भारत में आरक्षण नीति आपको हर क्षेत्र में देखने को मिलेगी। सरकारी कामों से लेकर शिक्षा के क्षेत्र में भी आपसे आपकी जाति पूछी जाती है, और आपकी जाति के हिसाब से आपको सुविधा दी जाती है। यह आरक्षण नीति देश को बर्बाद कर देगी, परंतु सरकार अब भी नीतियों को मान रहा है। आरक्षण उन व्यक्तियों को मिलना चाहिए जो इसका सही मायने में हकदार है ,ना कि उनको जोकि सिर्फ जाति धर्म से नीचे वर्ग के हैं बाकी उनके पास सारी सुविधाएं पूरी तरह से प्राप्त है। ये जाती धर्म को हमें कभी मानना ही नहीं चाहिए क्योंकि आप ही सोचिए जब मनुष्य का जन्म हुआ तब सारे मनुष्य एक थे, सभी के अंदर एक समान भावना थी किसी को यह नहीं पता था कि जाति होती क्या है। परंतु जिस प्रकार समय बढ़ता गया कुछ व्यक्तियों ने लोगों को अलग-अलग जाती में बांट दिया और उनको उनकी जाति की नजर से देखने लगे। ऊंची वर्ग वालों को अधिक सम्मान मिलता था जबकि नीचे वर्ग वालों को अपने आसपास भी भटकने नहीं दिया जाता था। यह प्रथा आज भी भारत के क्षेत्रों में देखी जाती है। इस जाति प्रथा के खिलाफ कई कानून बनाए गए जिससे छोटे वर्ग के लोगों को भी सम्मान मिले और उन्हें हर क्षेत्र में समान अधिकार मिल सके। जाति प्रथा के साथ-साथ महिलाओं के लिए भी अनेक प्रथाएं निकाली गई थी, इनमें से पर्दा प्रथा हर महिलाओ से खुल के जीवन जीने का हक छीन रहा था।
आरक्षण नीति क्या है?
इन प्रथाओं के ऊपर आवाज उठाने और इसको खत्म करने के लिए आरक्षण नीति बनाई गई। प्राचीन काल में शूद्र जाति को समानता प्राप्त नहीं थी और महिलाओं को बाहर निकलने का अधिकार नहीं था, इन सभी समस्या को देखते हुए आरक्षण बनाया गया। आरक्षण उन लोगों के लिए सुरक्षा कवच का काम करता है ,जो कि हर क्षेत्र में पिछड़ जाते थे और उन्हें उनका सम्मान नहीं मिलता था। आरक्षण विशेष समानता और स्वतंत्रता से जीने का अधिकार है। आरक्षण ना होने से लोगो को शोषण का भी सामना करना पड़ता था। एक देश में होने के बावजूद भी सभी को समान अधिकार प्राप्त नहीं हो पाता यह देश की सबसे बड़ी समस्या है। आरक्षण के होने से यह समस्या काम हो यही इसका उद्देश्य है।
आरक्षण नीति के प्रकार :-
पुराने समय से ही हमें आरक्षण नीति के कई सारे प्रकार देखने को मिले हैं। इन समस्याओं को दूर करने के लिए आरक्षण नीति का सहारा लिया गया। इसके प्रकार कुछ ऐसे है:-
- जातियों के लिए आरक्षण:-
प्राचीन काल से ही जाति धर्म को 4 वर्गों में बांट दिया गया है ब्राम्हण, क्षत्रिय,वैश्य और शूद्र। व्यक्ति के जन्म होते ही उसकी जाति वंशज के हिसाब से तय हो जाती है। ब्राह्मण क्षत्रिय और वैश्य को दो उनका हक किसी प्रकार प्राप्त हो जाता था परंतु शुद्र को कहीं भी आने-जाने का आज्ञा नहीं मिलती थी। इस जाति को एकदम नीची जाति समझकर मंदिर में भी प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी इस समस्या को देखते हुए जातियों के लिए आरक्षण शुरू हुआ। जिसमें नीचे वर्ग वालों को समानता के अधिकार दिया जाता है और आरक्षण के हिसाब से हर क्षेत्र में उनको सर्वोपरि मानकर उनका हक दिया जाता है ।
- महिलाओं के लिए आरक्षण:-
