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Essay on Indian Agriculture in India

भारत एक बहुत बड़ा देश है जिसमें लाखों लोग अपना जीवन बसर खेती किसानी द्वारा करते हैं। भारत में जितना खेती किसानी (Essay On Indian Agriculture in Hindi) किया जाता है किसी और देश में उतनी खेती किसानी नहीं होती है। भारत एक बहुत बड़ा देश है जिसके अंदर करोड़ो लोग रहते हैं। आदि भारत के लोग तो बस खेती किसानी से अपना गुजर-बसर करते हैं और आधे लोग उस खेती किसानी पर निर्भर है जिसके द्वारा उन्हें अनाज और अन्य पानी मिलता है। हर तरफ हरियाली ही हरियाली और खेती किसानी फैली हुई है। आजकल हर कोई सिर्फ किसान पर निर्भर है क्योंकि यदि वे आने नहीं उठाएंगे तो किसी को भी खाने को एक दाना नहीं मिलेगा और जीवन यापन करने के लिए भोजन होना, भोजन की जरूरत इंसान जानवर पेड़ पौधे पक्षी हर किसी को पड़ती है। पूरी दुनिया में धरती का आधा भाग केवल खेतीबाड़ी से और हरियाली से भरा पड़ा है। उसमें हर प्रकार की खेती की जाती है। उसी खेती बाड़ी में देश विदेशों का भी फसल उगाया जाता है जो कि देश विदेशों में भेजा जाता है और बेचा जाता है।

यहां हर कोई खेती किसानी और कृषि क्षेत्र में अपनी-अपनी रुचि बढ़ाते जा रहे हैं। ऐसे में हर जगह हर तरफ हरा भरा खेत और खेती किसानी का कार्य चलता देख कर मन में बहुत प्रसन्नता होती है। हर जगह हर कोई खेती किसानी कर रहा है परंतु उन्हें इससे होने वाले लाभ का कोई हिसाब नहीं है। यहां हर किसी को हर काम का केवल उतना ही मूल्य मिलता है जितना मैं उसका जीवन यापन हो सके। ऐसे में हमारे किसान और उनकी मुसीबतें बढ़ती जाती है।

भारत एक बहुत बड़ा देश है जिसकी जान पहचान विदेश और दूसरे बड़े-बड़े देशों से भी है। हर कोई भारत को बहुत नाम और आदर्श देखता है। भारत में हर कोई अच्छा स्वभाव रखने के लिए जाना जाता है हर किसी से अच्छा व्यवहार करने के लिए यहां के लोगों का नाम लिया जाता है यदि किसी को उदाहरण के रूप में कुछ अच्छा कहा जाए तो भारत के लोगों का उदाहरण देते हैं। परंतु यहीं पर कुछ ऐसे भी लोग हैं जो अपने कार्यक्षमता और कार्यभार के वजह से प्रचलित है। इन्हीं सब कारणों की वजह से भारत एक ऐसा देश बन चुका है जिसमें हर कोई बच्चा और दूसरे व्यक्तित्व वाले व्यक्ति(Essay on Indian Agriculture in Hindi) सब सुख और चैन की जिंदगी बिता रहे हैं। वैसे तो भारत में हर कोई कृषि क्षेत्र से जुड़ा हुआ है परंतु हर तरफ गरीबी और लाचारी छाई हुई है। खेती किसानी से प्रसिद्ध हुआ भारत आज लोगों के जवानों पर पहला नाम बनकर आता है जिसमें खेती किसानी को सबसे आगे रखा और माना जाता है।

हाल में ही भारत के कृषि क्षेत्र के वजह से भारत एक अंतर्राष्ट्रीय कृषि पूर्ण देश बन चुका है। इसके कारण हर तरफ हर कोई इस कृषि क्षेत्र का लाभ और उन्नत उठा रहा है। इसी सब कारणों से भारत आज देश-विदेश में सबसे ऊंचा नाम कमा रहा है कृषि क्षेत्र के मामलों में।

भारत में कई तरीके की खेती की जाती है जैसे कि अलग-अलग क्षेत्रों में समय और जगह के हिसाब से खेती और कृषि कार्य को सफल किया जाता है। ऐसे तो हर तरीके की खेती भारत में की जाती है पर उन सब के लिए अलग-अलग क्षेत्रों की जरूरत पड़ती है। तापमान के हिसाब से लोग और किसान खेती को करते हैं जिससे उन्हें बहुत सारी सुविधाएं प्राप्त होती है। कुछ ऐसे भी खेती है जो भारत के निचले क्षेत्र में की जाती है जैसे कि अरुणाचल प्रदेश, तमिलनाडु, कन्नूर, केरला, विशाखापत्तनम आदि। इन सब देशों में किए जाने वाली खेती को साउथ हार्वेस्टिंग कहा जाता है जिसके अंदर चना, मटर और अन्य दालो का उत्पादन किया जाता है।

भारत में नॉर्थ साइड किए जाने वाले खेती को नॉर्थ हार्वेस्ट इन क्रॉप्स कहा जाता है जिसमें बाजरा साग और अन्य ठंडी चीजों का उत्पादन किया जाता है।

