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Essay on Disaster Management in Hindi

हमारा पर्यावरण बहुत ही सुंदर प्रकृति से घिरा हुआ है। प्राकृतिक संसाधनों में ऐसे कई सारे जीव जंतु, नदी, पहाड़, जंगल आदि है जो बहुत ही आकर्षक लगते है। प्राकृतिक के अनेक रूप होते हैं जिसमें से एक बहुत ही अच्छा तो दूसरा बहुत ही भयावह हो सकता है। प्रकृति को हम हमेशा सुंदर और शांति में देखते हैं जो कि लोगों को बहुत ही पसंद आता है परंतु अगर यही प्राकृतिक अपना भयानक रूप दिखा दे तो उसे आपदा का नाम दे दिया जाता है। प्रकृति (Essay on Disaster Management in Hindi) केवल शांत और सुंदर होती है धरती पर मनुष्य के अनेक क्रियाओं के कारण प्रकृति उथल-पुथल हो जाती है जो हमारे पर्यावरण में एक भयानक रूप लेकर प्रस्तुत करती है। मनुष्य ने बहुत ही कम समय में प्रकृति का आक्रामक रूप देखा होगा, क्योंकि अक्सर प्राकृतिक अपना सुंदर स्वरूप ही दूसरे को दिखाती है। हमारी पर्यावरण की इस भयावह तबाही को ही आपदा कहां जाता है।

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आपदा की परिभाषा :-

आमतौर पर हम आपदा वह स्थिति है जिसका परिणाम बहुत ही भयानक और क्षति दायक होता है। इसके द्वारा मृत्यु और इसके जैसी कई सारी गंभीर कठिनाइयां आने लगती है। आपदा में लोग बहुत ही असहाय हो जाते हैं इससे बचने के लिए कई सारे उपाय किए जाने लगते है। आपदा किसी भी क्षेत्र में आए हुए भयानक स्थिति को भी कह सकते हैं जिसमें मृत्यु और अनेक घटनाओं का सामना करना पड़े। इंग्लिश में हम आपदा को डिजास्टर कहते हैं यह शब्द फ्रेंच की एक शब्द “डिस्ट्रेस्ड” से लिया गया है। ज्योतिषि के माने तो आपदा शब्द का अर्थ ग्रहों की बुरी स्थिति को माना जाता है ।

आपदा के प्रकार:-

मुख्य रूप से आपदाओं को दो रूप में वर्गीकृत किया गया है:-

प्राकृतिक आपदा:-

प्राकृतिक आपदा हम उसे कह सकते हैं जो प्रकृति में हुए हैं और भयानक रूप को दर्शाता है। यह आपदा पृथ्वी में प्राकृतिक क्रियाओं से उत्पन्न होती है। प्राकृतिक आपदा से प्रकृति में रह रहे जीव व पेड़ पौधों को बहुत ही गंदा नुकसान झेलना पड़ता है। प्राकृतिक आपदा जैसी बाढ़, सुनामी, भूकंप, चक्रवात, अकाल आदि हो सकते है। प्राकृतिक आपदा सबसे ज्यादा मनुष्य के लिए खराब होती है जब आती है तो पूरी तरीके से हमारे वातावरण को प्रभावित करती है। प्राकृतिक आपदा (Essay on Disaster Management in Hindi) मनुष्यो के कार्य से ही होता है मनुष्यो द्वारा किया जाने वाला कार्य जो पर्यावरण के विपरीत होता है उससे आपदा आने की संभावना बढ़ जाती है।

मानव निर्मित आपदा:-

मानव द्वारा निर्मित आपदाएं ही मानव आपदा कहलाती है इसका अर्थ होता है मानव द्वारा कोई भी ऐसा कार्य करना जिससे दुर्घटना या मृत्यु जैसे मामले सामने आए। आग लगना, वाहन दुर्घटना, परमाणु विस्फोट, आतंकवादी हमले, नक्सली हमले आदि जैसे सभी कार्य मानव आपदा में ही आता है। मानव आपदा से प्रकृति पर भी प्रभाव पड़ता है।

ऐसे ही आपदाएं मनुष्य के जीवन में आती रहती है परंतु इसका निवारण करना उन्हीं के हाथ में है अगर कोई भी गलत कार्य किया गया तो इससे अनेक सारी आपदाएं खड़ी हो सकती है। आपदाओं से निजात पाने के लिए कई सारे कार्य किए जाते हैं जिसका पालन करना नागरिकों का कर्तव्य है।

