Essay on Pollution Problem | प्रदुषण की समस्या पर निबंध | Pradushan ki samasya par nibandh
प्रदुषण की समस्या पर निबंध (Essay on pollution problem in hindi): आज कर वक़्त में प्रदूषित वातावरण एक गंभीर समस्या बनकर सामने आया है। प्रदूषण के कारण आज न सिर्फ हम इंसान प्रभावित हो रहे हैं बल्कि साथ मे पूरा पारिस्थितिक तंत्र आज इसकी चपेट में आ गया है। प्रदूषण के कारण आज इंसानों में ऐसी बीमारियां जन्म ले रही हैं, जिनका वजूद पहले नही था।
प्रदुषण पर निबंध इन हिंदी – Essay On pollution problem In Hindi (300 Words)
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आज हम कई तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं जिनमें प्रदूषण एक है। प्रदूषण आज एक वैश्विक समस्या बनकर सामने आई है, तभी तो आज विश्व के सभी देश प्रदूषण मुक्त वातावरण वापस बनाने के लिए एक मंच पर आए हैं।
लेकिन यदि अभी भी दुनियाँ के सभी देश गंभीरता के साथ इस चुनौती के समाधान की तरफ नही बढ़ते, तो वह दिन दूर नही जब प्रदूषण इस स्तर तक बढ़ जाएगा कि फिर इसे ठीक करना बहुत मुश्किल हो जाएगा।
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प्रदूषण क्या है? (Essay on pollution problem in hindi)
जल,हवा और मिट्टी में कुछ अनचाहे, विषैले और सेहत को नुकसान पहुचाने वाले तत्व मिल जाते हैं। इन्ही तत्वों के मिलने की प्रक्रिया प्रदूषण कहलाता है।
प्रदूषण का सीधा असर हमारे सेहत पर पड़ता है, क्योंकि जल का सेवन करते हैं। स्वास के रूप में हवा का सेवन करते हैं और मिट्टी में उपजी चीजों का सेवन करते हैं।
इस तरह इन तीनो चीजों में किसी अवशिष्ट पदार्थ मौजूदगी इंसानों के साथ साथ जानवरों के ऊपर भी बहुत विपरीत असर डालती है।
प्रदूषण का असर सिर्फ इंसानों या जानवरों तक सीमित नही रहता है, बल्कि इससे प्रकृति के सभी घटक प्रभावित होते हैं।
इसलिए हम इंसानों की यह जिम्मेदारी बनती है कि प्रदूषण नियंत्रण पर हम सब मिलकर काम करें। क्योंकि यह पृथ्वी हमारा घर है। यदि यह प्रदूषित हो गई तो एक दिन यह रहने लायक नही रह जायेगी।
यदि हमें अपनी भावी पीढ़ी को उपहार के दौर पर कुछ देना है तो उन्हें एक प्रदूषण से मुक्त वातावरण देना होगा क्योंकि पिछले 200 सालों में हमने जितना प्रदूषण किया है उतना प्रदूषण हमारी पुरानी सभ्यताओं ने नही किया था।
हमें एक स्वच्छ वातावरण मिला, और ऐसा ही भावी पीढ़ी के साथ हमें करना चाहिए।
उपसंहार.
प्रदूषण की रोकथाम आज एक विकल्प नही बल्कि जरूरत बन गई है। वातावरण को स्वच्छ बनाना न सिर्फ सरकारों की जिम्मेदारी है, बल्कि छोटी छोटी बातों का ध्यान में रखकर हम खुद भी वातावरण को स्वच्छ बनाने में अहम योगदान दे सकते हैं।
प्रदुषण पर निबंध इन हिंदी – Essay On pollution problem In Hindi (400 Words)
आज शहरीकरण बहुत तेजी से हो रहा है और एक के बाद एक फैक्ट्री खुलती जा रही हैं जिसका असर हमारे वातावरण पर पड़ रहा है और यह प्रदूषित हो रहा है।
एक वक्त था जब गावों में नदिया बहा करती थी लेकिन आज ये नदियाँ सिर्फ बारिश के मौसम में बहती हैं। कारण कि आज इनका पानी सूख चुका है, जो कि प्रदूषण के कारण हुआ है।
कई जगहों में आज भारी मात्रा में प्रदूषित चीज़े पानी मे मिला दी जाती है, जिसको पीकर लोग, जीव जंतु मरते हैं।
प्रदूषण के प्रकार. (Essay on pollution problem in hindi)
प्रदूषण के कई प्रकार होते हैं:-
जल प्रदूषण.
