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Essay On Importance Of Hard Work in Hindi | परिश्रम का महत्व पर निबंध हिंदी में

Essay On Importance Of Hard Work in Hindi

Essay On Importance Of Hard Work in Hindi: परिश्रम का महत्व हमारे जीवन मे कितना अधिक है यह हम सब भलीभांति जानते हैं, खासकर विद्यार्थी। परिश्रम के बिना छोटी सी सफलता भी हासिल नही कर सकते।

परिश्रम का महत्व पर निबंध में हम आज जानेंगे कि परिश्रम क्या है, परिश्रम के प्रकार, कैसे परिश्रम भाग्य बदल सकता है, परिश्रम के लाभ, परिश्रम का दुश्मन आदि।

Essay On Importance of HardWork in Hindi यानी परिश्रम का महत्व पर निबंध सभी कक्षाओं के लिए है। इसे कक्षा 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10,11 और 12 के विद्यार्थी उपयोग कर सकते हैं।

Essay On Importance Of Hard Work in Hindi | परिश्रम का महत्व पर निबंध हिंदी में (300 Words)

प्रस्तावना

किसी व्यक्ति की सफलता में परिश्रम का उतना ही योगदान है जितना जीवित रहने के लिए भोजन का। परिश्रम को सफलता की कुंजी कहा है। आज तक दुनियाँ में कोई भी अकस्मात सफल नही हुआ है।

इतिहास उठाकर देखें तो पता चलता है कि सफलता पाने के लिए सही दिशा में किया जाने वाला परिश्रम कितना जरूरी है।

परिश्रम की परिभाषा

परिश्रम को यदि आसान शब्दों में परिभाषित (Essay On Importance Of Hard Work in Hindi) किया जाए तो यह कहा जा सकता है कि किसी काम को करने में हमारे द्वारा किया जाने वाला श्रम ही परिश्रम कहलाता है।

वैसे तो हर व्यक्ति कुछ न कुछ परिश्रम जरूर करता है लेकिन फर्क इस बात से पड़ता है कि कौन कम परिश्रम करता है और कौन अधिक।

परिश्रम की मात्रा यह तय करती है कि हम कितना जल्दी सफल हो पायेंगे। हम जितना अधिक परिश्रम करेंगे, सफलता मिलने में उतना ही कम वक्त लगेगा।

परिश्रम के प्रकार |Types of Hard Work.

परिश्रम मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं। वह परिश्रम जिसमें हम अपनी शारीरिक अंगों का उपयोग करते हैं शारीरिक परिश्रम कहलाता है। शारीरिक परिश्रम आमतौर पर मजदूर वर्ग के लोग सबसे अधिक करते हैं।

वही जिसमें हम अपनी मानसिक एवं बौद्धिक क्षमताओं का उपयोग करते हैं और मानसिक परिश्रम कहलाता है। मानसिक परिश्रम, शारीरिक परिश्रम की तुलना में ज्यादा कीमती होता है।

किसी भी नई चीज के निर्माण में शारीरिक और मानसिक परिश्रम (Essay On Importance Of Hard Work in Hindi) दोनों करना पड़ता है। पहले मानसिक परिश्रम किया जाता है उसके बाद उसे वास्तविक रूप देने के लिए शारीरिक परिश्रम किया जाता है।

निष्कर्ष

परिश्रम के बिना जीवन पशु के समान है। एक पशु भी अपने भोजन के लिए ही बस परिश्रम करता है। यदि हम भी सिर्फ इतने के लिए ही परिश्रम करेंगे तो फिर हममें और जानवर में क्या अंतर रह जाएगा।

इसलिए यह जरूरी है कि अपने जीवन मे कुछ ऊँचे लक्ष्य बनाएं और फिर उन्हें हासिल करने के लिए पूरे दिल से परिश्रम करें।

Essay On Importance Of Hard Work in Hindi | परिश्रम का महत्व पर निबंध हिंदी में (500 Words)

