भारत एक ऐसा देश है जहां पर हर कोई एक शासन और प्रशासन के बीच में अपना जीवन बिताते हैं। वैसे तो सरकार अपनी अच्छी गवर्नेंस ई की मदद से लोगों तक सुविधाएं और उनकी परेशानियों को हल करने की कोशिश कर रहे हैं। भारत सरकार के वैसे तो बहुत अच्छे-अच्छे कारनामे हैं जिनसे देश गर्वित महसूस करता है ।भारत देश में वैसे तो सरकार बहुत समय से है परंतु सरकार होना और एक अच्छी सरकार होना बहुत जरूरी है।अगर कोई व्यक्ति सरकार के कहे मुताबिक पर उसके द्वारा दिए गए शासन की राह पर नहीं चलता तो उसे दंडित किया जाता है। अपने शासन के तरीके से चलाना ही एक सुशासन है क्योंकि उसकी मदद से ही लोग अपने फैसले सही और अच्छी तरीके से निभाते हैं। एक अच्छी सरकार और सुशासन की मदद से भारत को उच्च स्तर तक पहुंचाया जा सकता है परंतु यदि हमारी सरकार सुशासन के विरुद्ध हो तो क्या होगा?वैसे तो हर सरकार अपने अपने हिसाब से अपने देश को सही तरीके से लाने की कोशिश करता है परंतु सुशासन का अर्थ इससे बिल्कुल भी नहीं मिलता जुलता तो चलिए हम लोग जान लेते हैं क्या है सुशासन।
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सुशासन क्या है :-
शासन’ निर्णय लेने की एवं जिसके द्वारा निर्णय लागू किये जाते हैं, यह शासन कहलाता है । वर्ष 1992 में ‘शासन और विकास’ नामक रिपोर्ट में विश्व बैंक ने सुशासन अर्थात् ‘गुड गवर्नेंस’ की परिभाषा तय की। इसने सुशासन को ‘विकास के लिये देश के आर्थिक एवं सामाजिक संसाधनों के प्रबंधन में शक्ति का प्रयोग करने के तरीके’ के रूप में परिभाषित किया। सुशासन, पारदर्शी, उत्तरदायी, प्रभावी एवं कुशल, न्यायसंगत और समावेशी होने के साथ-साथ ‘कानून के शासन’ का अनुसरण करता है।यह विश्वास दिलाता है कि भ्रष्टाचार को कम-से-कम किया जा सकता है, इसमें अल्पसंख्यकों के विचारों को ध्यान में रखा जाता है और निर्णय लेने में समाज में सबसे कमज़ोर लोगों की आवाज़ सुनी जाती है।
यह समाज की वर्तमान एवं भविष्य की ज़रूरतों के लिये भी उत्तरदायी है।
सुशासन के आधार:-
सुशासन के आधार को मजबूत करने के लिये भारत में कुछ सुधार की आवश्यकता है। सुशासन की प्राशमिकता को समझते हुए भारत में संवैधानिक और प्रशासनिक सुधारों को मान्यता देनी चाहिये। संविधान के 73 वें एवं 74 वें संशोधन के माध्यम से लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकरण को जिस तरह स्थापित किया गया है, उसे गुंणवत्ता प्रदान करनी चाहिये। व्यवस्थापिक एवं कार्यपालिका की तरह न्यायपालिका को भी सुशासन के हित में जवाबदेह बनाना चाहिये। लोक सेवा आर्पूति की गुणवत्ता में सुधार आने से सुशासन का आधार मजबूत होगा।
25 दिसंबर 2014 को भारत सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के 90 वें जन्मदिन को सुशासन दिवस के रूप में मनाया गया था। इस अवसर पर जनता के लाभ के लिए अनेक योजनायें शुरू की गईं। इसी के साथ सुशासन सभी रेडियो एवं टीवी चैनलो पर चर्चा का विषय बना और सुशासन शब्द जन-जन की जुबान पर छाया रहा।
सुशासन का महत्व:-
सुशासन की उपादेयता एवं इसके महत्व को समझते हुए ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने इसे ‘सुराज’ के रूप में प्रतिपादित किया। वस्तुतः उनकी ‘सुराज’ की अवधारणा ‘सुशासन’ की ही अवधारणा थी। महात्मा गांधी ने भारत में रामराज्य की कल्पना की थी। यह नाम गांधीजी ने स्वयं दिया था और समय-समय पर इसकी व्याख्या भी की थी। गांधीजी के अनुसार रामराज्य एक ऐसा राज होगा, जिसमें लोक कल्याण की भावना प्रबल होगी। इसमें सामाजिक विषमता, अस्पृश्यता, शोषण, हिंसा इत्यादि का नामोनिशान नहीं होगा। रामराज्य के विषय में उनका कहना था कि धार्मिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से इसे पृथ्वी पर ईश्वर का राज्य कहा जा सकता है। राजनीतिक दृष्टि से यह एक ऐसा लोकतांत्रिक शासन होगा, जिसमें सम्पत्ति के होने या न होने का और रंग, जाति, धर्म, लिंग के भेदों पर आश्रित समस्त विषमताओं का अंत हो जाएगा।
