मानव जीवन में शिक्षा का विशेष महत्व है। शिक्षा ही वह आभूषण है जो मनुष्य को ज्ञानवान और सभ्य बनाता है अन्यथा शिक्षा के बगैर मनुष्य को पशु के समान माना गया है। शिक्षा के महत्व को समझते हुए ही आज शिक्षा के स्तर को बढ़ाया गया है। आज के समय में लोगों को शिक्षित करने के लिए सरकार द्वारा बहुत से कार्य किए गए हैं। भारत में वर्तमान शिक्षा प्रणाली स्कूल कॉलेज पर केंद्रित एक व्यवस्थित प्रणाली है। भारत की जो वर्तमान शिक्षा प्रणाली है वह प्राचीन काल की शिक्षा प्रणाली से बिल्कुल अलग है। प्राचीन काल की शिक्षा प्रणाली गुरुकुल पर आधारित था परंतु आज की शिक्षा प्रणाली पूरी तरह से आधुनिकता से भरा हुआ है। कंप्यूटर शिक्षा इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है जो कि लोगों के जीवन को सहज सुंदर और सुविधाजनक बनाया है।
भारत में वर्तमान शिक्षा प्रणाली:-
भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली पूरी तरह से आधुनिकता पर निर्भर है। जिसकी शुरुआत अंग्रेजों द्वारा किया गया था और इसका पूरा श्रेय ब्रिटिश सरकार को जाता है। हमारा भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था। स्वतंत्र प्राप्ति के बाद से भारत सरकार ने निरंतर शिक्षा पद्धति के सुधार के प्रयास किए हैं। गांधी जी ने शिक्षा के विषय में कहा था कि शिक्षा का अर्थ बच्चों में सभी प्रकार के शारीरिक ,मानसिक और नैतिक शक्तियों का विकास करना होता है। शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने के लिए भारत सरकार द्वारा कई प्रकार की समितियां बनाई गई अनेक प्रकार के चर्चाएं और विचार विमर्श हुए। जिसके बाद शिक्षा प्रणाली में समय-समय पर अनेक परिवर्तन हुए।
वर्तमान शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत नए-नए विश्वविद्यालय, कॉलेज एवं स्कूल की स्थापना की गई। इसी प्रक्रिया को जारी करने के साथ-साथ साक्षरता के स्तर को बढ़ाने की भी कोशिश की गई । साल 2011 की जनगणना के अनुसार देश में साक्षरता का स्तर 73% है। वर्तमान शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत लड़कों को शिक्षित बनाने के साथ-साथ लड़कियों की साक्षरता के स्तर को बढ़ाने पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है। यह वर्तमान शिक्षा प्रणाली की प्रमुख विशेषता हैं । वर्तमान समय में महिलाओं के साक्षरता के स्तर को बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयास के कारण आज समाज में महिलाओं की स्थिति बहुत अच्छी है। वर्तमान समय के जनगणना के अनुसार महिलाओं की साक्षरता स्तर 64.6% है। जो कि आज के समय में हमारे भारत देश के लिए काफी अच्छा साबित हो सकता है।
भारत के वर्तमान शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत छात्र छात्राओं के लिए 12 वर्ष की शिक्षा निर्धारित की गई है। अर्थात 12 वर्ष की परीक्षा समाप्त करने के बाद मनुष्य जीविकोपार्जन करने की योग्यता और क्षमता प्राप्त होती है। 12 वर्ष की शिक्षा समाप्त करने के बाद मनुष्य 3 वर्ष की अतिरिक्त पढ़ाई करनी पड़ती है जिसे उच्च माध्यमिक शिक्षा कहा गया है। इस शिक्षा को समाप्त करने के बाद मनुष्य व्यवसायिक रूप से रोजगार करने में समर्थ होते हैं। इस प्रकार की शिक्षा प्रणाली हमारे भारत देश में बहुत पहले से ही चलती आ रही है ।और इसमें वर्तमान समय में कोई भी परिवर्तन नहीं किया गया है।
वर्तमान शिक्षा प्रणाली से लाभ:-