प्रस्तावना

परिश्रम के बिना जीवन का कोई सार नही है। जीवन का दूसरा नाम ही परिश्रम है। जो व्यक्ति परिश्रम और पुरुषार्थ करता है वह कभी भी खुद को असहाय महसूस नही करता, भले ही परिस्थिति (Essay On Importance Of Hard Work in Hindi) कितनी भी विकट क्यों न हो।

इस संसार में जितने भी जीवधारी हैं वह परिश्रम के बिना जीवित नहीं रह सकते। परिश्रम ही जीवन का मूल आधार है।

जंगल में रहने वाले जीव भूखे मर जाएंगे यदि अपने भोजन, पानी के लिए परिश्रम नहीं करेंगे। चीटियाँ अपने भोजन एवं जीवनयापन के लिए दिन रात परिश्रम करती हुई दिखाई देती हैं।

यदि बात मनुष्यों की की जाए तो यहां जरूर हमें आलस्य नाम का एक शब्द दिखाई देता है। कुछ मनुष्य आलसी प्रवृत्ति के होते हैं लेकिन फिर भी अपने स्तर पर कुछ ना कुछ श्रम जरूर करते हैं।

परिश्रम है जरूरी

जीवन में सफलता हासिल करने का रास्ता परिश्रम से ही गुजरता है। लेकिन सिर्फ सफल होने के लिए ही परिश्रम नही करना पड़ता बल्कि एक साधारण जीवन जीने के लिए भी हमें श्रम करना पड़ता है।

हम सफल हो या असफल दोनों ही परिस्थिति में हमें परिश्रम जरूर करना पड़ता है, लेकिन यदि सफल होना है तो हमें ज्यादा परिश्रम करना पड़ेगा।

परिश्रम के बल पर ही आज हम ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों के सीने को चीरते हुए उनसे रास्ता निकाल देते हैं। नदियों का रुख मोड़ कर सूखे स्थानों में भी पानी पहुंचा सकते हैं।

बंजर भूमि को उपजाऊ बना सकते हैं, हजारों किलोमीटर के सफर को बस कुछ ही घंटों में पूरा कर सकते हैं। यदि इंसान परिश्रमी नहीं होता तो हम कई सुविधाओं से वंचित रहते।

परिश्रम भाग्य बदल सकता है।

भाग्य और मेहनत को लेकर हमेशा ही यह बहस होती रहती है कि दोनों में कौन अधिक बलवान है। हर किसी के अपने अपने मत है। कोई भाग्य को बलवान मानता है तो किसी के लिए परिश्रम ही सब कुछ है।

गहराई से समझने पर यह प्रतीत होता है कि दोनों का अपना-अपना महत्व है। भाग्य जहाँ संचित पूंजी की तरह है वही परिश्रम रोज की मेहनत से आने वाली पूंजी की तरह।

यदि कोई लंबे वक्त से गरीबी झेल रहा है लेकिन वह प्रतिदिन कमाई के लिए श्रम करता है तो एक दिन जरूर आएगा जब वह गरीबी दूर कर लेगा।

ठीक इसी तरह यदि किसी का भाग्य खराब है, पर यदि वह सही दिशा में मेहनत कर रहा है तो कभी न कभी उसे की गई मेहनत का सकारात्मक फल जरूर मिलेगा, क्योंकि कर्म कभी मिटता नही है, उसका परिणाम सदैव मिलता है, फिर चाहे वह अच्छा कर्म हो या बुरा।

आलस्य है परिश्रम का दुश्मन

परिश्रम का सबसे बड़ा शत्रु आलस्य है। जिस व्यक्ति के मन मस्तिष्क में आलस्य है, वह परिश्रम करने से बचता रहता है।

उसकी सोच यह रहती है कि बिना श्रम किये ही उसे सभी सुख सुविधाओं की सामग्री मिल जाए। पर ऐसी सोच व्यक्ति के विकास को रोक देती है और वह पतन की तरफ अग्रसर हो जाता है।

आलसी व्यक्ति कभी भी परिश्रमी नही हो सकता। आलसी व्यक्ति जीवन मे सिर्फ उतना ही हासिल कर पाता है जो उसे आसानी से मिल जाता है। उसमें संघर्ष करने की शक्ति नही होती।