भारत में वेस्ट बंगाल, आसाम, सिलीगुड़ी, सिक्किम आदि क्षेत्रों में फलों का उत्पादन ज्यादा है और यही परचा पति का भी खेती किया जाता है। यहीं से भारत और विदेशों में चाय पत्ती और कॉफी पहुंचाई जाती है।

भारत के ईस्ट साइड में बसे हुए गुजरात, हैदराबाद, हरियाणा, मुंबई और आदि क्षेत्रों में सब्जियों की खेती बाड़ी की जाती है और वही से सारे देश में सब्जियां पहुंचाई जाती है। इन्हीं सब क्षेत्रों में धान, गेहूं, बाजरा, चना दाल, इन सब का भी उत्पादन किया जाता है।

ऐसे तो खेती किसान लोग अपने व्यवहार और व्यवस्था के हिसाब से करते हैं परंतु भारत में खेती-किसानी करना परंपरा माना जाता है। यहां हर कोई खेती किसानी से जुड़ा हुआ रहता है हर किसी को खेती-किसानी से अलग खुशी और आनंद का अवसर प्राप्त होता है।

पुरातत्व काल में जब खेती किसानी के कोई उपाय नहीं थे तो छोटे-मोटे जानवरों द्वारा ही खेती किसानी का कार्य पूर्ण किया जाता था। पहले तो खेती किसानी के और ही सबका ध्यान रहता था क्योंकि एकमात्र सहारा खेती किसानी हुआ करता था। उस समय जब कोई भी ऐसी बाहरी तकनीक नहीं हुआ करती थी तब खेती किसानी हल और जानवरों द्वारा अपने हाथों से सफल किया जाता था। यह बात है सन 1800 से सन 1900 के बीच की जब खेती किसानी के लिए लोग एक दूसरे पर निर्भर ना होकर कि अपना अपना काम स्वयं करते थे।

वैसे तो उस समय हर कोई अपनी अपनी खेती किसानी अपने अपने तरीके से करता था परंतु जैसे-जैसे समय बीतने लगा लोगों का मन खेती किसानी से उठने लगा। 1905 के आते आते जैसे-जैसे इंडस्ट्रीज फैक्ट्री और व्यवसाय के और छोड़ बढ़ने लगे लोगों का ध्यान खेती किसानी से हटने लगा। परंतु कुछ समय भी खेती किसानी हुआ करती थी थोड़ी-थोड़ी तकनीकों का उपयोग करके ही लोग खाद बनाते थे और घरेलू उपायों से ही खेती किसानी (Essay on Indian Agriculture in Hindi) को किया जाता था। ऐसे ही धीरे-धीरे बढ़ते बढ़ते जब सन 2000 आया तो आधे लोग तो खेती किसानी से अपना मुंह मोड़ चुके थे और बचे कुचे लोग खेती में बढ़ोतरी के आसार छोड़ने लगे थे।

अब जब खेती-किसानी से सबका मन भर चुका था तो सब लोग फैक्ट्री इंडस्ट्री की ओर दौड़ने लगे। परिणाम कुछ नहीं मिला परंतु खेती किसानी में बाधाएं आने लगी।किसानों की संख्या कम होने लगी जिससे खेती पर बहुत सारे प्रभाव पड़ने लगे। फसलें कम उगाए जाने लगी और जनसंख्या बढ़ती गई। धीरे-धीरे अकाल का संभावना बन चुका था तब जो गिने-चुने किसान बचे थे उन्होंने अपना सफल प्रयास किया और हरियाली को एक बार फिर से धरती पर उतारा। खेती किसानी की शुरुआत फिर से की गई और फिर से सब कुछ बराबर चलने लगा।

खेती किसानी से तो ऐसे बहुत सारे लोग हैं जो किसानों को मिल सकते हैं मुनाफे के रूप में परंतु होने वाले नुकसान को बिल्कुल अनदेखा नहीं किया जा सकता। होने वाले नुकसान के कारण हाल में ही कुछ ऐसे भी किस्से सुनाएं दिए हैं जिनमें किसानों ने आत्महत्या करना नुकसान की भरपाई करने से ज्यादा आसान समझा। ऐसे ही बहुत सारे हमारे किसान भाई हैं जो फसल (Essay on Indian Agriculture in Hindi) में नुकसान होने के कारण उनकी भरपाई नहीं कर पाते और अपनी जान दे देते हैं। परंतु इनके जान देने से या फिर इनके हताश होने से उनका नुकसान तो नहीं कम होगा। बचने के लिए केवल एक ही उपाय है कि अच्छे से खेती करें और उसको अच्छे दाम में ना सही परंतु ऐसे दाम में बेच दे जिसमें उसे उस फसल को उगाने तक का कीमत वसूल हो जाए। ज्यादा मुनाफा के चक्कर में ना फसल बिकेगी और ना ही मुनाफा होगा बदले में ज्यादा नुकसान होने के कगार आ जाएगा। इससे ज्यादा अच्छा है कि जितना हो सके उतना अच्छा फसल करें और अच्छे दाम में बेच दे। अपने और अपने परिवार का पालन पोषण अच्छे से करें और कभी हताश होकर आत्महत्या जैसे अपराध को अंजाम ना दे।