भारतीय संविधान के अनुसार हर किसी को उनका हक प्राप्त है। बच्चे की उम्र कम होने के कारण उनका मानसिक विकास काम रहता है जिनके कारण वह आसानी से शोषण का शिकार बन जाते हैं ,परंतु बच्चों को भी उनका अधिकार संपूर्ण तरीके से मिलना चाहिए। पुराने समय में देखा जाए तो बच्चों की बाल विवाह करवा के ,उन्हें अशिक्षित रखकर उनके साथ अत्याचार करते थे और छोटी समय में उन्हें कई सारी जिम्मेदारियों का बोझ मिल जाता था। परंतु भारतीय संविधान के अनुसार यह गलत है कानून हमेशा सबको उसका हक देने के लिए आगे रहता है। बच्चे हो या युवा सभी को उनका अधिकार मिलना चाहिए। बालकों को विशेष अधिकार देने के लिए यह चाइल्ड राइट्स संविधान लागू किया गया।
चाइल्ड राइट्स क्या है?
बालक का बचपन ही उनके जीवन का हसीन पल माना जाता है। परंतु अगर कोई तिरस्कार और अत्याचार से इनका बचपन नष्ट कर रहा है तो ये शोषण चरम पर पहुंच जाता है। नाबालिक बच्चे मतलब 18 साल से कम उम्र के बच्चों का मानसिक विकाश बचपन से ही तेजी से होता है, परंतु उनके विकास के रास्ते में रुकावट लाते ये समाज के प्रति कानूनी तौर पे संविधान में बच्चो के लिए कुछ विशेष अधिकार बनाए गए जिसे अंतरराष्ट्रीय बाल अधिकार कहते है।
बच्चों के अधिकारो की बात की जाए तो उन्हें बहुत सारे ऐसे अधिकार दिए जाते हैं जो सरकार द्वारा लागू किए गए हैं । जैसे कि शिक्षा का अधिकार, खेलकूद का अधिकार, अच्छे से पालन पोषण का हक, व्यक्तिगत मामलों में अपना हक लेने का अधिकार यह सब अधिकार सरकार द्वारा छोटे छोटे बालकों के लिए बनाया गया है।जिस प्रकार हर व्यक्ति को कानून से और व्यक्तिगत मामलों से जुड़े अधिकारों की छूट है वैसे ही बालकों को भी इन सब चीजों की छूट मिलनी चाहिए।आज के समय में अगर देखा जाए तो हर छोटे बड़े जगह पर छोटे छोटे बालक काम करते हुए दिखते हैं जोकि उनकी आजागरूकता और जानकारी ना होने का कारण है।
भारत में बाल अधिकार कितने प्रकार के है?
भारत में बच्चो कों भगवान का स्वरूप माना जाता है। उनके अधिकारों के लिए भारत सरकार द्वारा कई सारे कानून बनाए गए है। उनमें से कुछ इस प्रकार है –
- शिक्षा का अधिकार:- भारत में हर व्यक्ति को शिक्षा का अधिकार है उसी प्रकार से ही समय में बच्चों को शिक्षा पाने का अधिकार भी कानून ने दिया है। 6 से 14 वर्ष के बच्चों को मुफ्त में शिक्षा लेने का अधिकार है यह सब कुछ भारत के संविधान के अन्तर्गत अता है।
- सही पोषण प्राप्त करने का अधिकार :- भारत में हर जगह बच्चों के सही पोषण के लिए आंगनवाड़ी का निर्माण किया जाता है। इसमें बच्चों को सही खानपान के साथ पढ़ाया भी जाता है। वैसे तो बहुत सारे बच्चे कुपोषण का शिकार हो जाते हैं परंतु यदि उन्हें स्वस्थ और पौष्टिक खाने प्राप्त कराए जाए तो वे अपने स्वास्थ्य को सही रखने में सक्षम हो पाएंगे। इतना ही नहीं यदि किसी बच्चे को खाने पीने की कमी है तो वह सरकार द्वारा दिए गए सुविधाओं का भी लाभ उठा सकता है।
- खेल कूद का अधिकार :- देखा जाए तो आजकल हर बच्चे का बचपन छीन चुका है या तो पढ़ाई में या तो फिर काम काज में।वैसे भी बच्चे आजकल मोबाइल की दुनिया में घुस गए हैं जिस वजह से वह बाहर जाकर खेलना कूदना पसंद नहीं करते। ज्यादातर बच्चे छोटे-छोटे उम्र से ही बड़ी जिम्मेदारियों को अपना लेते हैं जिस कारण वे अपने बचपन को खोने लगते हैं और खेलकूद से दूर हो जाते हैं। इसके लिए ही सरकार ने नाबालिक और ना उम्र बच्चों को कामकाज देना गैरकानूनी करा दिया है।
- बच्चों को समानता का अधिकार :- बच्चों के बीच भेदभाव करना कानूनी अपराध माना जाता है। खास कर की छोटे बच्चो की जाती को देख कर उनके साथ अत्याचार करना गलत है। इस प्रकार सरकार ने कानूनी तौर पर बच्चों को उनके साथ होने वाले शोषण का विरोध करने के लिए पूरा हक दिया है। दुराचार और अपमानजनक व्यवहार करना कानून में अपराध माना गया है।
बाल अधिकार की आवश्यकता क्यों पड़ी ?