इसलिए परिश्रमी व्यक्ति को आलस्य से दूर रहना चाहिये। दिन भर खूब मेहनत करनी चाहिए ताकि रात को सुकून की नींद आ सकें।

उपसंहार

आजकल युवाओं में आलस बहुत अधिक देखने को मिलती है। सुख सुविधाओं की सभी चीज़े उन्हें आसानी से मिल जाती है इसलिए इनके अंदर मेहनत करने की भावना कम होती जा रही है जो कि चिंता का विषय है।

युवाओं को यह सोचना चाहिए कि इस जीवन का सार्थक उपयोग करें। आँखों मे कुछ सपना पालें फिर उसे हासिल करने के लिए मेहनत करें।

Essay On Importance Of Hard Work in Hindi | परिश्रम का महत्व पर निबंध हिंदी में (1000 Words)

प्रस्तावना

जीवन मे सफलता और खुशहाली हासिल करने का एक मात्र तरीका परिश्रम करना है। भर्तहरि ने परिश्रम के संबंध में एक श्लोक कहा है कि

उद्यमे नहि सिध्यंति
कार्याणि ना मनोरथि :।
न हीं सुप्तस्य सिहंसय,
प्रविशन्ति मुखे मर्गा।

अर्थात – सिर्फ मन मे कामना कर लेने भर से कोई कार्य सम्पन्न नही हो जाता है, उसके लिए हमें कठिन परिश्रम करना पड़ता है, ठीक उसी तरह जैसे सोए हुए सिंह के मुख पर मृग खुद नही आ जाता।

धार्मिक ग्रंथों में परिश्रम को जीवन परिवर्तन करने वाला सबसे बड़ा कारक माना गया है। भगवत गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कर्म योग की व्याख्या की है, जिंसमे उन्होंने कर्म के फल और उसके महत्व को बहुत विस्तार से बताया है।

परिश्रम का महत्व | Importance of Hardwork

परिश्रम का महत्व का वर्णन बस कुछ शब्दों में करना असंभव है क्योंकि इसके महत्व की कोई सीमा ही नही है। यदि किसी व्यक्ति के जीवन मे परिश्रम है अर्थात वह परिश्रम करने से नही डरता तो उसके लिए कोई भी काम असंभव नही है।

वह हर असंभव लगने वाले काम को संभव बना सकता है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि इस दुनियाँ में कोई भी काम असंभव नही है, यदि जरूरत है तो बस सही दिशा में किए जाने वाले परिश्रम की।

क्योंकि परिश्रम के बिना तो हम खाना भी नही खा सकते, उसके लिए भी हमें चबाना पड़ता है, तो बाकी सभी कार्य तो बहुत दूर है।

इतिहास और वर्तमान इस बात का साक्षी है कि परिश्रमी व्यक्ति सब कुछ पा सकता है, उसके लिये कोई सीमा नही है। परिश्रमी व्यक्ति के लिए संभावनाएं उतनी ही असीमित है जितना आकाश हमारे लिए है।

परिश्रम से न सिर्फ धन, संपदा की प्राप्ति होती है, बल्कि साथ मे यश, कीर्ति, सुख और आनंद की प्राप्ति भी होती है।

परिश्रमी व्यक्ति अपने परिश्रम से न सिर्फ अपना भला करता है बल्कि अपने साथ-साथ समाज और देश का भी भला करता है।

एक परिश्रमी व्यक्ति यदि किसी अच्छे पद कर आसीन है तो वह देश और समाज के लिए कई बड़े बदलाव कर सकता है।

परिश्रम का वास्तविक स्वरूप

हम सब इस उलझन में रहते हैं कि आखिर परिश्रम का वास्तविक स्वरूप क्या है? किसी को अपने जीवन मे कब तक परिश्रम करना चाहिए, और क्या परिश्रम के बिना भी जीवन चल सकता है?