जल में जब कुछ इस तरह के प्रदार्थ मिल जाते हैं जो विषैले होते है और उनके सेवन से शरीर को नुकसान होता है, तो यह जल प्रदूषण कहलाता है। ऐसे जल को प्रदूषित जल कहते हैं।
जल में प्रदूषण फैलने के कई कारण है जैसे कि कल कारखानों के औद्योगिक कचड़े को नदियों और सागरों में छोड़ देना, नदियों में शहर का गंदा पानी मिला देना, नदियों के पास कपड़े धोने, जानवरों को नहलाने जैसी कई क्रियाएं जल को प्रदूषित करती है।
वायु प्रदूषण
जब हवा में कुछ हानिकारक और विषैली गैसे बहुत अधिक मात्रा में मौजूद हो जाती है वह जीवनदायनी हवा, जहर के समान नुकसान पहुचाने वाली बन जाती है, फिर स्वास के द्वारा शरीर के अंदर पहुँचकर सेहत को नुकसान पहुचाती है।
दमा, खसरा, टी.बी. डिप्थीरिया, इंफ्लूएंजा जैसी कई बीमारियां वायु प्रदूषण के वजह से ही होती हैं। वायु प्रदूषण के कारणों की बात करें तो कार्बनडाईऑक्साइड, मीथेन, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन जैसी गैसे इसकी मुख्य वजह बनती हैं जो कि कारखानों से निकलने वाले धुएँ, गाड़ी वाहनों के धुएँ के कारण बढ़ती है।
ध्वनि प्रदूषण.
ध्वनि प्रदूषण को हमेशा कम आंका जाता है और इसके बारे में सबसे कम बात की जाती है। ध्वनि प्रदूषण का मतलब है, वातावरण में कोई भद्दी या सुनने में अरुचिकर आवाज बहुत तेज हो।
इसका भी हमारे स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर पड़ता है। एक निश्चित सीमा से ज्यादा ऊँची आवाज लगातार सुनते रहने से हमारी सुनने की क्षमता काफी प्रभावित होती है। खासकर बच्चे और बुजुर्ग इस प्रदूषण के काफी शिकार होते हैं।
गाड़ियों की आवाज हॉर्न की आवाज आदि इस प्रदूषण का प्रमुख कारण हैं।
मृदा प्रदूषण.
मृदा में ही हम अपने खाने का अनाज उगाते हैं लेकिन उसके प्रदूषण से अनाज में भी उसका प्रभाव आ जाता है। जब मिट्टी में हानिकारक रसायन काफी ज्यादा स्तर तक बढ़ जाते हैं तो यह मृदा प्रदूषण कहलाता है।
उपसंहार.
हमें जल्द से जल्द प्रदूषण के मूल कारणों को दूर करने के उपाय करने चाहिए ताकि हम अपनी पृथ्वी को सुरक्षित रख पाए और भावी पीढ़ी को एक रहने योग्य वातावरण दे सकें।
प्रदुषण पर निबंध इन हिंदी – Essay On Pollution Problem In Hindi (500 Words)
अभी कुछ दिनों पहले ही देश की राजधानी के बारे में एक ख़बर सुर्खियों में थी, जो कि दिल्ली की प्रदूषित हवा को लेकर थी।
हवा इतनी ज्यादा प्रदुषित थी कि बस कुछ ही मीटर की दूरी पर चीज़े धुंधली नजर आ रही थी। यदि अभी यह स्थिति है तो आगे आने वाले वक्त में प्रदूषण किस स्तर तक पहुँच जाएगा इसका अनुमान भी शायद हम लोग अभी नही लगा पा रहे हैं।
तभी तो आज भी प्रदूषण को रोकने सिर्फ बातें ही होती है। जितनी तत्परता के साथ पूरे विश्व को इस समस्या का समाधान खोजना चाहिए उतनी तत्परता नही दिखाई जा रही है।
आज विज्ञान वरदान बनकर जरूर हमारे सामने आया है क्योंकि हमारी जिंदगी आज इतनी आसान सिर्फ विज्ञान की वजह से हुई है। लेकिन प्रदूषण भी इसी विज्ञान की देन है।
लेकिन विज्ञान से ज्यादा दोषी हम इंसान है क्योंकि विज्ञान के फायदे और नुकसान दोनों है। लेकिन हम फायदे को लेते जा रहे हैं पर नुकसान की भरपाई कैसे करेंगे इस पर कोई विचार नही कर रहा है।
प्रदूषण बढ़ने के मुख्य कारण.