भारत में आपदा :-

पृथ्वी पर कोई भी देश आपदाओं से सुरक्षित नहीं रहा है और इसके साथ ही भारत देश में भी आपदाएं आती जाती रहती है। आपदा आने से देश की भौगोलिक स्थिति पूरी तरीके से खराब हो जाती है। भारत में मनुष्य कार्य के कारण जलवायु परिवर्तन होता रहता है जिसके कारण पर्यावरण पर बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ता है। भारत देश में हर साल भूकंप चक्रवात जैसी बड़ी बड़ी आपदा देखी जाती है जिसके कारण मनुष्य को बहुत ही ज्यादा कठिनाइयां झेलनी पड़ती है। इसके साथ ही सूखापन और आंधी (Essay on Disaster Management in Hindi) जैसी आपदाओं का सामना भी भारत में हर साल झेलना पड़ता है। भारत में आपदाएं हर साल आती रहती हैं और कम होने का नाम ही नहीं लेती। आपदाएं आने से पहले मौसम विभाग वाले मनुष्य को पहले से ही सावधान कर देते हैं जिससे वह भविष्य के लिए इंतजाम कर सके। आपदा आने का कारण भारत का जलवायु होता है जिसके बदलने से पृथ्वी का तापमान में भी उतार-चढ़ाव बना रहता है।

भारत में तमिलनाडु और केरला एक ऐसा राज्य है जहां पर हाल ही में बाढ़ और चक्रवात जैसी बड़ी घटना देखी गई। यहां लोगों को खाने पीने की भी परेशानियां हो गई थी। यह आपदाओं से निजात पाने के लिए आपदा प्रबंधन कराया गया।

आपदा प्रबंधन:-

आपदाओं के सभी दुष्प्रभाव को कम करने के लिए आपदा प्रबंधन किया जाता है। आपातकाल में जो भी माननीय जरूरत होती है वह सब उनके द्वारा ही प्रबंध किया जाता है। हर एक संस्था और संगठन एक साथ मिलकर आपदा प्रबंधक करती है। भारत की सरकार ने आपदा से घिरे हुए क्षेत्रो के लिए बहुत सारे संसाथाओ को बनाया है। लोगों को आपदाओं से निपटने के लिए मदद करने वाले संगठन कुछ इस प्रकार हैं:-

  • राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण – NDMA
  • नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर – NRSC
  • इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च – ICMR
  • केंद्रीय जल आयोग- CWC

राज्य और केंद्रीय सरकार के बीच में संपर्क धीरे रहने से संसाधनों में कमी रह जाती है परंतु सरकार इसकी व्यवस्था जल्द से जल्द करवा देती है।

निष्कर्ष:-

हर साल आपदाएं हमारे सामने आ ही जाती हैं इसे कभी भी निजात नहीं पाया जा सकता परंतु इसके लिए पहले से तैयार हम हो सकते है। आपदाओं से बचने के लिए हमें पहले से ही सभी प्रबंध कर लेनी चाहिए और मौसम विभाग वालों से प्राकृतिक आपदा के बारे में जानकारी लेनी चाहिए। आपदा प्रबंधन (Essay on Disaster Management in Hindi) को करने के लिए सरकार ने कई सारे संस्थाएं बनाई है जो कि हर एक क्षेत्रो में काम करती है। लोगों को मानक प्रबंधन और आपदा प्रबंधन दोनों के परिणामों से जागरूक होने की आवश्यकता है जिससे वह हमारे पर्यावरण को बचा सकेंगे।

FAQ:-

1.प्रश्न:- आपदा क्या है?

उत्तर:- आमतौर पर आपदा वह स्थिति है जिसका परिणाम बहुत ही भयानक और क्षति दायक होता है। इसके द्वारा मृत्यु और इसके जैसी कई सारी गंभीर कठिनाइयां आने लगती है।

2.प्रश्न:- आपदा के दो प्रकार क्या है?

उत्तर:- मुख्य रूप से आपदाओं को दो रूप में वर्गीकृत किया गया है:-

  • प्राकृतिक आपदा
  • मानव निर्मित आपदा

3. प्रश्न:- प्राकृतिक आपदा क्या होती है?

उत्तर:-   प्राकृतिक आपदा हम उसे कह सकते हैं जो प्रकृति में हुए हैं भयानक रूप को दर्शाता है। यह आपदा पृथ्वी में प्राकृतिक क्रियाओं से उत्पन्न होती है।

4.प्रश्न :- प्राकृतिक आपदा के मुख्य उदाहरण क्या है?

उत्तर:- प्राकृतिक आपदा जैसी बाढ़, सुनामी, भूकंप, चक्रवात, अकाल आदि होती है।

5.प्रश्न:- आपदा प्रबंधन क्या है?

उत्तर:- आपदाओं के सभी दुष्प्रभाव को कम करने के लिए आपदा प्रबंधन किया जाता है। आपातकाल में जो भी माननीय जरूरत होती है वह सब उनके द्वारा ही प्रबंध किया जाता है। हर एक संस्था और संगठन एक साथ मिलकर आपदा प्रबंधक बनती है।