इन सभी प्रश्नों का उत्तर श्री कृष्ण ने भगवत गीता में दिया है कि

”कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन: ।”

अर्थात- इंसान का अधिकार सिर्फ कर्म करने में है, फल की कामना करने से कोई लाभ नही होगा क्योंकि फल कैसा मिलेगा यह इंसानों के हाथ मे नही है।

इस श्लोक का अर्थ जानने के बाद यह प्रश्न उठता है कि क्या परिश्रम करना फिर व्यर्थ है? पर ऐसा नही है। हम अपने जीवन मे हर पल कोई न कोई कर्म जरूर कर रहे होते हैं, फिर हम चाहे लेटे ही क्यों न हो।

इसलिए श्री कृष्ण ने कहा है कि हमें बिना परिणाम की चिंता किये बस परिश्रम और कर्म करते रहना चाहिए। यदि मन मुताबिक परिणाम नही भी मिलते हैं तो भी परिश्रम करने से मुंह नही फेरना चाहिए।

परिश्रम के लाभ | Advantages of Hard work.

हम सब जानते हैं कि सफलता पाने का कोई आसान रास्ता नही है। सफलता सिर्फ और सिर्फ परिश्रम के बल पर ही पाई जा सकती है।

सफलता पाने का यह नियम ऐसे युवाओं के लिए एक संदेश है जो सफलता पाना तो चाहते हैं लेकिन मेहनत करने से घबराते हैं।

आज के लोगो का रहन-सहन बहुत आरामदायक हो गया है जिससे लोग आलसी स्वभाव के बन गए हैं। लेकिन युवाओं को यह समझना होगा कि परिश्रम के बिना सफलता नही मिलती है।

परिश्रम से होने वाले कुछ प्रमुख लाभ निम्नलिखित है:-

नई चीजें सीखते हैं।

जैसा कि हम सब जानते है कि आज का जमाना प्रतिस्पर्धा का दौर है। ऐसा कोई क्षेत्र नही है जहाँ प्रतिस्पर्धा नही हो।

ऐसे में कोई भी व्यक्ति किसी जगह पर तभी तक स्थायी रह सकता है जब तक वह उस जगह के लायक होगा। इसके लिए जरूरी है कि वह खुद को हमेशा और बेहतर बनाने की कोशिश करता रहे।

लेकिन जब तक हम परिश्रम नही करेंगे तब तक हम खुद में कोई सुधार नही कर सकते। खुद में नए बदलाव लाने की लिए और वर्तमान चुनौतियों का सामना करने के लिए जरूरी है कि हम परिश्रम करने के लिए तैयार रहें।

स्थायी सफलता मिलती है.

किस्मत के बल पर कोई क्षणिक सफलता पा सकता है लेकिन स्थायी सफलता सिर्फ परिश्रम के बल पर ही मिलती है। परिश्रमी व्यक्ति कभी भी अपनी असफलता का दोषी किस्मत को नही मानता।

वह खुद में उन कमियों पर गौर करता है जिनकी वजह से असफलता मिली है। उसके बाद इन पर काम करता है और सफलता मिलने तक कोशिश करता रहता है।

परिश्रम का बीज कभी व्यर्थ नही जाता है। आज की गई परिश्रम का फल कभी न कभी जरूर मिलता है। इसलिए परिश्रम करने के बाद जो सफलता मिलती है वह स्थायी रहती है।

यदि परिश्रम करने के बाद भी कोई असफल हो रहा है तो निराश नही होना चाहिए, क्योंकि हमारे द्वारा की गई मेहनत का परिणाम कभी न कभी जरूर मिलेगा।

नए अवसर बनते हैं.

परिश्रमी व्यक्ति कभी भी अवसर आने का इंतजार नही करता है बल्कि वह खुद अपने लिए अवसर बनाता है। अच्छे अवसर की तलाश में बैठे रहना यह आलसी प्रवत्ति के लोगो का काम है।

जो व्यक्ति मेहनती है और अपने मेहनत के बल पर कुछ हासिल करना जानता है वह अपनी सफलता का रास्ता खुद तैयार करता है। ऐसा नही है कि उसकी राह में कोई मुश्किल नही आती या वह परेशान नही होता।

लेकिन अपने परिश्रमी स्वभाव के कारण सभी मुश्किलों से वह पार पा जाता है और सफलता प्राप्त करता है।

सकारात्मकता बनी रहती है.

