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Essay on global warming in hindi | ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध हिंदी में

Essay on global warming in hindi

आज के इस लेख में हम लेकर आए हैं Essay on global warming for students. परीक्षाओं में कई बार Students से Global warming पर निबंध पूछा जाता है।

इसलिए Students की जरूरत को ध्यान में रखते हुए Global warming essay in hindi लेकर आए हैं। इस निबंध में हम जानेंगे कि ग्लोबल वार्मिंग क्या होता है।

ग्लोबल वार्मिंग के क्या खतरे है, और ग्लोबल वार्मिंग से कैसे बचा जा सकता है। जरूरत के हिसाब से निबंध को अलग अलग भागों में रखा गया है।

Essay on global warming in hindi (ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध हिंदी में) – (200 Words)

पृथ्वी के तापमान का लगातार बढ़ना ही ग्लोबल वार्मिंग कहलाता है। पृथ्वी के सतह के तापमान पिछले 100 सालों में काफी तेजी से बढ़ा है, जिसका प्रभाव हमें मौसमों में बदलाव के तौर पर देखने को मिल रहा है।

आज हम ऊर्जा के लिए कोयले के ऊपर बहुत निर्भर है।

कोयले की मदद से ही बिजली बनती है। कोयले की मदद से कई काम होते हैं। वही दूसरी तरफ पेट्रोलियम पदार्थ का भी आजकल बहुतायत में प्रयोग होता है।

पूरी दुनियाँ में पेट्रोलियम से चलने वाले वाहनों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। जिस वजह से पेट्रोल और डीजल की खपत भी बहुत ज्यादा हो रही है।

सभी पेट्रोलियम पदार्थ जीवाश्म ईंधन से बने हुए है। जब ये जलते हैं तो वातावरण में बहुत ज्यादा मात्रा में ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन करते हैं।

जिसके परिणाम स्वरूप वातावरण में ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा बढ़ जाती है और ये गैसे सूर्य की अतिरिक्त गर्मी को वातावरण से बाहर नही देती, जिसके फलस्वरूप पृथ्वी का तापमान बढ़ना शुरू हो जाता है।

ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा देने वाली गैसों में सबसे प्रमुख गैस CO2 है। यह गैस पेड़ो के द्वारा अवशोषित की जाती है, लेकिन जंगलों की लगातार कटाई के कारण CO2 गैस का अतिरिक्त उत्सर्जन हो रहा है, जिससे CO2 की मात्रा घटने की वजाय बढ़ रही है।

इसलिए यह बहुत जरूरी है इस गंभीर समस्या की तरफ ध्यान दिया जाए ताकि वक़्त पर उचित कदम उठाए जा सकें।

Essay on global warming in hindi (ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध हिंदी में) – (250 Words)

आज विश्व के तमाम बड़े बड़े वैज्ञानिक इस बात को लेकर चिंतित है कि पृथ्वी का तापमान इतना तेजी से बढ़ रहा है जितना तेजी से पहले कभी नही बढ़ा।

कुछ वैज्ञानिक इसे एक प्राकृतिक घटना के तौर पर देख रहे हैं, जबकि अधिकतर वैज्ञानिकों का मानना है कि यह प्राकृतिक कारणों की वजह से नही बल्कि इंसान जनित कारणों की वजह से हो रहा है।

ग्लोबल वार्मिंग क्या है?

ग्लोब यानी की हमारी पृथ्वी के तापमान में बढ़ोत्तरी होना ही ग्लोबल वार्मिंग कहलाता है। पृथ्वी के सतह के तापमान बढ़ने के कारण वातावरण गर्म हो रहा है जो कि एक चिंता का विषय है।

हालांकि पृथ्वी का गर्म होना या ठंडा होना पहले ही कई बार हो चुका है। लेकिन जब ऐसी घटनाएं प्राकृतिक कारणों की वजह से होती है तो इन्हें होने में एक लंबा वक्त लगता है।

लेकिन जब प्रकृति में परिवर्तन का जिम्मेदार पृथ्वी पर मौजूद सबसे समझदार जीव यानी कि इंसान हो तो यह बहुत बड़ी चिंता की बात बन जाती है।

ग्लोबल वार्मिंग के कारण. (Causes of global warming)

ग्लोबल वार्मिंग के कारण निम्नलिखित है:-

  • जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता.

