Home निबंध Essay on Gateway of India in Hindi

Essay on Gateway of India in Hindi

भारत अपने आप में एक समृद्ध और खुशहाल देश है। यहां पर ऐसे बहुत सारे तीर्थ स्थान, ऐतिहासिक इमारतें और विचित्र प्रकार के घूमने के स्थान मौजूद हैं। जो कि हमारे भारत देश को सुशोभित करते है। और यह सब स्थान और इमारतें पूरी दुनिया भर में मशहूर है। आज हम आपको अपनी इस आर्टिकल के माध्यम से भारत में मौजूद एक मशहूर और प्रसिद्ध स्मारक “गेटवे ऑफ इंडिया” के बारे में बताने जा रहे हैं। गेटवे ऑफ इंडिया भारत का एक ऐतिहासिक स्मारक है। यह स्मारक साउथ मुंबई के अपोलो बंडार क्षेत्र में अरब सागर के बंदरगाह पर स्थित है। गेटवे ऑफ इंडिया एक बहुत बड़ा सा द्वार है । यह हमारे भारत देश का प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्मारक है। और यह मुंबई के ताज होटल के ठीक सामने ही स्थित है। इसके साथ-साथ गेटवे ऑफ इंडिया भारत के कुछ प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है, और यह दुनिया भर से आने वाले पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का केंद्र है। यह स्मारक देश के प्रमुख बंदरगाहों के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में कार्य करता है। हालांकि यह पर्यटन स्थल होने के कारण यहां पर हमेशा भीड़ जमा होती है, जिसके कारण यह जगह फोटोग्राफी और व्यवसाय जैसे कार्य करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह स्थान विक्रेताओं को व्यवसाय भी प्रदान करती है ,जिसके कारण यह स्थान उनके रोजी-रोटी का प्रमुख साधन हैं।

गेटवे ऑफ इंडिया का इतिहास:-

गेटवे ऑफ इंडिया हमारे भारत देश के प्रमुख ऐतिहासिक स्मारकों में से एक है। गेटवे ऑफ इंडिया का निर्माण 20 वी सदी में हुआ था। वस्तु कला के हिंदू और मुस्लिम दोनों प्रकारों को ध्यान में रखते हुए गेटवे ऑफ इंडिया की आधारशिला मुंबई के राज्यपाल द्वारा 31 मार्च 1911 को रखी गई थी। और इसका निर्माण 1924 में बनकर पूरा हुआ। गेटवे ऑफ इंडिया का निर्माण इंग्लैंड के राजा जॉर्ज पंचम और रानी मैरी की भारत यात्रा करने के पश्चात किया गया था। इन्होंने यहीं से भारत में प्रवेश किया था इसी कारण इस स्थान का नाम गेटवे ऑफ इंडिया रखा गया। राजा जॉर्ज पंचम और रानी मैरी की याद में ही गेटवे ऑफ इंडिया का निर्माण किया गया था।

गेटवे ऑफ इंडिया की लंबाई करीब 26 मीटर ( 85 फीट) ऊंचा है। यह मुंबई में छत्रपति शिवाजी महाराज मार्ग के अंत में अपोलो बंदरगाह क्षेत्र में तट पर स्थित है। गेटवे ऑफ इंडिया को मुंबई का ताजमहल भी कहा जाता है। जिस स्थान पर गेटवे ऑफ इंडिया का निर्माण हुआ है वह पहले एक कच्चा जेट था। यह स्थान पहले मछली पकड़ने के लिए उपयोग किया जाता था। गेटवे ऑफ इंडिया के निर्माण से पहले मुंबई आने वाले लोग इसी स्थान पर नाव से उतरते थे।

गेटवे ऑफ इंडिया को 31 मार्च 1914 को स्कॉटिश वस्तु कार जॉर्ज वीटेट ने रोमन विजय मेहराब और गुजरात की 16 वी शताब्दी के वस्तु कला के तत्वों को मिलाकर संरचना तैयार की थी। जॉर्ज विटेड के डिजाइन प्रस्तुत करने से पहले भी दो लोगों ने गेटवे ऑफ इंडिया को डिजाइन करने का प्रयास किया था ,परंतु उनका डिजाइन फेल रहा। गेटवे ऑफ इंडिया को जो ट्रीटेड द्वारा डिजाइन किया गया है जिसके बाद गेटवे ऑफ इंडिया 1924 में बनकर तैयार हुआ।

गेटवे ऑफ इंडिया की संरचना:-

गेटवे ऑफ इंडिया को स्कॉटिश वस्तु कार जॉर्ज विटेट द्वारा डिजाइन किया गया है। यह मुख्य रूप से इंडो- सरैसैनिक वस्तु कला शैली में निर्मित इस स्मारक का मेहराब मुस्लिम शैली का है और सजावट हिंदू शैली का है। गेटवे ऑफ इंडिया को पीले बेसाल्ट और प्रबलित कंक्रीट से बनाया गया है। यह स्मारक 26 मीटर ऊंचा है और इस स्मारक के अंतर्गत चार मीनारे हैं और पत्थरों पर खोदी गई बारीक पच्चीकारी है। गेटवे ऑफ इंडिया का गूबंद तैयार करने के लिए 21 लाख रुपए का खर्चा आया था। केंद्रीय गूबंद का व्यास 48 फीट है और इसका उच्चतम बिंदु जमीन से 83 फीट है। गेटवे ऑफ इंडिया के स्मारक में लगे पत्थर स्थानीय हैं जबकि इसके छिदृत स्क्रीन को ग्वालियर से लाया गया था।

