Home निबंध Essay on Shahdara Sharif in Hindi | हिंदी में शाहदरा शरीफ पर...

Essay on Shahdara Sharif in Hindi | हिंदी में शाहदरा शरीफ पर निबंध

Essay on Shahdara Sharif in Hindi

क्या है शाहदरा शरीफ दरगाह ? (What is Shahdara Sharif Dargah)

क्या आपने कभी ऐसे फकीर के बारे में सुना है जिसने किसी राजा को राज्य सौंपा हो ? जी हां आज हम बात करेंगे शाहदरा शरीफ के बारे में जो कश्मीर में स्थित बहुत ही प्रसिद्ध दरगाह है।

शाहदरा शरीफ दरगाह जाने के मार्ग (Way to go to Shahdara Sharif Dargah)

पाकिस्तान की सीमा के निकटवर्ती राजौरी जिले से 29 किलोमीटर दूर स्थित शाहदरा शरीफ दरगाह एक दर्रे में स्थापित है। इस दर्रे को  ‘शेर दर्रा ‘ के नाम से भी जाना जाता है । मुगल रोड के खुल जाने पर श्रद्धालुओं के आने जाने में ही केवल सहायता नहीं मिली है बल्कि वहां की सुंदरता भी उनके मन को मोह लेती है। पर्यटन के मामले में रजौली को विशेष स्थान प्राप्त हो चुका है। यहां से दरगाह की दूरी 102 किलोमीटर होती है एवं सफर भी लगभग तीन घंटे का होता है। मुगल रोड के खुल जाने पर सबसे बड़ी बात यह हुई है कि शाहदरा शरीफ के मजार पर लोगों की भीड़ में भी काफी वृद्धि हुई है।

शाहदरा शरीफ दरगाह का महत्व एवं प्रसिद्धि (Importance and fame)

शाहदरा शरीफ का निर्माण 1224 ईस्वी में पाकिस्तान के रहने वाले  एक कोढी के द्वारा किया गया था। यह कोढी ठीक से चल भी नहीं पाता था परंतु  बाबा के आशीर्वाद से यह ठीक हो गया और स्वस्थ होकर चलने लगा और उसका कोढ़ भी दूर हो गया। फकीर बाबा का पूरा नाम ‘गुलाम शाह बादशाह मशाही था और इन्हीं के नाम पर ही शाहदरा शरीफ दरगाह बनवाया गया था। शाहदरा शरीफ का वास्तविक नाम ‘शाह का दर्रा’ था। जो कि बाद में शाहदरा शरीफ के नाम से काफी प्रसिद्ध हो गया। कहा जाता है कि शाहदरा शरीफ दरगाह की मान्यता पहले जितना हुआ करता था आज भी उतना ही हैं। यह मकबरा देखने में अद्वितीय और काफी अद्भुत दिखाई देता है जो कारीगरी का एक बहुत बढ़िया नमूना है। इस वर्ष यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इस दरगाह में लोगों की भीड़ में काफी वृद्धि होगी तथा धार्मिक एवं ऐतिहासिक क्षेत्र के रूप में इसका महत्व भी बढ़ेगा।

सन 1978 ईस्वी  तक इसका प्रबंधन यह समिति के द्वारा किया जाता था और बाद में जब यह मकबरा प्रसिद्ध हुआ तो सरकार के द्वारा इसे अपने अंतर्गत ले लिया गया और इसके लिए सरकार ने ₹4 करोड़ की मंजूरी भी दी जिससे इस दरगाह को और अधिक से अधिक अच्छा बनाया जा सके।
शाहदरा शरीफ में आज भी तीन से चार हजार की संख्या में श्रद्धालु आया करते हैं और यह श्रद्धालु भारत के विभिन्न राज्यों से आते हैं और जो श्रद्धालु यहां पर आते हैं उनके द्वारा चढ़ाई जाने वाली मुद्राएं काफी अधिक मात्रा में होती हैं, जो कि यह मुद्राएं हर साल मुहर्रम में उपयोग भी होता है।

शाहदरा शरीफ मकबरा से जुड़ी पौराणिक कथा (Legend related to Shahdara Sharif Tomb)

शाहदरा शरीफ मकबरा की एक बहुत ही प्रसिद्ध कथा है । क्या आपने कभी सुना है कि कोई फकीर किसी राजा को राज दे सकता है तो यह कथा उसी पर आधारित है । बाबा गुलाब शाह जोजिला रावलपिंडी के रहने वाले थे। इनको इनके गुरु पाक लतीफ ने पहाड़ों पर जाने का आदेश दे दिया था क्योंकि उनका मानना था कि पहाड़ों पर सभी स्थान बिल्कुल खाली होते हैं जिससे वहां पर किसी फकीर को अवश्य जाना चाहिए। बाबा गुलाब शाह अपने गुरु पार्क लतीफ की आज्ञा का पालन करते हुए रियासत में बहुत ही कम उम्र में अपना डेरा डाल लिए । शाहदरा शरीफ की देखभाल करने वाले कहा करते थे कि  पूछा के राजा का भाई जब शाहदरा शरीफ के बाबा का प्रिय शिष्य बन गया था तो राजा के मंत्रियों ने राजा के कान भर दिया और कहने लगे कि यह बाबा का शिष्य बन कर आपका राज हथियाना चाहता है। मंत्रियों के कान भरने के कारण राजा की आज्ञा से अपने भाई को सैनिकों के द्वारा हत्या करा दी गई थी।