परिश्रमी व्यक्ति के जीवन मे भले ही कितनी बड़ी मुश्किलें आ जाएं वह विचलित नही होता। वह थोड़ी देर के लिए परेशान हो सकता है लेकिन उस परिस्थिति में भी सकारात्मकता बनी रहती है।

खुशहाल जीवन जीने के लिए सकारात्मक नजरिया रखना बहुत जरूरी है क्योंकि हर दिन किसी न किसी चुनौती से जूझते हैं। ऐसे में यदि हमारा दृष्टिकोण नकारात्मक है, तो कभी खुश नही रह पाएंगे।

अच्छे चरित्र का निर्माण होता है.

मेहनत करने से व्यक्ति के अंदर अच्छे चरित्र का निर्माण होता है। मेहनती व्यक्ति मेहनत के महत्त्व को समझता है, इसलिए वह कभी किसी के साथ धोखा नही करता।

सफलता पाने के लिए कोई गलत तरीका नही अपनाता और सिर्फ उतनी ही चीजों पर अपना अधिकार जताता है, जितना उसने अपनी मेहनत से हासिल किया है।

परिश्रमी स्वभाव के व्यक्ति कभी भी परिस्थिति के सामने झुकते नही है, खुद को कमजोर और असहाय महसूस नही करते। ये सभी गुण व्यक्ति को चरित्रवान बनाते हैं।

परिश्रम से सफलता प्राप्ति के कुछ उदाहरण.

धरती पर कई महान व्यक्तियों ने जन्म लिया है जिन्होंने परिश्रम के बल पर न सिर्फ अपने सपने साकार किये बल्कि साथ मे देश और समाज मे एक अहम योगदान दिया। ऐसे ही कुछ उदाहरण इस प्रकार है:-

डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम का संघर्ष

डॉ. कलाम को मिसाइल मैन कहा जाता है। इन्होंने ही देश मे मिसाइल प्रोग्राम की शुरुआत की थी। लेकिन इनका बचपन अभावों में बीता है।

एक स्थिति ऐसी भी आई थी जब कॉलेज में प्रवेश पाने के लिए 1000 रु भी नही थे। इतनी गरीबी और विषम परिस्थितियों के बीच भी डॉ. कलाम परिश्रम करते रहे और न सिर्फ एक महान वैज्ञानिक बने बल्कि साथ में देश के राष्ट्रपति का पद भी प्राप्त हुआ।

अब्राहम लिंकन का संघर्ष

अब्राहम लिंकन अमेरिका के 16 वे राष्ट्रपति थे। अमेरिका में दास प्रथा का बहुत चलन था। इन्होंने ही अपने कार्यकाल में इस प्रथा को खत्म किया। अमेरिकी इतिहास में इन्हें एक महान राष्ट्रपति की उपाधि दी जाती है।

लेकिन इनका बचपन बहुत गरीबी में बीता है। अंगीठी की रोशनी में बैठकर पढ़ाई करते थे। किताबें खरीदने के लिए पैसे नही होते थे तो दूसरों से किताबें लेकर पढ़ते थे।

खेतो में मजदूरी, सुअर काटने का काम, लकड़हारे का काम जैसे कई छोटे काम भी किए ताकि उनका जीवनयापन होता रहे।

लेकिन उनमें सफल होने की बहुत भूख थी। वो चुनाव लड़ते लेकिन हार जाते। इसके बाद भी चुनाव लड़ना जारी रखा।

लिंकन ने अपने जीवनकाल मे 50 से भी अधिक चुनाव में हार दर्ज की लेकिन वो इन हार से कभी निराश नही हुए और एक दिन अमेरिका के राष्ट्रपति बने।

थॉमस एल्वा एडिसन का संघर्ष.