गेटवे ऑफ इंडिया का निर्माण कार्य गैमन इंडिया लिमिटेड द्वारा किया गया था। कार्य गैमन इंडिया लिमिटेड उस समय के सिविल इंजीनियरिंग के सभी क्षेत्रों में मान्यता प्राप्त भारत की एकमात्र निर्माण कंपनी थी। गेटवे ऑफ इंडिया के मेहराब के प्रत्येक तरफ  600 लोगो की क्षमता वाले बड़े हॉल बने हैं। जब सन 1947 में ब्रिटिश सरकार का राज्य समाप्त हो गया तो यह स्मारक प्रतीक के रूप में एक प्रकार का स्मृति का लेख बन गया।

गेटवे ऑफ इंडिया का महत्व:-

गेटवे ऑफ इंडिया को भारत का एक प्रतीक स्मारक के रूप में जाना जाता है जो कि मुंबई शहर में स्थित है। और इसे मुंबई का दूसरा ताजमहल भी कहा जाता है। भारत को आजादी मिलने के बाद अंतिम ब्रिटिश सेना गेटवे ऑफ इंडिया के द्वार से होकर ही वापस गई थी। इसीलिए अंग्रेज भारत में इस प्रवेश द्वार को ब्रिटिश साम्राज्य की ‘शक्ति और महिमा’ का प्रतीक मानते हैं। इस प्रवेश द्वार के ठीक सामने ही छत्रपति शिवाजी महाराज जी की प्रतिमा है, जो कि मराठों की गर्व और साहस का प्रतीक है। छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा को 26 जनवरी 1961 को भारत के गणतंत्र दिवस के अवसर पर अनावरण किया गया था। गेटवे ऑफ इंडिया के पास के क्षेत्र में एक दूसरी मूर्ति भी स्थित है जो कि स्वामी विवेकानंद की है। स्वामी विवेकानंद की मूर्ति को एक भारतीय मूर्तिकार सीताराम एस आरटे द्वारा बनाई गई है। गेटवे ऑफ़ इंडिया मुंबई की भव्यता को परिभाषित करता है। जो कि ऐतिहासिक और आधुनिक संस्कृतिक वातावरण दोनों की परिणति है।

निष्कर्ष:-

गेटवे ऑफ इंडिया भारत का एक महान ऐतिहासिक स्मारक है । जिसकी वजह से हर साल हजारों पर्यटक यहां घूमने के लिए आते हैं। आज हमने आपको अपने इस आर्टिकल के माध्यम से भारत के मुंबई शहर में स्थित एक ऐतिहासिक स्मारक ‘ गेटवे ऑफ इंडिया’ के बारे में बताया है। आशा है कि आपको हमारे इस आर्टिकल के माध्यम से इसके बारे में काफी जानकारी प्राप्त हुई होगी।

FAQ ( विषय के संबंध में प्रश्न):-

1. प्रश्न:- गेटवे ऑफ इंडिया कहां स्थित है?

उत्तर:- गेटवे ऑफ इंडिया भारत के साउथ मुंबई के अपोलो बंडार क्षेत्र में अरब सागर के बंदरगाह पर स्थित है।

2. प्रश्न:- गेटवे ऑफ इंडिया के निर्माण की शुरुआत कब हुई थी? और यह कब बनकर तैयार हुई थी?

उत्तर:- गेटवे ऑफ इंडिया के निर्माण की शुरुआत 31 मार्च 1911 को हुए थे ।और यह 1924 में पूरा बनकर तैयार हुई।

3. प्रश्न:- गेटवे ऑफ इंडिया का निर्माण किसकी याद में किया गया है।

उत्तर:- गेटवे ऑफ इंडिया का निर्माण इंग्लैंड के राजा जॉर्ज पंचम और रानी मैरी की याद में बनाई गई है।

4. प्रश्न:- गेटवे ऑफ इंडिया को किसके द्वारा डिजाइन किया गया है?

उत्तर:- गेटवे ऑफ इंडिया को स्कॉटिश वस्तु कार जॉर्ज वीटेट द्वारा डिजाइन किया गया है।

5. प्रश्न:- गेटवे ऑफ इंडिया की लंबाई कितनी है ? और इसे बनाने में कितना खर्चा आया था?

उत्तर:- गेटवे ऑफ इंडिया की लंबाई 26 मीटर (85 फीट) है। और इसे बनाने में कुल 21 लाख रुपए का खर्चा आया था।