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Essay on Intolerance in India in Hindi

भारत देश में हर जाति के व्यक्ति को समान अधिकार से रहने का दर्जा दिया जाता है यहां हर धर्म के व्यक्ति अपना धर्म पूरे सम्मान के साथ अपना सकते हैं परंतु अगर इस नियम का उल्लंघन होता है तो यह असहिष्णुता कहलाता है। हमारा भारत देश एक सहिष्णुता का देश है।हमारे भारत देश में हर धर्म के व्यक्ति रहते हैं, सबको उनके धर्म के साथ जीने का पूरा हक है। अगर कोई बाहर देश का व्यक्ति भी इस देश में अता है तो उसे अपने धर्म को छोड़ने का कोई दवाब नहीं डाला जाता ये सब सहिष्णुता कहलाता है। असहिष्णुता देश को दो भागों में विभाजित कर देता है और यह देश के लिए भी उचित नहीं है।

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असहिष्णुता क्या है?

जिस देश के लोगों में एकता नहीं होती और जो अलग अलग धर्मो में लगाओ को नापसंद करते है उसे असहिष्णुता कहते हैं। असहिष्णुता समाज में लोगों के बीच हिंसा को जन्म देने का काम करता है। भारत देश में असहिष्णुता देखने को नहीं मिलती पुराने समय में पश्चिमी भाग में असहिष्णुता लोगों के बीच बढ़ने लगी थी परंतु राज्य सरकार ने सभी को संतुलन बनाते हुए सहिष्णुता का कार्य किया। विभिन्न धर्मों, प्रथाओं के बीच एक ही दृष्टिकोण ना बनने के कारण ही देश में असहिष्णुता फैल जाती है। कई देशवासी जैसे अभिनेत्रियों द्वारा ऐसा कहा गया कि उन्हें देश में रहने से असुरक्षित महसूस होता है। वह दूसरे धर्मों का बहिष्कार करते हैं ये देश में  असहिष्णुता फैलाता है।  छोटे छोटे विवाद लोगों द्वारा कहे जाने पर असहिष्णुता का रूप ले लेता है।

देश में असहिष्णुता के प्रभाव:-

असहिष्णुता समाज के लोगों  के बीच दुश्मनी पैदा करती है। असहिष्णुता अनेक धर्मों और प्रथाओं के बीच चिंता का विषय बनते जा रहा है। अगर असहिष्णुता का प्रभाव देश में पड़ता है तो दो धर्मों के बीच युद्ध छिड़ सकता है। देश में कई व्यक्ति ऐसे भी होते हैं जिनकी मानसिकता धर्मों को मानती है वह दूसरे अन्य धर्मों के साथ गलत व्यवहार करती है यह सब असहिष्णुता का कारण बन सकता है। देश में होने वाली छोटी सी भी घटना दो धर्मों के बीच लड़ाई और हिंसा पैदा करता जा रहा है इस प्रकार भारत में भी असहिष्णुता देखने को मिल ही जाती है। कई बार छोटी सी बात भी इतनी बड़ी बन जाती है कि इसकी वजह से कई सारे लोगों की जान चली जाती है। धर्म को लेकर विवाद हर साल कहीं ना कहीं देखने को मिल जाता है परंतु इस पर नियंत्रण रखने का कार्य सरकार करती है। अगर हमारा भारत देश सहिष्णुता का देश है तो इसमें सभी व्यक्ति को सभी के धर्म को सम्मान देकर उन्हें अपने देश में जगह देने का अधिकार मिलना चाहिए।

असहिष्णुता को कैसे हटाया जाए?

जितना देश में सहिष्णुता बढ़ाई जाएगी असहिष्णुता अपने आप ही खत्म हो जाएगी। भारत की सभी व्यक्ति को एक साथ समझौता करके देश में अपना जीवन व्यतीत करना चाहिए और सभी धर्म को एक समान इज्जत और सम्मान देना चाहिए जिससे देश में सहिष्णुता बनी रहेगी। लोगों में एकता ना हो तो समाज उन्हें एक साथ जीने का अधिकार नहीं देता ,हम कोई भी देश में रहे वहां के लोगों के साथ एकता बनाके रखना होगा जिससे हमें हर क्षेत्र में सम्मान प्राप्त होगा। असहिष्णुता देश में सिर्फ नफरत और भेदभाव को जन्म देता है और यह देश के लिए हानिकारक हो सकता है। अगर हर व्यक्ति साथ में ,एक समान सोच कर अपना जीवन व्यतीत करें तो जीवन खुशी के साथ बितता है ।परंतु अगर किसी भी क्षेत्र में हिंसा की भावना उत्पन्न होने लगती है तो यह देश के साथ-साथ लोगों में भी प्रभाव पड़ता है। हमें देश में सहिष्णुता का बढ़ावा देना होगा किसी भी समस्या को साथ मिलकर ही हल किया जा सकता है,अगर धर्म के नाम पर हिंसा पैदा हो जाएगा तो यह घातक रूप ले लेगा। सहिष्णुता को देश पर बनाए रखना देश के नागरिकों का कर्तव्य होता है।

