Home निबंध Essay on Euthanasia in India in Hindi

Essay on Euthanasia in India in Hindi

जैसा कि हम सब जानते हैं कि भारत में बहुत प्रकार के नियम कानून बनाए गए हैं। और हम यह भी जानते हैं कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है। यहां प्रत्येक व्यक्ति के पास अपने आप से जुड़े कोई भी प्रकार का फैसला लेने का अधिकार है। भारत लोकतांत्रिक देश होने के साथ-साथ स्वतंत्र देश भी है और यहां निवास करने वाले हर एक व्यक्ति के पास किसी भी कार्य को करने का अधिकार है। परंतु आज के युग में इच्छा मृत्यु एक बहुत बड़ा चर्चा का विषय बन चुका है। क्या इच्छा मृत्यु लोगों के अधिकार के अंतर्गत हैं ?क्या यह सही है या गलत है? इच्छा मृत्यु से जुड़े लोगों के मन में बहुत सारे सवाल होते हैं। जहां कई लोग इसके विरुद्ध है तो कई लोग इसके पक्ष में हैं। इच्छा मृत्यु से जुड़े कानून व्यवस्था के बारे में जानने से पहले आपको यह जानना बहुत जरूरी है कि इच्छा मृत्यु होता क्या है। तू आइए हम इच्छा मृत्यु के बारे मे विस्तार से  जानते हैं।

इच्छा मृत्यु क्या है:-

हमारे देश में काफी समय से इच्छा मृत्यु पर विचार विमर्श किया जा रहा है। किसी भी प्रकार के जानलेवा बीमारी से ग्रस्त लोगों को उनकी इच्छा से मृत्यु प्रदान करना ही इच्छा मृत्यु कहलाता है। मतलब की अगर कोई भी इंसान बीमार है और उस बीमारी का इलाज मुमकिन नहीं है तब वह मरीज अपनी मर्जी से पूरे सम्मान के साथ अपना प्राण त्याग सकता है ।तो उस व्यक्ति को पूरे सम्मान के साथ मृत्य प्रदान कर दिया जाता है ।यही इच्छा मृत्यु कहलाता है।

हमारे भारत देश में इच्छा मृत्यु की प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही है। भारतीय शास्त्र- पुराण में ऐसे बहुत सारे इच्छा मृत्यु के उदाहरण है। प्राचीन काल में लोगों को अपनी इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त होता था जिसके कारण वह जब चाहे, जहां चाहे ,जैसे चाहे, अपने प्राण त्याग सकते थे। प्राचीन काल में भगवान श्री राम का शबरी से भेंट होने के बाद शबरी का अग्नि में खुद को भस्म कर लेना इच्छा मृत्यु का एक उदाहरण है। और महाभारत के दौरान भीष्म पितामह को वरदान स्वरूप इच्छा मृत्यु प्राप्त थी। इसी कारण भीष्म पितामह ने सूर्य का उत्तर नारायण होने पर ही अपना प्राण त्यागा ।

इच्छा मृत्यु से जुड़े कानून व्यवस्था:-

भारत में इच्छा मृत्यु से जुड़े कानून व्यवस्था को मंजूरी मिल चुकी है। भारत में अन्य देशों की तरह हि इच्छा मृत्यु से जुड़े कुछ प्रकार के कानून व्यवस्था बनाए गए हैं। अदालत के अपील करने पर सरकार द्वारा इससे जुड़े कुछ कानून बनाए गए हैं। भारत में फरवरी 2015 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा इच्छा मृत्यु को संविधान पीठ में भेज दिया था। परंतु धार्मिक मान्यता वाले देश में सरकार इच्छा मृत्यु की अनुमति देने में असमर्थ थे क्योंकि सरकार का कहना था कि यदि हम किसी व्यक्ति को जिंदगी नहीं दे सकते तो उसे मौत देने का अधिकार भी हमें नहीं है।