हम सभी को पता है कि बच्चे नादान होते हैं उन्हें अपने खिलाफ आवाज उठाने की समझ नहीं होती। बच्चों का मानसिक विकास भी पूरी तरीके से नहीं हुआ रहता है। इसी को देखकर कई लोग इन्हें शोषण का शिकार बना लेते है। पुराने समय में बच्चों को कम उम्र में ही काम पर लगा दिया जाता था और साथ ही बाल विवाह भी करवा दिया जाता था, परंतु आज के समय में लड़कियों के लिए 18 वर्ष और लड़कों के लिए 21 वर्ष कानूनी तौर पे विवाह के लिए सही माना गया है। बहुत ही छोटी उम्र में उन्हें बहुत कुछ सहना पड़ता था । बच्चों का बाल विवाह कराने से उनका पूरा जीवन नष्ट हो जाता था क्योंकि उन्हें विवाह के जिम्मेदारी के बारे में कुछ पता नहीं होता था, और जैसा उनके माता-पिता कहते वह ऐसा ही करते जाते थे। जैसा कि हम सबको पता है, पहले सती प्रथा का पालन हर किसी को करना पड़ता था, ऐसे में अगर किसी दुर्घटना वश विवाहित बालक की मृत्यु हो जाती थी ,तो इस प्रथा के अनुसार उसकी पत्नी जो एक छोटी सी बच्ची हुआ करती थी उसे भी उसके पति के साथ अग्नि में प्रवाहित कर दिया जाता था। ये सब गलत प्रथाओं और बच्चो के साथ अत्याचार को देखते हुए बाल अधिकार जैसे काननू को संविधान में लाया गया। बालकों के अधिकार के लिए ये काननू आवश्यक है।
भारत में बाल अधिकार के लाभ:-
भारत में जिस प्रकार बाल मजदूरी बढ़ी हुई थी कानून के वजह से आज ये सब कम है। भारत में कई क्षेत्रों में आज भी बाल मजदूरी देखने को मिलती है परंतु अगर बालक चाहे तो अपने अधिकारों के लिए कोर्ट में आवाज लगा सकता है। अंतर्राष्ट्रीय बाल अधिकार के अंतर्गत बालों को उनके पूरे अधिकार लेने का हक है।
बाल अधिकार के बारे जितना सबको जागरूकता होगी ,उतना इसका लाभ होगा । इस कानून के अंतर्गत बच्चों को मानसिक तनाव देना भी कानूनी अपराध माना जाता है। ज्यादातर इस कानून को अनाथ बच्चों के लिए निकाला गया था परंतु समाज की स्थिति देखकर पूरे भारत में यह संविधान हर एक बच्चे के लिए लागू किया गया। इस संविधान के अंतर्गत सभी बच्चे सुरक्षित है और अपना जीवन अपने तरीके से जी सकते है।
निष्कर्ष:-
बच्चों को उनका अधिकार दिलाना ही सरकार का सबसे बड़ा कार्यभार है ,परंतु इसके अंतर्गत कुछ ऐसी भी चीजें हो रही है जो बच्चों को उनके अधिकार से दूर करती है। ज्यादातर लोग बच्चों को उनके मन मर्जी और मुताबिक काम नहीं करने देते। जबकि आज के समय में बाल मजदूरी जैसी चीजें भी उभरकर सामने आ रही है। वैसे तो हर कोई इस चीज से अवगत है कि बाल मजदूरी गैरकानूनी है, परंतु फिर भी लोग इन सब चीजों के बारे में बिल्कुल भी जागरूकता नहीं रखते हैं।यदि ऐसे ही चलता रहा तो आगे के समय में बच्चों का भविष्य पूरी तरीके से खराब हो जाएगा और उनके अधिकारों को उनसे दूर कर दिया जाएगा। इन सब कारणों से ही देश में अपराध और जुर्म बढ़ते जा रहे है।बच्चो को उनका अधिकार दिलाना और उनको आजादी देना सरकार के साथ साथ हमसब की भी जिम्मेदारी है।
FAQ ( विषय से संबंधित प्रश्न):-
1.प्रश्न:- बच्चो को काम करने के लिए बालिक होना क्यों जरूरी है?
उत्तर:- बचपन से काम करना बच्चो के मानसिक विकाश में बाधा ला सकती है और उनका बचपन उनसे छीन सकता है।
2.प्रश्न:- निशुल्क शिक्षा का उल्लेख संविधान के कौन से धारा में किया गया है?
उत्तर:- संविधान के धारा 21 में कहा गया है कि ,6 से 14 वर्ष के बच्चों को निशुल्क शिक्षा अनिवार्य है।
3.प्रश्न:- क्या आज के समय में सभी बच्चों को बाल अधिकार प्राप्त है?
उत्तर:- कानून के बारे में जागरूकता ना होने के कारण ,भारत में आज भी ऐसे क्षेत्र है जहां बच्चो को उनका अधिकार प्राप्त नहीं होता ।
4.प्रश्न:- सबसे महत्वपूर्ण अधिकार बच्चो के लिए क्या है?
उत्तर:- शिक्षा और सही पोषण मिलना बच्चो के लिए सबसे महत्वपूर्ण अधिकार है।
5.प्रश्न:- बच्चो के लिए और कौन से अनुसमर्थन ने कार्य किए है?
उत्तर:- 1992 में UNCRC अनुसमर्थन ने बच्चो के अधिकार के लिए और भी कड़े कानून बनाए ।