो एक अपराध है परंतु इससे देश में बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। बाल मजदूरी के कारण देश में गरीबी और अपराध बढ़ रहा है।छोटे-छोटे बच्चे शाला जाने के बजाय जब काम करने लगते हैं तो अपनी जरूरतों को पूरी करने के लिए वह दूसरे अलग काम भी करने लगते हैं जो कि गलत होते हैं। धीरे-धीरे करके यह बच्चे देश और सरकार से विद्रोह करने लग जाते हैं और गलत आदतों में पढ़ कर अपनी और अपने परिवार की देखरेख छोड़ देते हैं। ऐसे ही न जाने लाखों बच्चे बाल मजदूरी करते हैं और आगे चलकर के देश से विद्रोह करने लगते हैं। इस कारण देश में नेताओं और राष्ट्रीय सरकार को विद्रोह और परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जो बच्चे बाल मजदूरी करते हैं वह कल का भविष्य है परंतु जब काल का भविष्य ही आज काम कर रहा है तो भविष्य उज्जवल कैसे होगा। आगे चलकर हमें देश को चलाने वाला और देश को ऊंचा करने वाला कोई भी व्यक्ति नहीं मिलेगा। जिस कारण देश और देशवासियों को बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

बाल मजदूरी हटाने का प्रयास:-

देश में बाल मजदूरी हटाने का प्रयास तो लाखों ने किया है परंतु सबसे पहला नाम आजकल कैलाश सत्यार्थी जी का आ रहा है। कैलाश सत्यार्थी कैसी शख्सियत है जो बाल मजदूरी के बिलकुल खिलाफ है और जिन्होंने लाखों बच्चों को उनका अधिकार दिलाया है।मैं पहले उन बच्चों को ढूंढते हैं जो गलत संगति या फिर ऐसी जगह पर काम करते हैं जहां उनका काम करना हानिकारक है। वे उन बच्चों को भी शिक्षा प्रदान कराते थे जो अशिक्षित हैं और मजबूरन काम कर रहे हैं। हालांकि कैलाश सत्यार्थी जैसे और भी लाखों लोग बाल मजदूरी को हटाने का प्रयास करते रह गए। परंतु बाल मजदूरी उनके सामने तो बंद कर दी जाती थी और पीठ पीछे जोरो जोरो से चलता था। यहां तक कि भारत सरकार ने भी बालकों के कार्य करने की एक उम्र सीमा बनाई है जिसके अंतर्गत ही वह कार्य कर सकते हैं। जिसमें नव युवकों को 21 साल और लड़कियों को 18 साल मे बालिक और रश्ट्वाता का अधिकार मिलता है।

बाल मजदूरी बालकों द्वारा कठिन से कठिन कार्य करवाने को कहते हैं यह तो पता चल गया है।परंतु बाल मजदूरी को जड़ से हटाने की कोशिश करने वाले लोगों को सरकार उतना सम्मानित नहीं करती जितना उनका हक हो।बाल मजदूरी हटाने का कार्य वैसे तो सबके मन में आता है परंतु जो इसे संपूर्ण कर पाता उसे एक छोटा सा नाम देकर के भुला दिया जाता है। शायद यही कारण है कि आजकल कोई भी बालमजुरी को हटाने की कोशिश नहीं करता। कम उम्र में ही बच्चों को ऐसे ऐसे काम करने पड़ते हैं जो उनके और उनके परिवार के लिए विनाशकारी होंगे परंतु फिर भी वह उस काम को करने के लिए पीछे नहीं हटते। जरूरत क्या है बस दो वक्त की रोटी की जो कि उन्हें इतनी महंगी लगती है कि पूरा परिवार मिलकर सुख से खा भी नहीं सकता। कैनवस बाल मजदूरी जैसे अपराध को अंजाम देना पड़ता है।

बाल मजदूरी से बालको पर पड़ने वाला प्रभाव:-

बाल मजदूरी वैसे तो सुनने में बहुत छोटा लगता है परंतु इसमें कार्य करने वाले बच्चे अपने भविष्य को अंधेरे में डाल देते हैं। बाल मजदूरी का मतलब यह नहीं कि बस छोटे-मोटे कार्य बाल मजदूरी में तो गरम कमरे में बैठकर की चूड़ियां बनाएं तक के काम आते हैं।उदाहरण के तौर पर हम फिरोजाबाद की छोरियों की मंडी को देख सकते हैं।जहां पर पूरा परिवार मिलकर एक अंधेरी कोठरी में गर्म तापमान में बैठ कर चूड़ियां बनाने का काम करता है। वहीं पर अगर हम लोग अलग-अलग जगह पर देखे तो छोटे-छोटे बच्चे कचरा में ऐसे खुश रहते हैं जैसे कि वहां उन्हें कोई खजाना मिल गया हो। चाय की टपरी ऑफर चाय के बर्तन धोते हुए देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि वह अपने भविष्य को ही धो रहे हैं। नालियों में से उठाते हुए कचरे उनके हाथों को और उनके हाथों की लकीरों को मेला कर देते हैं। इन सब कारणों के बाद भी वह बच्चे केवल दो वक्त की रोटी के लिए ही बाल मजदूरी जैसा घिनौना काम करते हैं। बाल मजदूरी में इतना ही नहीं कुछ अपराधी भी उन बच्चों को उठा कर के देशद्रोह करने की बाद में उन्हें आतंकवादी घोषित कर दिया जाता है। उन्नति के नाम पर बस काले छापे ही मिलते हैं। यदि बाल मजदूरी एक छोटे से झोपड़ी से शुरू होती है तो उसी झोपड़ी में खत्म हो जाती है इसे रोकने वाला कोई नहीं।

निष्कर्ष:-

देश की जनता आज तो इतनी जागरूक हो गई है कि वह अपराध और गलत चीजों को खत्म करने में देश का साथ दही सकती है परंतु किसी को किसी से क्या मतलब है। लोगों की सोच और बदलते रंग ढंग के साथ ही देश में गरीबी भी बढ़ती जा रही है।सरकार वैसे तो लाखों ऐसे सुविधाएं गरीबों को प्रदान कराता है परंतु उन तक पहुंचते पहुंचते ही वह सुविधाएं समाप्त हो जाती है। शिकायत करें भी तो किससे यहां हर कोई घूसखोर जो है। किसी से अगर दो वक्त की रोटी मांगी जाए तो वह ऐसे मुंह मारता है जैसे किसी ने उनकी पूरी धन-संपत्ति मांग ली हो। क्या ऐसे में हमारा देश भर पाएगा? सवाल तो मन में खड़े होंगे ही। जागरूकता ही नहीं देश का उज्जवल भविष्य भी हमारी जिम्मेदारी है। बाल मजदूरी जैसे अपराध को हटाना हम सबके हक में हैं और हम चाहे तो इसे जड़ से हटा सकते हैं।