हम सबको पता है कि भारत में अन्नदाता किसान को ही माना गया है। आज किसानों के कारण हर घर में दो वक्त का भोजन बनता है। किसानों का महत्व भारत में सर्वोपरि माना गया है, वह है तो हर व्यक्ति का जीवन सुखद बीत रहा है। किसान हमारे लिए अपना पूरा जीवन खेती में लगाकर लोगों के लिए अन्न उगते है, उनका सबसे खुशी का वक़्त वो होता है जब उनका फसल उनके सामने लेलहता है। वो दृश्य बहुत ही खूबसूरत होता है। परंतु अगर किसी कारण वश वर्षा ना होने के कारण उनका फसल समय पर नहीं उगता या फिर ज्यादा बढ़ आने के कारण फसल खराब हों जाता है तो वह हतास हो जाते है और अपने जीवन को खत्म करने के बारे में सोचते हैं। क्योंकि किसान की भी जिंदगी फसल उगा कर उन्हें अच्छे दामों में बेचकर चलती है और जब फसल ही नहीं रहेगा तो उनकी जीवन की जरूरतें कैसे पूरी होगी । पूरे भारतवर्ष के इतनी सारी जनसंख्या का अन्य उगाना सिर्फ और सिर्फ किसानों के हाथो में होता है। वह तो अपना कर्तव्य मानकर पूरे देश की जनता की सेवा में लग जाते हैं परंतु लोगों का ध्यान भी किसानों की तरफ नहीं जाता हमें उनका सम्मान करना चाहिए, वह हमारे अन्नदाता है। उनकी परिस्थितियों में सुधार करके उन्हें आत्महत्या जैसे गलत कदम उठाने से रोकना चाहिए।
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किसानों का महत्व:-
प्राचीन काल से लेकर अभी तक किसानों को भारत देश में बहुत ही ज्यादा महत्व दिया गया है। किसानों को सम्मानित करने के लिए 15 अगस्त और 26 जनवरी जैसे बड़े दिन में जिस दिन हमें आज़ादी मिली थी और हमारा संविधान लागू हुआ था, आज भी हम इस शुभ अवसर में जय जवान जय किसान का नारा लगाकर किसानों को समनित किया जाता है और उन्हें ये एहसास दिलाया जाता है कि वह है तभी हमारा देश है। किसान है तो आज हमे अन्न प्राप्त हो रहा है। भारत देश एक कृषिप्रधान देश है, देश के किसान खून पसीना बहाकर दिन रात एक करके फसल उगते है।
भारत में कृषि से जुड़ी समस्या :-
हमारे भारत देश में कृषि से जुड़ी समस्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है किसानों को खेती करने के लिए जमीन की जरूरत होती है परंतु वर्तमान काल में बड़ी-बड़ी फैक्ट्रिया बनने के कारण जमीन का अभाव होते जा रहा है। फसलों की खेती सिंचाई और कटाई का संपूर्ण नियोजन ना होने के कारण भी खेती में समस्या आती है। और कई सारी समस्या को देखते हुए सरकार कृषि ऋण और ब्याज दर कम करके किसानों की आर्थिक रूप से मदद कर रहे हैं। किसानों को उनकी मेहनत का निश्चित खरीद मूल्य नहीं मिलता कृषि समस्या का यह बहुत ही बड़ा कारण बनता जा रहा है , इस पर भी सरकार को ठोस कदम उठाना चाहिए। जो किसान खुद दिन रात मेहनत करके फसल उगाते हैं उन्हें सीधा बाजार में अपना फसल बेचने की अनुमति मिलनी चाहिए। इन सब समस्या का हल निकालने के बाद ही हम किसान को आत्महत्या करने से रोक सकेंगे।
किसान के आत्महत्या करने का कारण :-
किसानों के आत्महत्या करने का कारण बहुत सारे हो सकते हैं। सबसे पहले किसानों ने आत्महत्या करने का कदम 1970 में उठाया था, और आज तक किसानों की मृत्यु का कारण आत्महत्या बन रही है। किसान किस कारण वर्ष यह कदम उठाते हैं-
किसानों की गरीबी :-
पूरी दुनिया में भारतीय किसान सबसे ज्यादा गरीब है। उनके खेती के काम में उन्हें ज्यादा धन भी प्राप्त नहीं होते की वह अपनी इच्छा से कुछ खरीद सकें। उनकी मेहनत का फल उनके खेत में ही लग जाता है। किसान इतने गरीब होते हैं की उनके पास ढंग का छत भी नहीं होता एक छोटे से घर में वह अपना पूरा जीवन बिता लेते हैं। किसानों के पास पहनने के लिए अच्छे कपड़े भी नहीं होते। किसान अपने बच्चे को शिक्षा प्राप्त करने के लिए एक अच्छी स्कूल भी नहीं भेज पाते क्योंकि उनके पास इतना धन नहीं होता कि वह अच्छे पाठशाला में उनका नाम दाखिला करवा सकें। किसानों का पूरा जीवन ही सादगी में गुजर जाता है। कभी-कभी हो या ऐसे जीवन से हताश होकर आत्महत्या का कदम उठा लेते हैं।