प्रदूषण के मुख्य कारण कुछ इस प्रकार हैं:-
वनों की कटाई.
धरती का वातावरण संतुलित है, इसमे पेड़ों की बहुत अहम भूमिका है। पेड़ CO2 जैसी हानिकारक गैसों को अपशोषित करता है और वातावरण में ऑक्सीजन छोड़ता है। वातावरण में गर्मी जिन गैसों के कारण बढ़ती है, पेड़ उन्हें संतुलित करता है। पेड़ की वजह से ही बारिश होती है।
पेड़ों से सघन जगहों में संतुलित बारिश होती है। न बहुत ज्यादा न ही बहुत कम। वही पेड़ की जड़ें भूमि में बहुत गहराई तक समाई होती हैं जिसकी वजह से पेड़, मिट्टी को बहुत मजबूती से पकड़ कर रखते हैं, और बारिश की वजह से कभी भी मिट्टी नही कटती है।
इससे यह पता चलता है कि पेड़ों का कितना महत्व है, लेकिन सभी फायदों को नजरअंदाज करते हुए आज वनों की कटाई हो रही है,फिर चाहे वह बढ़ती जनसंख्या के लिए घर बनाने को लेकर हो या फिर फैक्टरियों के लिए।
उद्योग धंधों के चलते.
उद्योग धंधों के कारण भी प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है, कारण है उनसे निकलने वाली विषैली गैस और कचरा, जो कि कई हानिकारक रसायन लिए हुए होता है।
औद्योगिक कचरा आज एक बहुत बड़ी समस्या बन गया है। इसको किस तरह से नष्ट किया जाए आजतक इसका कोई तरीका नही निकल पाया है। इसी वजह से यह कचरा हर साल महासागरों में डाल जाता है जिससे कि महासागरों में रहने वाले जीव जंतु बहुत खतरे में आ जाते हैं।
एक रिपोर्ट में यह बताया गया है कि ओद्योगिकीकरण के 100 वर्षों को देखे तो इसमे 36 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन हुआ है।
इसी वजह से धरती के तापमान में भी बढ़ोत्तरी देखने को मिली है।
उपसंहार.
आज प्रदूषण के कारण न सिर्फ हमारा देश बल्कि समूचा विश्व संकट की स्थिति में हैं। हालांकि आज
पर्यावरण दिवस, जल दिवस, ओजोन दिवस, पृथ्वी दिवस, जैव विविधता दिवस जैसे कई दिन हैं जो प्रकृति को समर्पित हैं। लेकिन अब जरूरत है योजनाओ के क्रियान्वयन.
प्रदुषण पर निबंध इन हिंदी – Essay On Pollution Problem In Hindi (600 Words)
पर्यावरण प्रदूषण के परिणाम आज दुनियाँ बहुत ज्यादा भुगत रही है। आज पर्यावरण प्रदूषण के कारण जैव विविधता में काफी बदलाव आ रहा है।
आज काफी सारे जीव प्रदूषण के कारण मार रहे हैं और कई प्रजातियां तो कुछ गिनी चुनी संख्या में ही बची हैं। वही इंसानों को प्रदूषण के चलते कई रोग हो रहे हैं, और इन बीमारियों की संख्या दिनोदिन बढ़ती जा रही है।
प्रदूषण क्या है? (Essay on Pollution Problem in hindi)
जब किसी चीज़ में कोई अवांछनीय पदार्थ मिल जाते हैं, और उस चीज़ का मूल स्वभाव बदल देते हैं और उन्हें हानिकारक बना देती हैं, यही प्रदूषण कहलाता है।
प्रदूषण के कई प्रकार होते हैं जैसे कि जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, मृदा प्रदूषण आदि.
प्रदूषण के प्रकार.
प्रदूषण के प्रकार निम्नलिखित हैं:-
वायु प्रदूषण.