सुशासन की मदद से ही देश में होने वाले अपराध और घटनाएं कम हो सकती है यदि सरकार सुशासन को कड़ाई से लागू कर दे तो हर किसी को उनकी बात माननी पड़ेगी। अधिकतर लोग कानून की बातों को नजरअंदाज कर देते हैं परंतु वह यह नहीं समझते कि कानून हमारे लिए ही बना है और हम अगर इसे तोड़ेंगे तो हमें सजा मिलता है। सुशासन के वजह से ही देश में वह सारे बदलाव आने जैसे कि भेदभाव की चीजें हट गई और बुरी घटनाएं होना बंद हो गई छेड़छाड़ बंद हो गई यह सब सुशासन के महत्व के कारण ही है।
सुशासन और कुसाशन में अंतर:-
कुशासन और सुशासन नहीं वैसे तो बहुत बड़ा अंतर है क्योंकि कुशासन सारी गलत कामों को बढ़ावा देता है जबकि सुशासन अच्छे रास्ते दिखा करके मेहनत का रास्ता दिखाता है। कुशासन और सुशासन है जमीन आसमान का फर्क है कुशासन का महात्मा इसीलिए नहीं माना जाता है कोई शासन के अंतर्गत हर प्रकार के अपराध और जुर्म जैसी चीजें होती हैं जबकि सुशासन के अंदर विनम्र और अच्छी चीजें होती है। कुशासन और सुशासन दोनों ही एक दूसरे के बिल्कुल विपरीत है जहां कुशासन कुमति वाले लोगों के लिए काम आता है वही पर सुशासन हर व्यक्ति को एक समान देख करके उनकी सेवा करता है। भारतीय सरकार द्वारा 1990 में लागू किया गया सुशासन आज भी भारत देश में जीवित है और इसी की सहारे पर भारत का पूर्व संविधान चल रहा है।
निष्कर्ष:-
भारत सरकार द्वारा बनाया गया यह ऐसी नीति है जो हर कोई अपना सकता है सुशासन के अंदर आपको हर प्रकार की सुविधाएं प्राप्त होती है जबकि कुछ ऐसे भी लोग हैं जो इनका गलत फायदा उठाते हैं। सरकार द्वारा लागू किया गया क्या ऐसा अभियान है जिसमें यदि हर कोई हाथ मिलाए तो एक अच्छे भारत को बनने में बहुत सहारा मिलेगा।हर कोई यदि अपने अपने अपराधों और गलत कार्यों को छोड़कर के सुशासन की निधि को अपना ले तो भारत देश से अपराध और दुश्मनी जैसी चीजें हमेशा हमेशा के लिए खत्म हो जाएंगी और सब मिल जुल कर रहना पसंद करने लगेंगे। ज्यादातर लोग सुशासन के विपरीत होते हैं क्योंकि उन्हें अपनी मनमर्जी और अपने मुताबिक काम करने की छूट नहीं मिलती परंतु यह चीज भूल जाते हैं कि अगर सुशासन देश से हट गया तो हर कुछ अपराध में बदल जाएगा कोई किसी की बात नहीं मानेगा हर कोई एक दूसरे का शत्रु हो जाएगा।
FAQ
1. सुशासन क्या है?
उत्तर:- सुशासन का अर्थ होता है अच्छी और आसान तरीकों से देश की सुरक्षा और उसका दायित्व संभालना।सुशासन भारतीय सरकार और नियुक्ति करता द्वारा निर्धारित किया जाता है।
2. सुशासन की कौन-कौन सी विशेषताएं हैं?
उत्तर:-सुशासन, पारदर्शी, उत्तरदायी, प्रभावी एवं कुशल, न्यायसंगत और समावेशी होने के साथ-साथ ‘कानून के शासन’ का अनुसरण करता है।
3. सुशासन और कुशासन में क्या अंतर है?
उत्तर:-सुशासन का अर्थ होता है अच्छे और मेहनती तरीके से अपने मुकाम तक पहुंचा जबकि को शासन का अर्थ होता है अपराध और जिन की दुनिया से होते हुए अपने मकसद को हासिल करना।
4. शासन क्या है?
उत्तर:- शासन’ निर्णय लेने की एवं जिसके द्वारा निर्णय लागू किये जाते हैं, यह शासन कहलाता है ।
5. सुशासन का महत्व क्या है?
उत्तर:-देश को स्थाई रूप और सरल तरीके में चलाने के लिए सुशासन का सबसे महत्व है और इसकी मदद से ही भारत देश में हर प्रकार की सुख सुविधाएं निर्धारित कराए जाते हैं।