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Essay on Democracy in India in Hindi

भारत एक बहुत बड़ा देश है जिसमें हर व्यक्ति अपने अपने कार्य करने के लिए बिल्कुल ही स्वतंत्र है। यहां पर हर व्यक्ति लोकतंत्र को राजतंत्र की तरह दिखता है। लोकतंत्र का अर्थ है अपने अपने हिसाब से जनतंत्र और जनता के फैसलों का निदान होना। भारत को इसीलिए लोकतंत्र प्रिय देश भी कहा जाता है।लोकतंत्र हमारे देश की प्रजा का अधिकार है जो कि भारतीय सरकार द्वारा हर एक आदमी और हर एक व्यक्ति को दिया गया है।लोकतंत्र का जितना भी कार्यभार है वह सब पार्लियामेंट के अंदर निर्भर करता है और इसी के अंतर्गत उसके ऊपर किसी भी तरह का कार्रवाई की जाती है। पार्लियामेंट के अंदर भी प्रजातंत्र द्वारा चुना गया ही व्यक्ति बैठता है और प्रजा के हित में कार्य करता है।हमारे देश में हर 5 साल पर होने वाला इलेक्शन भी प्रजातंत्र और लोकतंत्र के अंतर्गत निर्धारित किया जाता है। इलेक्शन के लिए हमें आदमी और चीजों की जरूरत पड़ती है। इसलिए जो भी अमीर व्यक्ति अपनी सैनी डेट को खड़ा करता है जनता का दिन जीता है जनता उसे अपने सुख-दुख के लिए निर्धारित करती है।

व्यक्तिगत मामलों में भी पहले चुनाव किया जाता है और उसके बाद प्रदर्शनी कार्य किया जाता है। यहां तक कि यदि कोई अपराधी भी है तो उसे पहले जनता के द्वारा मांगी गई सजा दी जाती है और बाद में ही उसे छोड़ा जाता है। भारत देश में लोकतंत्र और प्रजातंत्र का इतना सादा प्रचलन है कि प्रजा की मर्जी से ही हर कार्य को निर्धारित समय पर किया जाता है।

लोकतंत्र क्या है?-

लोकतंत्र की शुरुआत भारत में 15 अगस्त 1947 से हुई है। जब हमारा देश भारत आजाद हुआ था उस वर्ष ही हमारी देश की जनता को इस देश का कार्यभार सौंप दिया गया था। अपने द्वारा चुने गए व्यक्ति से ही कार्यभार और सारी जिम्मेदारियां लेने की जिम्मेदारी होती है। लोकतंत्र एक ऐसा तंत्र है जिसके अंदर आम जनता हर किसी के सामने राजा जैसा भी होता है। पुराने समय में राजतंत्र का प्रचलन था। परंतु तनमे और आज के स्वतंत्र भारत में इतना ज्यादा बदलाव हो गया है कि पुराने समय में जैसे राजा महाराजा हम सब पर राज करते थे वैसे आज जनता पूरे देश पर राज करती है। लोकतंत्र का अर्थ एक और तरीके से निकल सकता है कि देश के हित में कार्य करने वाले व्यक्ति को चुनना और उससे सही कार्य में बिलाव करवाना। लोकतांत्रिक तरीके से हमारे भारत में बहुत कठिनाइयों के साथ शुरू हुआ है।

जब हमारे देश को गुलाम बना लिया गया था तब सरकार द्वारा किया गया कार्य जनहित में बिल्कुल भी नहीं था। तब ही हर कोई अपने अपने मर्जी से अपनी सरकार को चुनने का फैसला लिया।उनकी हित में कार्य करें जो देश के हित में कार्य करें। लोकतंत्र का मतलब यह नहीं कि प्रजा अपनी मर्जी से कुछ भी गलत या सही करने लगे। उनको केवल यह कहता है कि वह अपने अधिकार के हिसाब से कोई ऐसा व्यक्ति पिछले जो उनके हित में कार्य करें।

लोकतंत्र से भारत की वृध्दि:-

लोकतंत्र का भारत में बहुत ज्यादा ही चरण हो चुका है जिससे भारत को होने वाले फायदों के बारे में लोग अभी अनजान है।लोकतंत्र से होने वाले भारत में फायदे लाखों हैं परंतु कुछ ऐसे फायदे हैं जो हम अपने रोजमर्रा की जिंदगी में देख सकते हैं। लोकतंत्र होने का सबसे बड़ा शोध और शोषण प्रजा द्वारा किया गया है। लोकतंत्र की मदद से ही देश में चुनाव जैसा बड़ा काम आसानी से हो जाता है। लोकतंत्र की मदद चाहिए भारत देश का विकास और प्रसारण देश विदेश में हो रहा है। लोकतंत्र से ही भारत देश की वृद्धि का कार्य सफल हो रहा है।हालाकी कि लोकतंत्र के कारण ही इतना कुछ देखने को मिल रहा है परंतु जनता आज भी खुश और महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान नहीं दे रही। परंतु देश में लोक तंत्र के होने का सबसे ज्यादा अच्छा और सही बात यही है कि देश में चुने गए नेताओं को हमारी जनता द्वारा सुनी जाती है जो कि देश हित में कार्य करते हैं।