थॉमस एडिसन को स्कूल से इस वजह से निकाल दिया गया था क्योंकि वो मंद बुद्धि थे। लेकिन इसी मंद बुद्धि बालक ने सबसे ज्यादा आविष्कार किये।
इन्होंने ने ही बल्ब बनाया है। बल्ब बनाते वक्त इन्होंने 1000 से भी ज्यादा प्रयोग किये थे तब जाकर बल्ब बन पाया था। इसी से जुड़ी एक कहानी है।
जब एडिसन से पूछा गया कि इतनी असफलता (Essay On Importance Of Hard Work in Hindi) से वो निराश नहीं हुए? इस पर उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि वो बिलकुल भी निराश नहीं हुए क्योंकि उन्हें यह पता चल गया कि उन 1000 तरीकों से बल्ब नहीं बन सकता।

यदि एडिसन भी असफलता से हार मान जाते और परिश्रम करना छोड़ देते तो शायद कई वर्षों बाद हमें बल्ब मिल पाता।

ये कुछ उदाहरण है जिनसे हमें यह सीख मिलती है कि परिश्रम का फल जीवन मे कभी न कभी जरूर मिलता है। वर्तमान भले ही खराब हो लेकिन परिश्रम करने से हमारा कल अच्छा हो सकता है इसलिए जीवन में हमेशा परिश्रम करते रहना चाहिए।

आलस्य को दूर भगाएं.

परिश्रम का सबसे बड़ा दुश्मन आलस्य ही है। जीवन मे परिश्रम का आभाव का मतलब है हमारे अंदर आलस्य पनप रहा है।

आलसी स्वभाव के कारण व्यक्ति सफल नहीं हो पाता। सफलता के लिए जरूरी है कि हम परिश्रम करते रहे। परिश्रमी व्यक्ति चरित्रवान, स्वावलंबी और आत्मनिर्भर होता है।

जबकि आलसी व्यक्ति का चरित्र साफ-सुथरा नहीं होता। वह न तो अपने काम के लिए ईमानदार होता है और न ही अपने परिवार और समाज के लिए।

एक अच्छा इंसान बनने के लिए आलस्य को खुद से दूर रखना चाहिए, क्योंकि जीवन का सार परिश्रम में ही छुपा है।

उपसंहार

यदि हम परिश्रम करने से कतराते हैं तो सफलता हमसे दूर जाती जाएगी। सफलता और हमारे बीच की दूरी उतनी ही कम होती जाएगी जितनी ज्यादा हम मेहनत करेंगे।

भाग्य और कर्म के बीच कुछ लोग उलझे रहते हैं उन्हें भी यह समझना चाहिए कि भाग्य में जो कुछ भी है वह मिलेगा, साथ मे परिश्रम भी करते रहे जिससे कि किसी भी काम में रुकावट न हो।

परिश्रम का महत्व पर कहानी | Story On Hard Work in Hindi.

एक गाँव था, वहाँ रामू नाम का एक किसान रहता था। किसान के पास खेती लायक जमीन तो खूब थी लेकिन वह मेहनत करने से बहुत डरता था। वह वक़्त पर खेतों की जुताई नही करता था, जब कभी जोतता तो पूरा खेत आलास के कारण नही जोतता।

रामू के इस आलसी स्वभाव के कारण उसके घर वाले बहुत परेशान रहने लगे। खेती ही कमाई का एक मात्र जरिया थी लेकिन अब वह भी धीरे-धीरे समाप्त होने लगी थी।

हालात से परेशान होकर घर वाले एक सिद्ध बाबा के पास गए। बाबा के पास जाकर उन्होंने सारी व्यथा बताई, इस पर बाबा ने रामू को अपने पास लाने के लिए कहा।

जब रामू आया तो बाबा ने उससे पूछा कि तू बहुत परेशान दिख रहा है? इस पर रामू ने कहा कि हाँ बाबा, मैं बहुत परेशान हूँ क्योंकि हमारी खेती चौपट होती जा रही है।

मेहनत करने के बाद भी फसल नही उगती। कोई उपाय बताएं। इस पर बाबा ने कहा कि अब तू चिंता मत कर क्योंकि तेरे खेत के हीरा गड़ा हुआ है।

लेकिन यह किस जगह पर है वह पता लगाने के लिए तुझे खेत की खुदाई करनी पड़ेगी। वह हीरा इतना कीमती है कि तेरी सारी गरीबी दूर हो जाएगी।

