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Essay on Freedom Fighters in Hindi

भारत एक बहुत बड़ा स्वतंत्र देश है परंतु इसकी स्वतंत्रता के लिए लाखों लोगों ने प्रयत्न किए हैं जिन का परिणाम आज हम आजादी (Essay on Freedom Fighters in Hindi) से जी कर देख पा रहे हैं। इस आजादी को पाने के लिए लाखों के खून बहे हैं और हजारों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया है। हमारी आजादी के लिए बहुत सारे ऐसे सेनानी थे जो शहीद हो गए जिनमें कुछ के नाम आज भी स्वतंत्रता के नाम पर दर्ज किया गया हैं। जैसे कि महात्मा गांधी, शहीद भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, सुभाष चंद्र बोस, रानी लक्ष्मीबाई, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरोजिनी नायडू, लाला लाजपत राय , आदि लाखों नाम है।

हमारी आजादी को दिलाने में सन 1816 से लेकर की 1947 का लंबा समय लग गया। तथा इस आजादी का जश्न लाखों लाशों पर से चलकर आया है। कुछ ऐसे भी सेनानी हुए हैं जिन्होंने आजादी में अपने परिजन तक को अपने से दूर कर दिया और अपनी मृत्यु को गले लगा ली।

भारत में ब्रिटिश का राज (British Rule in India in Hindi)

यह उन दिनों की बात है जब हमारे भारत देश में ब्रिटिश सरकार का राज हुआ करता था और अंग्रेजी झंडे लहराए जाते थे। हर जगह उनकी जयकारे लगाए जाते थे। यह बात है 1816 की, उस वक्त जब भारत में हर और अंग्रेजों का बोलबाला था हर तरफ ब्रिटिश साम्राज्य फैला हुआ था। अगर किसी हिंदुस्तानी को अपने हक से जीना होता तो उसे सजा का पात्र मिलता था ब्रिटिश सरकार द्वारा। यही सब कारण था कि अंग्रेज बरते गए और हिंदुस्तानी घटते गए। इनका आतंक इतना ज्यादा बढ़ गया कि जब चाहे जिस हिंदुस्तानी को मार दिया जब मन किया किसी भी औरत को उठा लिया जब मन किया किसी का भी शिकार कर लिया। इनके अंदर में रहना किसी पिंजरे के अलावा और कुछ नहीं था। धीरे-धीरे इनका आतंक इतना बढ़ गया कि जो इनके खिलाफ आवाज उठा रहा था उनकी आवाज काट दी जाती थी।

उन्हीं दिनों महात्मा गांधी अपने दौरे पर निकले हुए थे। उन्हीं दिनों उनकी मुलाकात और बातचीत सरोजिनी नायडू व लाला लाजपत राय से हूं तब उन्हें पता चला कि भारत का चलता फिरता कार्य भारत को आगे बढ़ने में रोक रहा है। यही सब सुनकर के महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की जिसके बाद उन्होंने हर उस व्यक्ति को अपने दल में शामिल किया जो अंग्रेजों के शासन के खिलाफ था। धीरे-धीरे कदम बढ़ते गए और आजादी के कदम उठने लगे।

आजादी के जंग में हिस्सेदारी

देखा जाए तो भारत को आजाद होने में बहुत समय लग गया परंतु इन समय में हर कोई अपना अपना सफल प्रयास करता रहा। आजादी की जंग के लिए असीम सेना का निर्धारण किया गया जिसमें बच्चा बूढ़ा जवान आदमी औरत सब हिस्सेदार थे। जिसमें हर कोई आजादी की ओर अपने बढ़ते कदम उठा रहा था। धीरे-धीरे इस जंग में मुस्लिम भी साझेदारी करने लगे। कुछ ब्रिटिश अफसरों ने भी इसमें अपनी हिस्सेदारी की और ब्रिटिश सरकार के राज्यों का पर्दाफाश किया। माना जाता है कि महात्मा गांधी भी ब्रिटिश अफसरों के साथ मिलकर उनके भेदों को खोलने का प्रयत्न किया करते थे।

साल 1836 में भारत छोड़ो आंदोलन का उद्घाटन किया गया जिसके बाद हर कोई ब्रिटिश साम्राज्य (Essay on Freedom Fighters in Hindi) के चीजों को छोड़ने लग गया। लोग उनके बनाए कपड़े नहीं पहनते थे उनका दिया खाना नहीं खाते थे उनके द्वारा दिए काम नहीं करते थे यहां तक कि उनके झंडे का भी आदर नहीं करते थे। उन सब के बीच बस एक भावना थी कि हम सब एक हैं और हमारा तिरंगा केवल हमारे भारत के लिए है। उनका मानना था कि आज तिरंगा जब भारत में पहली पर फहराया जाएगा तब बाकी देश भी हमारे तिरंगे का आदर करेंगे यही सोच के साथ हर रोज कदम बढ़ते जा रहे थे।

भारत छोड़ो आंदोलन का असर

देखा जाए तो हर तरफ भारत छोड़ो आंदोलन का असर फैल चुका था जिसमें वीर शहीद भगत सिंह और पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपने-अपने किरदार बखूबी निभाए। हर किसी के मन में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ ऐसा आक्रोश था जिससे उन्हें मार देने का साहस उत्पन्न हो रहा था। भारतीय सेनानी स्वतंत्रता (Essay on Freedom Fighters in Hindi) की जीत और पुकार को अपने मन में सोचते हुए बाहर निकले और अंग्रेजों पर हमला बोल दिया।