इस हत्या की बात सुनकर बाबा गुलाब गुलाब शाह के दिल  गुस्से की लहर उठ गई और उन्होंने पूछे रियासत को बर्बाद करने का फैसला ले लिया क्योंकि उनका कहना था कि जिस राज्य में भाई भाई पर विश्वास न किया जाए उस राज्य का विध्वंस करना जरूरी है । उन्होंने राज्य के बड़े-बड़े पेड़ पौधों को जड़ से उखाड़ फेंका परंतु चेलों के रोकने पर उन्होंने अपने गुस्से को शांत किया लेकिन उन्होंने एक अन्य घटना घटने के बाद पूछा राज्य को छोड़ दिया।

वह राजौरी  राज्य में चले गए और उन्होंने राज्य में प्रवेश करने से पहले अपने जूते तक उतार दिए क्योंकि उनका मानना था कि राजौरी में कुछ की मिट्टी तक प्रवेश ना करें।
जब वह राजौरी में प्रवेश कर रहे थे तो चलते चलते उन्हें  अपने गुरु के द्वारा बताई गई बातें याद आई जिनका कहना था कि उनका अंतिम पथ सी दर्रा होगा लेकिन उन्होंने वहां पक्का ठिकाना बनाने से पूर्व दो बातों की जांच करना चाहा । पहले उन्होंने अपने डंडे  से जमीन पर पीटा और देखा कि क्या जमीन से आग निकलता है और दूसरी यह कि बकरी को शेर उठाकर ले जाता है  यह दोनों बातें सच हुई और तब बाबा ने वहीं पर अपना डेरा डाल लिया।

कहा जाता है कि राजौरी के राजा द्वारा बाबा के किसी बात पर बेज्जती करने पर बाबा ने उन्हें श्राप दे दिया जिसके कारण उनकी चारों पुत्र की मृत्यु हो गई लेकिन राजा की पत्नी के द्वारा बाबा को मनाने पर बाबा के आशीर्वाद से उसे एक पुत्र की प्राप्ति हुई लेकिन बाबा का कहना था कि अपने बेटे का नाम अगार रखें क्योंकि उसकी पीठ पर शेर के पंजों के निशान थे और वह गलत तरह से राज्य करेगा तो उसकी राज्य समाप्त हो जाए  बाद में यह बाते सत्य साबित हुई।

कहा जाता है कि जब अगार खान बड़ा होता है तो वह राज्य के नशे में चूर हो जाता है और उसके गलत मंत्रियों द्वारा उसको सलाह देने पर वह पंजाब के राजा महाराज रंजीत सिंह को कर देना बन्द कर देता है। जिससे महाराजा रणजीत सिंह  क्रोधित होकर अगार खान के राज्य में फौज भेज देते हैं। इस फौज में गुलाब सिंह नाम का एक फौजी था जो आगे चलकर के जम्मू कश्मीर का राजा बना क्योंकि यह बाबा का बहुत ही अनन्य भक्त था और उनकी ही कृपा से बाबा ने उससे उन्हें जम्मू कश्मीर का राजा बना दिया। इसका प्रमुख कारण यह था कि गुलाब सिंह ने बाबा से वायदा किया था कि वह उनके निवास स्थान यानी घर से छेड़खानी करने का आदेश किसी को भी नहीं देंगे।

निष्कर्ष (Conclusion)

शाहदरा शरीफ बाबा गुलाम शाह बादशाह का मकबरा है एवं यह अपने विशेषताओं के कारण काफी प्रसिद्ध है। गुलाम शाह बादशाह एक सूफी संत जी माने जाते थे जिन्होंने धार्मिक क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कार्य किए। विभिन्न धर्मों के लोगों की बड़ी संख्या इन्हें श्रद्धांजलि देती है। यहां लोग बिना किसी भेदभाव के एवं निष्पक्ष भाव से संत बाबा गुलाम शाह बादशाह की अर्चना करते हैं। इसे जम्मू के सबसे लोकप्रिय मंदिरों में से एक माना गया है जिसकी अपनी प्रधानता है। इसकी सुंदरता अन्य मां को भरोसे काफी अलग एवं अद्वितीय है।