इसके बाद तो रामू को जैसे एक नई उम्मीद मिल गई। घर जाते ही उसके खुदाई करने के औजार लिए और खेत की तरफ चल पड़ा।

कुछ ही दिनों में उसने पूरे खेतों की खुदाई कर डाली पर उसे कुछ नही मिला। इससे निराश होकर वह बाबा के पास वापस गया और कहा कि हीरा नही मिला।

इस पर बाबा ने कुछ बीज दिए और कहा कि हीरा जरूर मिलेगा लेकिन अभी कुछ वक्त और लग जाएगा। इसके लिए अपने खेत मे ये बीज डाल दे।

रामू ने ऐसा ही किया। बीज डाल दिए। बारिश हुई, और बीज अंकुरित हो गए और कुछ ही महीनों में वह एक लहलहाती फसल बन गई।

जहाँ भी नजर जाती वहाँ फसल ही दिखाई देती। फसल पक जाने के बाद रामू बाबा के पास गया और बोला कि अब क्या करना है?

इस पर बाबा के कहा कि इस फसल को काटने के बाद आना। रामू ने ऐसा ही किया। उसने फसल को काटा और फिर बाजार में बेच आया।

जब उसने फसल बेची तो उसकी अच्छी कीमत रामू को मिली, जिससे किसान बहुत खुश हुआ और अब उसकी खुशी और बढ़ रही थी क्योंकि हीरा मिलने वाला था।

वह बाबा के पास गया और बोला बाबा अब बताइए हीरा कहाँ मिलेगा? इस पर बाबा ने पूछा कि फसल बेचने से कितना पैसा मिला?

इस पर किसान से बताया कि उसे 1.5 लाख का फायदा हुआ है। तब बाबा ने कहा कि तूम तो बोल रहे थे कि फसल नही उगती फिर इतनी कीमत कैसे मिली?

इस पर रामू ने कहा कि इस बार की फसल बहुत अच्छी उगी थी। पूरे खेत मे फसल थी। यह सुनते ही बाबा ने कहा कि रामू यही हीरा है जो देना चाहता था।

परिश्रम रूपी हीरा जिसके पास है उसके पास किसी चीज़ की कमी नही हो सकती। रामू को सारी बात समझते देर न लगी और उसने बाबा का बहुत धन्यवाद किया और हमेशा परिश्रम करने का संकल्प किया।

FAQ

परिश्रम क्या है?

किसी कार्य को करने में जो शारीरिक और मानसिक श्रम होता है, वही परिश्रम कहलाता है। मानसिक परिश्रम शारीरिक परिश्रम की तुलना में ज्यादा कीमती माना जाता है।

परिश्रम कितने प्रकार के होते हैं?

परिश्रम सिर्फ दो प्रकार के होते हैं:-
1.) शारीरिक परिश्रम
2.) मानसिक परिश्रम

परिश्रम के लाभ क्या है?

परिश्रमी व्यक्ति का जीवन सूर्य की भांति तेज से चमकने लगता है। व्यक्ति कभी भी बुराइयों की चपेट में नही आता और एक इज्जतदार जीवन जीता है।

परिश्रम के उदाहरण क्या है?

प्रकृति के हर घटक परिश्रम करते रहते हैं। चीटियाँ अपने से कई गुना वजन उठाकर चलती है। पेड़ों में प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया चलती रहती है। जंगली जानवर भोजन के लिए कई कई मील चलते हैं। ये सब परिश्रम के उदाहरण है।

जीवन मे परिश्रम का क्या महत्व है?

हम जन्म लेने के साथ ही परिश्रम करना शुरू कर देते हैं। पहले उठना सीखते हैं, चलना सीखते हैं, फिर बोलना सीखते हैं। पढ़ाई करते हैं और फिर अपने पैरों पर खड़े होते हैं। यानी जीवन के हर मोड़ पर परिश्रम (Essay On Importance Of Hard Work in Hindi) करना जरूरी है क्योंकि उसके बिना तो हमारा विकास ही रुक जाएगा।