अंतरराष्टरीय सहिष्णुता दिवस मनाने का उद्देश्य:-

अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस को मनाने का उद्देश्य देश के सभी नागरिकों को स्वच्छता का महत्व समझाना है। पिछले कुछ सालों से आतंकवाद और हिंसा देश में अधिक देखने को मिली है यह सब देश के नागरिकों की एकता का हनन कारता है। अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस देश में सन 1995 ,16 नवंबर को शुरू हुआ। असहिष्णुता का विवाद हमेशा छोटे-छोटे मुद्दों से ही शुरुआत होती है परंतु बाद में या बहुत बड़ी बन जाती है ,अगर छोटी मुद्दे को  शुरुआत में ही खत्म कर दिया जाए तो आगे जाकर बड़ा बनेगा ही नहीं। अलग-अलग धर्मों की संस्कृति भी अलग होती है अगर एक दूसरे के साथ धर्म को बांट कर, समझ कर एकता दिखाई जाए तो समाज में सहिष्णुता बढ़ेगा। अंतर्राष्ट्रीय  सहिष्णुता दिवस पूरे विश्व में मनाया जाता है, यह शुभ दिवस की शुरुआत यूनेस्को द्वारा हुआ था। अंतररा्ट्रीय स्तर पर मनाया जाने वाला यह दिवस देश में लोगों के बीच प्रेम भाव को उत्पन्न करता है। सहिष्णुता लोगों के बीच में भाव है जो धर्मों के बीच एकता और समझौता लाता है। अगर सहिष्णुता को अपने जीवन में लाना है तो आप शुरुआत कर सकते हैं, आपका शत्रु ही आपकी सहिष्णुता का शुरुआत बन सकता है। अपने शब्दों से शत्रुता मिटा कर उनके साथ समझौते से जीना का शुरुवात कर सकते है।

निष्कर्ष :-  

भारत देश शुरू से ही धर्म को मानने वाला देश है। प्राचीन काल में रहने वाले ऋषि और मनुष्य सभी भारत देश को माता का स्वरूप मानकर इसका पूजा करते थे और धर्म के साथ साथ सभी को उनका अधिकार देते थे। परंतु आज के समय में कई ऐसे विवादित टिप्पणियां निकल जाती हैं जिनसे दूसरे धर्म वालों को घात पहुंचता है और असहिष्णुता का भावना रखने लगते हैं। हम एक देश के वासी हैं, एक दूसरे के धर्म को समझने के साथ-साथ उन्हें इज्जत देना चाहिए। असमानता देश के विकास को हानि पहुंचाता है, देश की प्रवृत्ति को बढ़ाने के लिए हर नागरिक को मिलकर एकता बनाकर रहना होगा। भारत एक ऐसा देश है जो किसी भी धर्म को अपनाने का अधिकार देता है। भारत में अनेक धर्म शामिल है जो एक साथ, एक देश में कार्य कर रहे है परंतु एक दरार इनकी एकता को मिटा सकता है और धार्मिक प्रवृत्ति में असहिष्णुता पैदा कर सकता है। हमें देश में असहिष्णुता हटाकर सहिष्णुता का भाव लाना है।

FAQ in Hindi( विषय के संबंध में सामान्य प्रश्न):-

1.प्रश्न: अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस कब मनाया जाता है?

उत्तर:-   पूरे विश्व में प्रति वर्ष 16 नवंबर को मनाया जाता है।

2.प्रश्न: असहिष्णुता का प्रभाव कब हानि का रूप लेने लगता है?

उत्तर:-  जब असहिष्णुता देश के विकाश में बधा डालने लगे ।

3.प्रश्न : समाज में हिंसा कैसे जन्म लेती है ?

उत्तर:- जब असहिष्णुता धर्मों में बाधा डालने लगती है और समाज में अंतर समूह बनाने लगती है तो देश में हिंसा की भावना उत्पन्न हो जाती है।

4.प्रश्न : क्या असहिष्णुता को मिटाने के लिए सहनशीलता काम आती है?

उत्तर:- जी हां, सहनशीलता देश में एक दूसरे के साथ जीवन व्यतीत करने के लिए प्रेरित करता है इससे सहिष्णुता बढ़ती है।

5.प्रश्न : असहिष्णुता कैसा गुण है?

उत्तर:- असहिष्णुता खतरनाक और अस्वीकार्य गुण है।