ऐसे ही ना जाने कितने वीर शहीद हो गए जो हमारे भारत को आजाद कराने में अपनी आहुति दे गए उन्हें हमारा भारत हमेशा याद रखने की कोशिश करता है। हम वीर शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को भी नहीं भूले इनके सक्षम प्रयासों से ही आजादी आई है।

भारत के स्वतंत्र सेनानियों का किरदार

भारत में ऐसे तो हर कोई सीधा-साधा रहना पसंद करता है परंतु उस समय जब भारत में अंग्रेजों का राज था तब हर कोई अंग्रेजों के दिए काम और वस्त्र को पहनना अपनी मजबूरी समझते थे। हर कोई अपने अपने तरीके से जीना चाहते थे पर अंग्रेजी शासन के नीचे दबकर वे अपने कदम नहीं उठा पाते। इनमें से कुछ नाम और उनके बारे में मैं आपको बता रही हूं-

1) महात्मा गांधी:- महात्मा गांधी एक ऐसे किरदार थे जो अंग्रेजों के साथ रहकर उनकी रीति और रिवाजों को सीख कर उनके खिलाफ आंदोलन का शुरुआत किया। यह अपने जीवन को अहिंसा को छोड़ने का ज्ञान देते रह गए। हर तरफ इनकी ऐसी लहर थी कि बच्चा भी उनके प्रवचनों को सुनकर अंग्रेजों से अकेले लड़ने का साहस रखने लगा था।

2) भगत सिंह:- भगत सिंह एक ऐसे सेनानी थे जिन्होंने धरती को अपनी पत्नी और आजादी को अपना जीवनसाथी माना था। भगत सिंह का एक ही नारा था इंकलाब जिंदाबाद। इन्होंने ब्रिटिश के अदालत में जाकर उन्हें बता दिया कि यदि भारत और भारतवासी चाहे तो एक चुटकी में उन्हें भारत से निकाल सकते हैं।

3) पंडित जवाहरलाल नेहरू:- उस समय महात्मा गांधी के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने वाले पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा किए गए कई सारे प्रयत्न आज हमें देखने को मिल रहे हैं। भले ही इन्होंने अंग्रेजों के अंदर में रहकर काम किया परंतु उनके मन में जो अंग्रेजों के प्रति आक्रोश था वह आजादी को दिलाने में सहायता करता रहा।

4) रानी लक्ष्मीबाई:- रानी लक्ष्मीबाई भारत की सर्वप्रथम महिला थी जिन्होंने अंग्रेजो के खिलाफ अपनी आवाज को बुलंद किया। इन्होंने मृत्यु के साथ लड़ते हुए अंग्रेजों को मौत के घाट उतार दिया। इनकी प्रशंसा में जितने भी शब्द कहे जाए वह कम ही है। यह एक मराठा थी जिन्होंने भारतवासी को यह संदेश दिया कि कोई किसी से कम नहीं है।

5) सुभाष चंद्र बोस:- सुभाष चंद्र बोस ने हिंसा और अहिंसा के बीच एक ऐसी धारणा को खत्म किया जो ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा उत्पन्न किया गया था। इन्होंने हर किसी को एक समान आदर और सम्मान दिलाया। भारत इनके प्रचार और प्रसार को कभी नहीं भूलेगा इन्होंने हम सबको एक होने का नारा सिखाया है।

उपसंहार

आज जब भारत इतनी तरक्की की और आगे बढ़ रहा है तो उसने उन बलिदानों को भुलाना शुरू कर दिया है। भारत को मिली आजादी को लोग आज जश्न के रूप में मनाते हैं पर किसी को यह तो नहीं पता कि भारत के उन वीरों का क्या नाम है जिन्होंने हमें आज स्वतंत्र होकर जीना सिखाया है। हर कोई आज बीते हुए कल को भूलना चाह रहा है पर हम अपने वीर सेनानियों के बलिदान को कभी नहीं भूल सकते। यदि वह नहीं होते तो आज हम अपने घरों में अपने देश में और अपने महान भारत में कभी भी स्वतंत्रता की सांस नहीं ले पाते।

वर्तमान काल में भले ही लोग अंग्रेजी खानपान और अंग्रेजी पहनावे पसंद करने लग गए हैं परंतु यह कभी नहीं भूला जा सकता कि उन्हीं अंग्रेजों ने हम पर शासन करना चाहा। उन्हीं अंग्रेजों ने हमसे हमारे वीर छीन लिए। उन्हीं अंग्रेजों के कारण आज हमारी धरती के उन मिट्टियों को लाल कर दिया गया है जो कभी हरी-भरी जमीन हुआ करती थी। भले ही दुनिया कितना भी आगे क्यों ना बढ़ जाए पर उनके बलिदान और उनके पराक्रम को कभी नहीं भुलाया जा सकता। जब हम आज के फिल्म स्टार को नहीं भूल सकते तो हमारे जीवन के और हमारे भारत देश के असली हीरो तो यह वीर सेनानी थे जो आज भारत माता की गोद में चैन की नींद सो गए हैं। जब तक भारतवर्ष मे हिंदुस्तानी रहेंगे तब तक उनके बलिदानों (Essay on Freedom Fighters in Hindi) को नहीं बुलाया जा सकेगा और उनके किए हुए कार्य को नहीं हटा सकेंगे और उनके द्वारा दी गई आज़ादी को हम कभी नहीं भूल सकेंगे।