भारत में सर्वोच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक निर्णय में आदेश जारी किया जिसमें भारत में निष्क्रिय इच्छामृत्यु की अनुमति दी गई। इस आदेश में एक मरीज को गरिमा के साथ मरने का मौलिक अधिकार घोषित किया गया। 9 मार्च 2018 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी सख्त दिशा-निर्देशो के अनुसार भारत में निष्क्रिय इच्छा मृत्यु को वैध  कर दिया गया है। यह दिशानिर्देश उन रोगियों को अनुमति देता है जो या तो  लाइलाज रूप में बीमार हैं या वनस्पतिक रूप  से जीने की इच्छा के साथ ध्यान देने की अनुमति देते हैं। भारत में इच्छा मृत्यु को एक मरीज के फैसले के एक भाग के रूप में वैध कर दिया गया था।

भारत में इच्छा मृत्यु को वैध बनाने के लिए बनाए गए इस कानून में कोड 309 को खत्म करने के लिए भी कहा, जो आत्महत्या के प्रयास से बचने वाले लोगों को दंडित करता है। भारत सरकार ने दिसंबर 2014 में कानून में सहमत होने के अपने इरादे की घोषणा की थी।

इच्छा मृत्यु के प्रकार:-

यूथेनेसिया यानि की इच्छा मृत्यु को दया मृत्यु भी कहा जाता है। व्यावहारिक रूप में यूथेनेसिया का मतलब अपने जीवन को खत्म करना है। इच्छाओं को दो रूप में बांटा गया है।

1. निष्क्रिय इच्छा मृत्यु

2. सक्रिय इच्छामृत्यु

निष्क्रिय इच्छामृत्यु में कष्ट झेल रहे मरीज का इलाज रोक दिया जाता है जिसके कारण उसकी मृत्यु हो जाती है। निष्क्रिय इच्छा मृत्यु के अंतर्गत मरीज को चिकित्सकों द्वारा दी जाने वाली सुविधा जैसे वेंटीलेटर को हटा दिया जाता है जिसके कारण मरीज की मृत्यु हो जाती है।

सक्रिय इच्छामृत्यु, निष्क्रिय इच्छा मृत्यु के विपरीत होता है। सक्रिय इच्छामृत्यु में मरीज की पूर्ण सहमति के पश्चात चिकित्सकों द्वारा उसे दवा या  जहर का इंजेक्शन देकर मरीज को मृत्यु प्रदान किया जाता है। सक्रिय इच्छामृत्यु भारत के साथ-साथ कई अलग देशों में भी जारी किया गया है। बाकी देशों में इच्छा मृत्यु के निर्णय तय करने के लिए विशेष आयोग को अधिकार प्रदान किया गया है।

उपसंहार:-

संसद द्वारा इच्छा मृत्यु के संबंध में ठोस कानून बनाना बहुत ही आवश्यक हो गया है। भारत जैसे कई अन्य देशों में भी इच्छा मृत्यु के अधिकार को लेकर संवेदनाशिल  है। पूरी दुनिया में निष्क्रिय इच्छामृत्यु को ज्यादा मान्यता दी जाती है क्योंकि इसके अंतर्गत किसी भी प्रकार की दवाइयों का इस्तेमाल नहीं किया जाता , बस इसके अंतर्गत मरीज को दी जाने वाली चिकित्सक सुविधा को बंद कर दिया जाता है, जिसके कारण मरीज की मृत्यु हो जाती है। आज के युग में इच्छा मृत्यु की भावना युवाओं में ज्यादा देखी जा रही है, क्योंकि वे अपनी जिंदगी से तंग होकर आत्महत्या करने की ओर बढ़ने के लिए मजबूर होते दिखाई दे रहे हैं। भारत सरकार के लिए इच्छा मृत्यु से जुड़ी कानून बनाना  एक बहुत कठिन फैसला है। परंतु यह एक हद तक सही भी है, और एक हद तक गलत भी। इसीलिए सरकार द्वारा कुछ ऐसे नियम कानून बनाने चाहिए जिसके अंदर वे लोगों को जीवन जीने के सही मायने के बारे में बता