आज हम अपनी ऊर्जा की सभी जरूरतों को जीवाश्म ईंधन की मदद से पूरा करते हैं। ऊर्जा के लिए कोयला, पेट्रोलियम और गैस का उपयोग करते है, जो कि प्रदूषण फैलाते है।

  • वनों का कटाव

जंगलों को लगातार नष्ट किया जा रहा है, जिसकी वजह से CO2 की मात्रा अवशोषित नही हो पा रही है। साथ ही जो CO2 पेड़ों के अंदर संग्रहित थी वह भी अब वातावरण में आ रही है।

  • खेती और पशुपालन

कई फसल ऐसी होती है, जो ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करती है। वही भेड़ जैसे कई अन्य जानवर भी होते हैं जो ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करते हैं।

ग्लोबल वार्मिंग से कैसे बचें? (How to avoid global warming)

ग्लोबल वार्मिंग से बचने के तरीके निम्नलिखित है:-

  • कोयला और गैस से उत्पादित होने वाली बिजली को कम से कम इस्तेमाल करें। इसकी जगह स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन के स्त्रोत को बढ़ावा दे।
  • अधिक से अधिक पेड़ो को लगाए। वनों के कटाव को रोकें।

निष्कर्ष.

ग्लोब को गर्म होने से रोकना बहुत जरूरी है वरना एक दिन धरती इतनी ज्यादा गर्म हो जाएगी कि जीवन काफी मुश्किल हो जाएगा।

Essay on global warming in hindi (ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध हिंदी में) – (400 Words)

हमारी पृथ्वी दिनोदिन गर्म होती जा रही है, जो एक बहुत बड़ी चुनौती है। यदि पृथ्वी का गर्म होना इसी तरह जारी रहा तो एक दिन पृथ्वी से कई जीवो की प्रजाति विलुप्त हो जाएगी।

अब वक्त आ गया है कि पूरी दुनिया को एक मंच पर बैठकर ग्लोबल वार्मिंग के विषय पर गंभीरता से विचार विमर्श करना चाहिए और इसके निदान हेतु कुछ उपाय करना चाहिए।

ग्लोबल वार्मिंग क्या है?

पिछले 100 सालों के तापमान के अध्ययन के बाद वैज्ञानिकों के द्वारा यह निष्कर्ष निकाला गया है कि हमारी पृथ्वी की सतह दिनों दिन गर्म होती जा रही है।

जिसकी वजह से ध्रुवों पर जमी हुई बर्फ लगातार पिघल रही है, पृथ्वी की जलवायु में भी परिवर्तन आ रहा है, जिसकी वजह से गर्मी के दिनों में बढ़ोतरी हुई है,और ठंड के दिन अब कम होने लगे हैं। धरती के गर्म होने की यही प्रक्रिया ही ग्लोबल वार्मिंग कहलाती है।

ग्लोबल वार्मिंग के खतरे

ग्लोबल वार्मिंग से होने वाले खतरे निम्नलिखित हैं

  • पिघलती बर्फ

ग्लोबल वार्मिंग की वजह से ध्रुवों पर जमी बर्फ पिघल रही है। साथ ही बड़े-बड़े ग्लेशियर भी लगातार पिघलते जा रहे हैं। इनके इनके पिघलने की दर भी काफी तेजी से बढ़ रही है।

यह पानी धीरे-धीरे समुद्र में मिलता जा रहा है जिसकी वजह से समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है। समुद्र के जलस्तर बढ़ने से समुद्र के किनारे बसे शहर और कई देश डूबने के खतरा महसूस कर रहे हैं।

  • भीषण गर्मी

यह ग्लोबल वार्मिंग का ही प्रभाव है, जिससे कि ऐसे देशों में भी अब गर्मी पड़ने लगी है जहां पहले ठंडी का मौसम अधिक हुआ करता था।

यदि भारत की बात की जाए तो यहां भी गर्मी के मौसम की संख्या बढ़ गई हैं। गर्मी के मौसम में तापमान काफी ऊंचा जाने लगा है यह सब ग्लोबल वार्मिंग का ही नतीजा है।

  • जीव जंतुओं के विलुप्त होती प्रजाति

एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से करीब 11000 से भी ज्यादा पेड़ पौधे और जीव जंतुओं की प्रजाति विलुप्त हो चुकी है।