आज के समय में लोगों को वर्तमान शिक्षा प्रणाली के काफी लाभ हो रहा है। इस प्रणाली के अंतर्गत बच्चे बचपन से लेकर बालिक होने तक कुछ नया सीखते हैं। वर्तमान शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत शिक्षा की प्रगति के साथ साथ, भारत में अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में भी एक महान विकास देखा गया है। वर्तमान शिक्षा प्रणाली के माध्यम से लोगों को रोजगार करने का तरीका सिखाया जाता है जिसके कारण आज भारत में कम बेरोजगारी है और उनमें से कुछ भी स्वरोजगारी कर रहे हैं। वर्तमान शिक्षा प्रणाली से आज के समय में लगभग सभी लोग शिक्षित हो रहे हैं ।जिसके कारण बाल श्रम की अवस्था कम हो रही है। वर्तमान शिक्षा नीतियों के कारण आज देश में ज्यादा से ज्यादा लोग शिक्षित हो पा रहे हैं और वह किसी भी प्रकार के रोजगार को करने में सक्षम बन पा रहे हैं।
वर्तमान शिक्षा प्रणाली के नीतियों से सबसे ज्यादा लाभ महिलाओं को हो रहा है ।आज के समय में ज्यादा से ज्यादा महिलाएं शिक्षित हो पा रही हैं। जिसके कारण भारत में महिलाओं की साक्षरता का स्तर बढ़ते जा रहा है ।यह हमारे भारत देश के लिए काफी अच्छी बात है। वर्तमान शिक्षा प्रणाली के कारण आज महिलाओं को पुरुषों के बराबर माना गया है। इसके अंतर्गत महिलाओं को सभी प्रकार की सुविधाएं प्राप्त की जाती है। ताकि वह भी भविष्य में रोजगार का हिस्सा बन पाए। और वर्तमान शिक्षा प्रणाली के कारण आज महिलाएं आत्मनिर्भर बनते जा रही हैं। इन नीतियों के अंतर्गत बच्चों को बचपन से ही रोजगार तथा उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से किसी भी कार्य को करने के लिए सक्षम बनाया जा रहा है। जिसका परिणाम उन्हें भविष्य में जरूर देखने को मिलेगा। और वर्तमान शिक्षा प्रणाली के नीतियों के कारण भारत एक आत्मनिर्भर भारत बन रहा है।
भारत में नई शिक्षा प्रणाली के तथ्य:-
सन 1986 की शिक्षा नीति को भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने 2020 में सुधार किए गए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति द्वारा कुछ प्रकार के गोल का केंद्र रखा गया है। इस गोल को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने 2030 तक का समय निर्धारित किया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने वर्तमान समय में लागू 12 वर्ष की पढ़ाई के स्थान पर 13 वर्ष की पढ़ाई की एक नई व्यवस्था लागू करने की बात की गई है। नहीं शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत यह सुनिश्चित किया जाएगा कि विद्यार्थी – शिक्षक का अनुपात 30:1 से कम हो और इसके अंतर्गत बच्चों को सामाजिक -आर्थिक रूप से वंचित करवाने का प्रयास किया जाएगा।
भारत सरकार द्वारा नई शिक्षा प्रणाली के नीतियों को भारत में 100% अपनाने का लक्ष्य 2030 तक रखा गया है। इसका एकमात्र लक्ष्य है युवा पीढ़ियों में साक्षरता की प्राप्ति करवाना। भारत सरकार द्वारा 2040 तक सभी विद्यार्थियों के लिए गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा एवं शिक्षा प्रणाली की सर्वोच्च प्राथमिकता , प्राथमिक विद्यालयों में मूलभूत साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को प्राप्त कर आना है।
उपसंहार:-
जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया है कि भारत में किस प्रकार नई शिक्षा प्रणाली को अपनाया गया है, और इससे भारत और भारतवासियों को क्या लाभ हो रहा है। इन सब बातों से यह साबित होता है ,कि भारत में साक्षरता का स्तर बाकी देशों के मुकाबले कम नहीं है। आज के समय में भारत में लगभग सभी लोग शिक्षित हो रहे हैं। जिसके कारण भारत में बेरोजगारी कम होते जा रहा है। इस नई शिक्षा प्रणाली के कारण लोगों कि बेरोजगारी में कमी आई है। और जिसके कारण लोगों का समाज में मान सम्मान बढ़ा है। नई शिक्षा प्रणाली के कारण विद्यार्थियों का शारीरिक और मानसिक रूप से विकास हो रहा है ।और इस नीतियों के कारण सबसे ज्यादा फायदा महिलाओं को प्राप्त हो रहा है। जिसके कारण भारत एक आत्मनिर्भर भारत बनते जा रहा है।