जनता द्वारा लोकतंत्र का उपयोग:-

भारत देश में ऐसे तो वर्ग जाति और भेदभाव का बहुत ज्यादा ही और शोर है। जिसके कारण ही प्रजा उन्हीं व्यक्ति को अपने शासन के रूप में चुनती है जो उनके जात बिरादरी के हो।यदि कोई व्यक्ति बाहर देश या बाहर ही जगह से आ रहा है तो वह उसे बिल्कुल भी साथ नहीं देते। इतना ही नहीं राज्यों के नेताओं द्वारा किया गया गलत काम भी लोकतंत्र को बहुत ज्यादा प्रभावित करता है। यहां हर वर्ष होने वाले चुनाव में अपने द्वारा चुने गए कैंडिडेट को सबसे ज्यादा वोट और भूत को कब्जा करने का आरोप भी हमारे देश के नेताओं पर लगता है। यही कारण है कि हमारे देश में चुने गए नेता आजकल जनता उसे दूर और अपने हित में ज्यादा कार्य करते हैं।

वर्तमान समय में जनता द्वारा लोकतंत्र का उपयोग वैसे तो अपने हित के कार्यों के लिए केवल किया जा रहा है परंतु कुछ ऐसे भी कार्य लोग कर रहे हैं जिनकी छूट सरकार नहीं देती है। आजकल सरकार द्वारा किए गए बहुत सारे नियम लागू है परंतु देश के लोकतंत्र को बढ़ोतरी देने के लिए कुछ लोग उनकी बातों को बिल्कुल अनदेखा और अनसुना करते हैं।वे यह नहीं सोचते कि यदि कोई फैसला हो रहा है तो हमारे हित में होगा मैं केवल यह चाहते हैं कि यह हमारे जाति बिरादरी का नहीं है और हम इसकी बात नहीं मानेंगे। ज्यादातर वर्गों में तो अपने द्वारा चुने गए सरकार की बात मानी जाती है दूसरी सरकारों को तो आम आदमी की तरह देखा जाता है।

लोकतंत्र और प्रजा का हित:-

लोकतंत्र एक ऐसा तंत्र है जो कि प्रजा के हित में ही कार्य करती है।प्रजा के हित से लेकर के उनके सुख-दुख और उन को होने वाली हानियों का सबका ख्याल रखना लोकतंत्र की जिम्मेदारी है। अपने लिए सही व्यक्ति को चुनना और सही व्यक्ति की मदद लेना लोकतंत्र का अहम हिस्सा है। आमतौर पर लोकतंत्र को लोग एक ऐसी धारावाही समझते हैं जो कुछ समय पहले सरकार द्वारा बनाई गई है परंतु लोकतंत्र प्रजा के हित में कार्य करने वाली एक ऐसी मान्यता है जिसे सरकार आज तक निभा रही हैं। परंतु यदि प्रजा ही अपने हित और सुख दुख को नहीं समझ सकते तो सरकार भी उनकी क्या मदद करेगी। इसलिए हमारे यहां के लोकतंत्र को इतना सादा मान्यता दिया गया है जितना कि किसी और अन्य देश में नहीं है। परंतु हमारे देश की प्रजा भी अपने लोकतंत्र का सही फायदा नहीं उठा पा रही है।

उपसंहार:-

एक देश किसी भी अकेली सरकार के साथ अपने राज्य और अपने देश का भला नहीं कर सकती जब तक कोई उसे विरोध और उस से टक्कर का ना हो। विरोधी पार्टी होने का लोकतंत्र में सबसे ज्यादा यही अच्छी बात है कि वह होने वाली गलतियों को तुरंत बता देते हैं।ऐसे में बिहार ,दिल्ली ,यूपी ,मुंबई और साउथ के राज्यों में चुने गए सरकारों की सबसे ज्यादा लोकतंत्र को लेकर के ही झगड़ा रहता है। लोकतंत्र की खामियां वैसे तो बहुत सारी है परंतु हम उनके लिए अपने देश की प्रजा को ही जिम्मेदार ठहरा है क्योंकि हमारे देश की प्रजा ही अपने हित में कार्य नहीं करती।सही और सही सरकार को चुनना हमारी जिम्मेदारी है यदि हम किसी लालच में दूसरे व्यक्ति को चुन लेते हैं जो कि आगे चलकर हमारे हित के विरुद्ध कार्य करता है बाद में परेशान हमें पड़ेगा।

सालों से प्रजा के हित में कार्य करने वाला लोकतंत्र आज गायब होता दिख रहा है। इसके जिम्मेदार हम हैं।हम ही अपनी जिम्मेदारियों का झोपड़ा सही से नहीं उठा पा रहे तो फिर हम अपने देश के सरकार से क्या उम्मीद कर सकते हैं। हमें सही और गलत में फर्क करना आना चाहिए तभी हम अपने देश को आगे बढ़ाने में अपना सहयोग दे पाएंगे। यही लोकतंत्र है और यही प्रजातंत्र भी है।