प्राचीन काल में महिलाओं को केवल घर में बंद करके रखा जाता था यहां तक कि उन्हें अपना चेहरा तक दिखाने की अनुमति नहीं थी। आज के समय अगर देखा जाए तो आरक्षण के क्षेत्र में महिलाओं के ऊपर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है आजकल हर चीज महिलाओं के नाम पर बनाई जा रही है जैसे कि राशन कार्ड बीपीएल कार्ड अलग-अलग तरह के ऐसी चीज है जो महिलाओं को सुरक्षित रख सके।पहले के समय में तो महिलाओं को किसी प्रकार की अनुमति नहीं थी ना पीछे बोलने की ना किसी से सलाह मशवरा करने की यहां तक की किसी को कोई सलाह देने की भी अनुमति नहीं थी। जबकि आज के दिन में महिलाओं के द्वारा सलाह मशवरा दिया जाता है यहां तक कि कोई बड़े निर्णय में भी महिलाओं का हाथ सबसे आगे आता है।पहले के समय में जहां महिलाओं को सिर्फ घर गृहस्थ सम्हालने वाली गृहती बस समझ जा रहा था वही आज महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे बढ़ता देखा जा रहा है।यही महिलाओं को मिला अधिकार है जो सरकार द्वारा उन्हें प्राप्त कराया गया।
- शिक्षा के क्षेत्र में आरक्षण :-
शिक्षा के क्षेत्र में पहले के समय में कोई ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता था। ज्यादा से ज्यादा तो केवल पुरुषों को ही पढ़ने की अनुमति दी महिलाओं को तो घर से निकलने तक नहीं दिया जाता था। जबकि आज के समय में महिला और पुरुष दोनों कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रहे हैं। एक तरह से देखा जाए तो महिलाएं ही आजकल हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है। शिक्षा का महत्व आजकल जागरूकता के साथ समझा जा रहा है। अरे क्षेत्र में पढ़ाई और जागरूकता की जितनी जरूरत है उतनी ही ज्यादा लोगों को शिक्षा के प्रति आरक्षण देना भी जरूरी हो गया है।
आरक्षण का उद्देश्य :-
आरक्षण का उद्देश्य यह है कि सभी व्यक्ति को उनका अधिकार दिलाना है। पुरुष हो या महिला, ब्राह्मणों या शूद्र सभी को हर क्षेत्र में समान अधिकार प्राप्त हो , किसी भी रूप में कोई भी व्यक्ति का शोषण ना हो पाए इसलिए आरक्षण नीति बनाई गई। आरक्षण का मुख्य भाग यह है कि कोई अपने अधिकारों का दुरुपयोग ना कर पाए। पूरे भारत देश में जनसंख्या बहुत ज्यादा है और सभी व्यक्ति को एक समान जीने का अधिकार है। महिला जाति को पीछे ना समझते हुए उन्हें भी हर कार्य स्वतंत्रता से करने का अधिकार है।आरक्षण के हर क्षेत्र में महिलाओं का हक होना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
वर्तमान की स्थिति :-
प्राचीन काल में देखा जाता था ब्राह्मणों को उच्च अधिकार प्राप्त होता था और शुद्र को हर कार्यों से वंचित रखकर सबसे अलग माना जाता था। परंतु वर्तमान की स्थिति पूरी विपरीत हो गई है सरकारी काम से लेकर अधिकारियों के पद के लिए भी पहले नीचे जाति वालों को स्थान दिया जाता है और सबसे कम मात्रा में स्थान सामान्य जाति वालों को मिलता है। वर्तमान की स्थिति में ऊंचे वर्ग वाले व्यक्ति ही गरीबों की संख्या में आते हैं परंतु फिर भी उन्हें सबसे कम अधिकार प्राप्त होता है ।शिक्षा के क्षेत्र में भी देखे दो सामान्य जाति वालों को स्थान प्राप्त ना करवाते हुए पहले नीचे जाति वालों को स्थान देते हैं ,और कुछ स्थान बचने पर सामान्य को स्थान प्राप्त होता है। एक तरीके से देखा जाए तो यह भी अन्याय है क्योंकि संविधान में यह भी बोला गया है कि सभी व्यक्ति को समान अधिकार मिलेगा परंतु आज भी यह जाति भेद देखा जा रहा है। आरक्षण नीति के साथ व्यक्ति को सभी का समान अधिकार मिलना चाहिए।
निष्कर्ष:-
बड़े-बड़े महापुरुषों जैसे भीमराव अंबेडकर जी के प्रयासों से यह आरक्षण नीति नीचे वर्ग वाले और महिलाओं के लिए बनाई गई। यह नीति को पूरी तरीके से अपनाया जाए तो आज देश में ऐसी प्रथाओं से छुटकारा मिल जाएगा परंतु आज भी कोई कोई क्षेत्र इन प्रथाओं से घिरा हुआ है। हमें इन आरक्षण नीति को मानते हुए इस खटिया प्रथा को देश से हटाना होगा। हर व्यक्ति महिला हो या पुरुष सभी को समन अधिकार देना है।