जब हवा में किसी तरह के प्रदूषित पदार्थ मिल जाते हैं तो वह वायु प्रदूषण कहलाता है। वायु प्रदूषण मुख्य रूप से कारखानों में निकलने वाले धुएँ से होता है। साथ मे जब ऑटोमोबाइल गाड़ियों से निकलने वाला धुआँ भी इसका एक प्रमुख कारण है।
वायु प्रदुषण को दूर करने के लिए आज कई तरह के उपाय किये जा रहे हैं, जैसे धीरे धीरे दुनियाँ बिजली पर आधारित वाहनों की तरफ बढ़ रही है। लेकिन आज भी बिजली के उत्पादन में कोयला बहुतायत में उपयोग किया जाता है।
इसलिए दुनियाँ को अब स्वच्छ ऊर्जा की तरफ बढ़ना चाहिए, क्योंकि ऊर्जा के उत्पादन से अभी भी सबसे ज्यादा प्रदूषण होता है।
जल प्रदूषण.
एक जमाना था जब नदियाँ बहती थी लेकिन आज ये काफी सीमित हो गई हैं। कारण है प्रदूषण। प्रदूषण के कारण। जल प्रदूषण अचानक नही होता है बल्कि कई कारण होते हैं जो लगातार कई वर्षों तक जल को प्रदूषित करते रहते हैं।
जल प्रदूषित है न या नही कई बार सिर्फ देखकर ही पता चल जाता है लेकिन कभी कभी टेस्ट के जरिए यह पता चलता है। जल को प्रदूषित करने का सिर्फ एक जरिया भी हो सकता है या फिर कई कई श्रोतों से प्रदूषित होता है।
जल प्रदूषण को रोकना बहुत जरूरी है और यह तभी संभव हो पाएगा जब एक अच्छा मैनेजमेंट प्लान हो और आधारभूत ढांचा तैयार हो, नही तो कचरा जल में मिलता रहेगा और पानी प्रदूषित होता रहेगा।
मृदा प्रदूषण.
मृदा प्रदूषण के कारण आज की फसल उतने पोषण युक्त नही रही जितनी पहले हुआ करती थी। मृदा प्रदूषण मुख्य रूप रसायन युक्त उर्वरक के कारण होती है। मृदा प्रदूषण के कारण मच्छरों और मक्खियों का जन्म होता है। जिसकी वजह से कई तरह की बीमारियां होती हैं।
प्रकाश प्रदूषण
बहुत अधिक प्रकाश भी प्रदूषण के अंदर ही आता है। खासकर शहरों में यह बहुत अधिक होता है जहाँ बिजली जरूरत से ज्यादा उपयोग की जाती है। प्रकाश प्रदूषण के कारण मानसिक तनाव हो सकता है।
रेडियोएक्टिव प्रदूषण
वातावरण में जब रेडियोएक्टिव तत्व जरूरत से ज्यादा हो जाते हैं तो उससे रेडियोएक्टिव प्रदूषण पैसा होता है। रेडियोएक्टिव तत्व मुख्य रूप से हथियारों के परीक्षण से, उनके फटने से और बिजली संयंत्रों में होता है। खासकर जहाँ परमाणु ऊर्जा से संबंधित काम चल रहा है वहां यह प्रदूषण होने की संभावना बहुत अधिक होती है।
प्रदूषण रोकने के उपाय.
निम्नलिखित उपायों के जरिए प्रदूषण रोक सकते हैं:-
अधिक से अधिक पेड़ लगाएं।
चीजों को पुनरुपयोग करें।
कीटनाशकों का बहुत ज्यादा उपयोग न करें।
अपने वाहनों की सर्विसिंग करवाते रहें।
जरूरत के अनुसार प्रकाश का उपयोग करें।
कचड़े को पानी मे न बहाएं।
नदी किनारे पशुओं को न नहलाएं।
कड़े औद्योगिक नियम बनाएं।
उपसंहार.
यदि हमें अपनी पृथ्वी को हमेशा हरी भरी, खूबसूरत और रहने लायक बनाए रखना चाहते हैं तो हमें यह संकल्प लेना होगा कि किसी भी शर्त पर हम अपनी धरती को दूषित नही करेंगे, वरना पता नह वह दिन कब आ जाए जब हमारे हाथ मे पछताने के अलावा कुछ न बचे।