भारतीय सामाजिक अर्थव्यवस्था के लिए जाति बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। हर क्षेत्र में व्यक्ति की जाति को देखा जाता है। भारतीय लोकतंत्र में जाति व्यवस्था होने के बाद लोगों ने अनुमान लगाया था कि देश से जातिभेद पूरी तरीके से समाप्त हो जाएगा परंतु आज के समय में भी बहुत से क्षेत्र में जाति भी देखने को मिल रहा है। जातिभेद बहुत बड़ा मुद्दा बनते जा रहा है। हालांकि पहले के समय में यह बहुत ही ज्यादा बढ़ते जा रहा था परंतु आज के समय में किसी किसी क्षेत्र में ही यह देखने को मिलता है। जातिभेद राजनीति पर भी असर करता जा रहा है।
जातिभेद के बढ़ने से देश पर सबसे बुरा प्रभाव पड़ सकता है। जातिभेद को हटाने के लिए हर व्यक्ति को प्रेरित होना पड़ेगा परंतु उससे पहले राजनीति दर पर जातिभेद हटाना जरूरी है। भारत एक ऐसा देश है जहां पर जातियों को देखा जाता है और उसके हिसाब से उन्हें कार्यभार सौंपा जाता है परंतु विदेश में कोई जातिभेद नहीं मानी जाती। हमारे देश में बहुत से जातियां होती है और राजनीति तौर पे इन जातियों को बढ़ावा देकर जातिवाद को महत्व दिया जाता है।आइए हम आपको बताते है कि जाती वाद होता क्या है? –
जातिवाद क्या होता है?
जातिवाद के अर्थ अपनी जाती के प्रति निष्ठा दिखाना होता है।अपनी जाति के प्रति किसी भी प्रकार का कोई भी विद्रोह या फिर किसी प्रकार का कोई गलत बात सुनना और उसके लिए उस चीज का विरोध करना ही जातिवाद है।जातिवाद के अंतर्गत वह सारी चीजें भी आती है जिसका हम लोगों को अपने बाहुबल या फिर मस्तिष्क की शक्ति के मदद से सामना करना पड़ता है।कई बार देखा जाता है कि जातिवाद के चक्कर में लोगों को पीछे छोड़ कर के ऊंची जाति वाले आगे निकल जाते हैं परंतु हमें इस चीज का सामना करने के लिए जातिवाद का सहारा देना पड़ता है।जातिवाद के अंतर्गत ऐसी बहुत सारी भावनाएं और धार्मिकता चीज भी आती है जो लोगों को उनके जातिगत की तरफ और भी ज्यादा आकर्षित और अनुभवी करते हैं।जातिवाद के अंतर्गत आने वाली ऐसी चीजों का प्रभाव और प्रसार करना है जातिवाद कहलाता है।कई बार लोग अपनी जाति को लेकर के इतने ज्यादा अनुभवी और चिंतित होते हैं कि अपनी जाति के प्रति एक शब्द सुनने पर भी लोगों से वह लड़ पढ़ते हैं यही सब जातिवाद है।जातिवाद वैसे तो हर क्षेत्र हर जगह और हर गांव कस्बे में देखा जाता है परंतु जातिवाद का सबसे ज्यादा निर्वाहन छोटी जातियां और छोटे कस्बे के लोग करते हैं जो अपनी जाति में सबसे ज्यादा पिछड़े होते हैं। राष्ट्रीय सरकार द्वारा ऐसी आशा की जाती है जिसमें राष्ट्रीय सरकार द्वारा जितनी सुविधा दी जाती है लोग उसके लिए उतना प्रयत्न करते है ,और आम लोगों द्वारा भी बहुत सारी सुविधाएं प्रकट की जाती है जो की जातिवाद को बढ़ावा देता है
जातिवाद का महत्व:-
जातिवाद का महत्व वैसे तो सबसे ज्यादा छोटी जातियां और पिछली लोगों में देखा जाता है जो सरकार द्वारा सबसे ज्यादा सुविधाओं का सेवन करता है। वैसे तो बहुत सारी मान्यताओं के अनुसार छोटी जातियों को इतना नंबर तो नहीं दिया जाता परंतु ज्यादातर लोग आदिवासी क्षेत्र से होने के बावजूद भी अपने जातिवाद का सबसे ज्यादा साथ देते हैं।ऐसा कई बार देखा गया है कि एक जाति के लोग साथ मिलकर ही किसी भी कार्य को अंजाम देते हैं परंतु ऐसा बड़ी बार देखा जाता है कि एक ही जाति वाले एक दूसरे से ही टक्कर रखते हैं। जातिवाद का सबसे अच्छा उदाहरण हमें जातियों में देखने को मिलता है जहां पर लोग एक दूसरे का साथ देते हैं किसी प्रकार की किसी भी कार्य का एक साथ में ही निर्माण करते हैं।