फसल का बर्बाद होना :-
खेतों की फसल ही किसानों की जिंदगी के खुश और दुख दोनों का कारण बनता है। किसान अपना जीवन एक कर दिन रात मेहनत करके फसल उगाते हैं। वह मौसम के हिसाब से अपनी फसल को उगाने की प्रतीक्षा करते हैं। जब फसल उगाने का मौसम आ जाता है तो वह बीज होना शुरू करते हैं और दिन रात उसकी रखवाली में वाहा घूमते रहते है कि कोई जानवर आकर उनकी फसल खराब करके ना चले जाए। परंतु जिस मौसम का बेसब्री से इंतजार करते हैं वह मौसम में उनके मृत्यु का कारण बन जाता है। ज्यादा गर्मी और अकाल पड़ने के बाद किसान वर्षा होने का इंतजार करते हैं जिनसे उनकी फसल अच्छे से खेत में लहलहा सके पर मौसम में बदलाव के कारण वर्षा का बहाव तेज हो जाता है और जगह जगह बाढ़ आने लगती है जिसके कारण किसानों का पूरा फसल बर्बाद हो जाता है और यह सब देखते हैं कुछ किसान हार मान जाते हैं और आत्महत्या कर लेते हैं।
जमींदारों के कारण :-
हालांकि या आज ज्यादा नहीं देखा जाता परंतु वर्षों पहले जमींदारों द्वारा किसानों को फसल उगाने के लिए खेत दिया जाता है। किसान के पास इतनी संपत्ति नहीं होती कि वह खुद खेत खरीद कर उसमें किसानी कर सकें उन्हें दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है। जमींदार किसानों को खेत कुछ शर्तों में दिया करते थे ,उनकी फसल का आधा प्रतिशत फसल जमींदारों के नाम कर दिया जाए या फिर और अन्य शर्त। किसानों की फसल में घाटा होने के कारण कभी-कभी वह जमींदारों की मांग पूरी नहीं कर पाते थे और जमींदार उन्हें दिन-रात परेशान कर उन्हें धमकाते थे। कभी-कभी उनसे उनके किसानी और खेत छीन लेने का भी धमकी देते थे। यह सब किसान सहन नहीं कर पाते और वह निराश होकर अपना जिंदगी खत्म कर लेते हैं।
किसान आत्म हत्या को नियंत्रित करने के उपाय :-
किसानों की आर्थिक स्थिति पर सुधार करके हम इस समस्या को नियंत्रित कर सकते हैं। बहुत सारे ऐसे कदम है जो देशवासी और भारत सरकार द्वारा उठाए गए है जिसेसे भारत के किसान कि आत्महत्या पर नियंत्रित किया गया है , जैसे –
- भारत सरकार ने इस समस्या को मद्दे नजर रखते हुए 2006 रिलीफ पैकेज की शुरुवात की थी।
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जिसमें किसानों के लिए बीमा करवाया जाता है।
- महाराष्ट्रीय मनी लांड्रिंग अधिनियम 2008 में सुरु किया गया।
- किसानों की आर्थिक व्यवस्था को देखते हुए उनके बच्चो के लिए सरकारी स्कूल खोले गए।
- प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत किसानों को राहत दी जाती है।
- अलग-अलग राशन कार्ड व गरीबी कार्ड द्वारा उन्हें सुविधा दी जाती है।
निष्कर्ष :-
यह बहुत ही दुख की बात है कि भारत के किसान आत्महत्या करने का गलत कदम उठा रहे हैं। इस समस्या को भारत सरकार द्वारा रोका जा सकता है। कई सारी व्यवस्थाएं निकालने के बाद भी आज ऐसी समस्या उत्पन्न हो ही जाती है कि भारतीय किसान आत्महत्या करते हैं। किसानों की मानसिकता को भी बदलनी होगी जिससे वह समझ सके कि जिंदगी को खत्म कर लेना ही समस्या का निवारण नहीं होता। किसानों को आपने हक के लिए आवाज़ उठाना चाहिए ना की आत्महत्या जैसा कदम उठाना चाहिए। भारत सरकार इस मामले को देखते हुए पुनः ठोस कदम उठाना चाहिए जिससे देश के किसान सुरक्षित रह सके और हमारे देश के कृषि का भार उठा सके ।