ग्लोबल वार्मिंग के चलते उन्हें जीवन के अनुकूल परिस्थितियां नहीं मिल पाती है जिस वजह से कई जीव विपरीत परिस्थितियों में खुद को नहीं बचा पाए।

ग्लोबल वार्मिंग से कैसे बचे? (Essay on global warming)

ग्लोबल वार्मिंग से लड़ने के लिए विश्व के सभी देशों को एक मंच पर आना होगा कोई भी देश ग्लोबल वार्मिंग जैसी विश्वव्यापी समस्या से अकेला नहीं लड़ सकता है।

इसलिए सभी को मिलकर समुचित उपाय करने होंगे। ग्लोबल वार्मिंग की सबसे बड़ी वजह ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन है जो कि जीवाश्म ईंधन के उपयोग से होता है।

इसलिए पूरी दुनिया को मिलकर कोशिश करनी चाहिए कि जीवाश्म ईंधन का विकल्प खोजें और अपनी ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के लिए सौर ऊर्जा के इस्तेमाल पर अधिक जोर दें।

वनों की कटाई भी ग्लोबल वार्मिंग होने की एक वजह है इसलिए पूरे विश्व को इस ओर ध्यान देना चाहिए और वनों की कटाई से संबंधित कोई एक कठोर कानून बनाना चाहिए ताकि कोई भी वृक्षों को काटने से डरे।

निष्कर्ष.

ग्लोबल वार्मिंग की समस्या का समाधान यही है कि हमें प्रकृति का सम्मान करना चाहिए। पेड़ों की कटाई नही चाहिए। साथ ही जिस प्रकृति ने हमें इतना सब कुछ दिया है, उसके साथ सामंजस्य बैठाना हमें आना चाहिये।

यदि हम सिर्फ अपना फायदा सोचते रहेंगे तो एक मानव सभ्यता नष्ट हो जाएगी। इसलिए सभी के बारे में विचार करना हमारा कर्तव्य है।

Essay on global warming in hindi (ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध हिंदी में) – (500 Words)

प्रस्तावना.

दुनिया के सभी लोग चाहते हैं कि हमें एक स्वस्थ और हरी भरी पृथ्वी मिले जिसकी हवा शुद्ध हो,पानी अच्छा हो, लेकिन इन सब चीजों को स्वच्छ बनाए रखने के लिए कोशिश नहीं करते।

इसी का नतीजा आज हमें ग्लोबल वार्मिंग के रूप में दिखाई दे रहा है। पिछले करीब 100 वर्षो में इंसानों ने प्रकृति के ऊपर एक अत्याचार किया है, जिसका नतीजा आज हमारे सामने हैं। हमने औद्योगिक विकास के नाम पर वातावरण को ग्रीन हाउस गैसों से भर दिया है।

जिनकी वजह से आज हमारी पृथ्वी का तापमान बहुत तेजी से बढ़ रहा है। आज पूरा विश्व समुदाय इस बात को लेकर चिंतित है या किस तरह से इस गंभीर चुनौती से निपटा जाए।

ग्लोबल वार्मिंग का कारण (Causes of global warming)

ग्लोबल वार्मिंग मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड और कई ग्रीन हाउस गैसों की उपस्थिति के कारण होता है। जब इन गैसों की अत्यधिक मात्रा वायुमंडल में उपस्थित होती है तो यह सूर्य के प्रकाश को अपने अंदर अवशोषित कर लेती हैं।

यदि इन गैसों की मात्रा वायुमंडल में सामान्य होती तो सूर्य की यही ऊर्जा वापस अंतरिक्ष में चली जाती लेकिन ग्रीन हाउस गैसों के द्वारा अवशोषित किए जाने के कारण यह ऊर्जा पृथ्वी में ही बनी रहती है जिसकी वजह से पृथ्वी गर्म हो जाती है।

इसी घटना को विज्ञान की भाषा मे ग्रीन हाउस इफ़ेक्ट कहा जाता है। पृथ्वी में ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने की सबसे बड़ी वजह ग्रीन हाउस इफ़ेक्ट ही है।

ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव (Effects of global warming)

ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव निम्नलिखित हैं

मौसम का असामान्य व्यवहार
कई वैज्ञानिकों ने पाया है कि पृथ्वी का तापमान बढ़ने की वजह से पृथ्वी पर ऊर्जा की गर्म लहर बहती हैं। जिनकी वजह से हवा का तापमान काफी ज्यादा हो जाता है।