सबसे ज्यादा जातिवाद का महत्व देखने के लिए हमें उन जातियों का सहारा देखना चाहिए जो एक दूसरे के साथ मिलकर के कदम से कदम मिलाकर चलते हैं।अधिकतर सरकार उन्हीं लोगों को सबसे ज्यादा सुविधाएं देते हैं जो जातिवाद का साथ देते हैं यहां पर तो देखा जाए तो हर जाति एक दूसरे से इतना शपथ हिन और हिन की भावना रखती है कि वह एक साथ बैठ कर पानी तक नहीं पीते। जातिवाद का सबसे ज्यादा निर्वाहन करने के लिए सरकार हर किसी को जातिवाद की सलाह देती है जातिवाद के वजह से किसी प्रकार का विद्रोह या फिर किसी प्रकार का आंदोलन नहीं किया जा सकता, यह जातिवाद का महत्व है।
जातिवाद से समस्या :-
जितना जातिवाद का महत्व देश में देखा जाता है उतनी ज्यादा उससे होने वाली समस्या भी बढ़ती जा रही है। जातिवाद के कारण लोग एक दूसरे के साथ मिलकर कितना बड़ा आंदोलन कर देते हैं कि राज्य सरकार कुछ कर नहीं पाता।जातिवाद से होने वाली समस्या में से ज्यादा गंभीर तो नहीं होती परंतु इसे संभालना बहुत ज्यादा कठिन होता है।जातिवाद द्वारा खड़ा किया गया मोर्चा या फिर आंदोलन इतना ज्यादा खतरनाक हो सकता है कि उनकी मांगों को पूरा किए बिना वह मोर्चा हटता नहीं यह समस्या राज्य सरकार को देखना पड़ता है। कई बार तो ऐसा होता है कि एक साथ मिलकर के लोग जातिवाद का इतना ज्यादा बढ़ावा देते है कि सरकार को भी उनके आगे झुकना पड़ता है। कई बार तो यह भी देखा गया है कि जातिवाद के कारण लोग एक दूसरे से इतनी ज्यादा प्रभावी हो गए हैं कि किसी भी प्रकार की समस्या होने पर एकजुट होकर के लोगों को परेशान करते हैं।इन समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए राज्य सरकार जातिवाद को बढ़ावा देता है परंतु उन्हें रोकने का भी कार्य कर रहा है।अधिकतम यही देखा गया है कि जातिवाद के बढ़ावा होने के कारण ही लोग इतना सारा आंदोलन या फिर किसी प्रकार का जातिवादी मोर्चा निकाल कर के सरकार को अपनी मांगे मानने पर मजबूर कर देती है।
निष्कर्ष:-
जातिवाद जैसी नीतियों का पालन करना बिल्कुल भी गलत बात नहीं है परंतु यदि वह किसी प्रकार के परेशानी में हो तब सरकार द्वारा उनका सहयोग करना भी एक प्रकार का जातिवाद को साथ देने जैसा ही है।जातिवाद से होने वाली परेशानियां भी बिल्कुल जटिल है उनका निर्वाहन करना भी हमारे सरकार के हाथ में नहीं होता इसलिए जातिवाद को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा देने के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।इन्हीं सब महत्व को समझाने के लिए जातिवाद को सरकार उतना ज्यादा मान्यता नहीं देता परंतु दिए गए सुविधाओं का सबसे ज्यादा लाभ जातिवाद लोगों को ही मिलता है।
FAQ ( विषय से संबंधित प्रश्न):-
1.प्रश्न:- जातिवाद में विकास के प्रमुख दो कारण बताइए?
उत्तर:- जातिवाद में विकास के प्रमुख दो कारण- जातियां स्थिति को ऊपर उठाने की लालच और जातियों का राजनीतिकरण है।
2.प्रश्न:- जातिवाद के दुष्परिणाम कैसे है?
उत्तर:-। जातिवाद राजनीति, प्रजातंत्र और देश के विकास में बाधक है।
3.प्रश्न:- जातिवाद को रोकने के लिए ,क्या शिक्षा जरूरी है?
उत्तर:- जातिवाद को रोकने के लिए लोगों का शिक्षित होना बहुत जरूरी है क्योंकि जिस प्रकार शिक्षा पड़ेगा उसके साथ-साथ लोगों को जाति के प्रति जागरूकता बढ़ेगी।
4.प्रश्न:- राजनीति की मदद से जातिवाद को कैसे मिटाया जा सकता है?
उत्तर:- राजनेता अगर अपनी राजनीति का गलत इस्तेमाल ना करे और देश के विकाश के बारे में सोचे ना की जातिवाद के बारे में तो जातिवाद मिटाया जा सकता है।