इसी वजह से कई तरह के तूफानों का जन्म होता है। कभी-कभी अचानक भारी बारिश हो जाती है।

यह ग्लोबल वार्मिंग का ही प्रभाव है।

जमी बर्फ का पिघलना
ग्लोबल वार्मिंग का सबसे ज्यादा असर हिमखंडों में देखने को मिला है। ऐसे हिमखंड और ग्लेशियर पिघल कर पानी में बदल चुके हैं जो कि लाखों सालों से उसी जगह पर बर्फ के रूप में जमे थे।

अंटार्कटिका प्रायद्वीप पिछले 50 सालों में करीब 8000 वर्ग किलोमीटर घट चुका है यह बर्फ पानी में बदल चुका है।

गर्म लहरों के बहना.
पृथ्वी के तापमान बढ़ने का असर गांव,शहर, जंगल सभी जगह देखने को मिलता है। गर्मी के मौसम में गर्म लहर इतनी ज्यादा बहती हैं कि यदि कोई व्यक्ति उनका शिकार हो जाए तो उसकी मृत्यु भी हो सकती है।

गर्मी के दिनों में जहां का तापमान 45 डिग्री के आसपास हुआ करता था आज वहां तापमान बढ़कर 55 डिग्री तक चला जाता है।

ग्लोबल वार्मिंग से कैसे बचें?

निम्नलिखित तरीको को अपनाकर इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है:-

  • लोगो से बात करें।

दुनियाँ की यह सच्चाई की प्रकृति से जुड़ी चीजों को आम इंसान अपनी जिम्मेदारी नही समझता है। इसलिए अपने दोस्तों से, रिश्तेदारों से बात करें और उनके समस्या से अवगत कराएं। इसके दुष्परिणाम के बारे में बताए। उन्हें यह भी जानकारी दें कि वो अपने स्तर पर क्या कर सकते हैं।

अपने घरों में ऐसे उपकरणों का उपयोग करें जो ऊर्जा का दोहन कम मात्रा में करते हो। इससे ऊर्जा की बचत होगी जिससे ऊर्जा का उत्पादन कम करना पड़ेगा।

  • घर मे ग्रीन ऊर्जा को बढ़ावा दे।

यदि संभव हो सकें को अपने घर की ऊर्जा जरूरत को पूरी करने के लिए सौर पैनल का उपयोग करें। इससे आपके बिजली बिल की बचत भी होगी और वातावरण भी स्वच्छ रहेगा।

  • पानी को व्यर्थ न बहाए।

यदि आप पानी को बचाएंगे तो इससे कार्बन कम मात्रा में बनेगा। असल मे पानी को खींचने, चढ़ाने में मशीन का उपयोग करना पड़ता है जो कि बिजली या तेल से चलती है। यदि पानी कम इस्तेमाल करेंगे तो कम बिजली का इस्तेमाल होगा।

  • अच्छे वाहनों का इस्तेमाल करें.

तेल से चलने वाली कार की जगह हो सके तो गैस या बिजली से चलने वाली कार चलाएं। इस बात को आप खुद सुनिश्चित करें कि आपका वाहन वातावरण पर बुरे प्रभाव न के बराबर छोड़ता हो।

  • खाना व्यर्थ में न फेके।

खाने को बनाने में और फिर उसे सुरक्षित रखने में काफी ऊर्जा का व्यय होता है लेकिन वही खाना जब फेक दिया जाता है तो खाना और ऊर्जा दोनों का नुकसान हो जाता है।

  • कार्बन का उत्सर्जन कम करें.

इस बात को समझना चाहिए कि हम सबका छोटा सा योगदान भी मिलकर एक बड़ा परिवर्तन ला सकता है। इसलिए कोशिश करिए कि दिन भर में कम से कम कार्बन का उत्सर्जन करें।

उपसंहार.

ये पृथ्वी और यहां का वातावरण एक अनमोल तोहफा है जिसे कुदरत ने हमें दिया है। आज पृथ्वी जिस रूप में है वैसा बनने में इसे लाखों वर्ष लगे है। इसलिए सिर्फ कुछ वर्षों में इसे बदलकर नही रख देना चाहिये।

पृथ्वी पर सिर्फ हमारा अधिकार नही है बल्कि उन सभी जीवों का है जो किसी न किसी तरीके से इसे जीवांत बनाये रखने में योगदान दे रहे हैं।