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Essay On Stop The Export Of Meat | मांस निर्यात पर रोक पर निबंध

essay on stop the export of meat

Essay On Stop The Export Of Meat: आज हमारा भारत पूरे विश्व में भिन्न-भिन्न व्यापार एवं कार्य क्षेत्रों में अपनी एक अलग पहचान बनाए हुए हैं। उद्योग धंधों एवं व्यवसाय के साथ-साथ भारत में मांस निर्यात का व्यवसाय भी काफी प्रचलन में है परंतु मांस के निर्यात पर रोक लगाना भी अत्यंत आवश्यक हो चुका है।

इसी प्रकार आज हम भारत से निर्यात होने वाली विभिन्न प्रकार के मांस, उनके निर्यात से संबंधित जानकारियां तथा उनके आंकड़ों के विषय पर चर्चा करेंगे।

वर्ष 2013 में फॉरेन एग्रीकल्चर सर्विस (FAS) द्वारा आए रिपोर्ट के अनुसार, भारत विश्व का सबसे बड़ा बीफ निर्यातक बना हुआ था। 2014-2015 में भारत ने 24 लाख टन केवल बीफ का निर्यात किया था। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी के आंकड़ों के मुताबिक सबसे अधिक मांस एशियाई देशों में भारत से ही निर्यात किया जाता है।

अप्रैल 2016 से जनवरी 2017 के बीच आंकड़ों के अनुसार देखा गया कि भारत द्वारा 21316  करोड़ के भैंसों के मांस का निर्यात किया गया है, जिसकी स्थिति अत्यंत दयनीय हो चुकी है। इस आंकड़े की जानकारी वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा पिछले बजट सत्र में दी गई थी। 

इन सभी देशों में भारत से मांस का निर्यात लगभग 80 फ़ीसदी होती है अथवा 15% अफ्रीकी देशों में मांस का निर्यात किया जाता है। एशिया के ही देशों में वियतनाम, मांस खरीददारों में से भारत का सबसे बड़ा खरीदार है, यह भारत से 45 फ़ीसदी मांस की खरीद करता है।

अन्य आंकड़ों के मुताबिक भारत से मांस का निर्यात वर्ष 2011 तथा प्रतिवर्ष करीब-करीब 14 फ़ीसदी की दर से बढ़ोतरी हो रही है।

विभिन्न आंकड़ों के अनुसार भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा मांस निर्यातक देश है और उम्मीद है की यह अपनी स्थिति आने वाले कई वर्षों तक बनाए रखेगा, जो पशु जगत के लिए नुकसानदेह हो सकता है।

मांस निर्यात के चौका देने वाले आंकड़े : (Staggering Figures Of Meat Exports)

भारत में विभिन्न प्रकार के मांस का निर्यात किया जाता है, जैसे – भेड़/बकरी, भैंस, बैल, कुकुट इत्यादि। इनके आंकड़े कुछ इस प्रकार है।

भारत विश्व का भेड़ बकरी के मांस का सबसे बड़ा निर्यातक है। वर्ष 2019-2020 के दौरान पूरे विश्व को 14,128.85 मैट्रिक टन भेड़/बकरी का मांस जिसकी कीमत 646.69 करोड रुपए/90.77 मिलियन अमेरिकी डॉलर निर्यात किया गया है। इन के मुख्य निर्यातक देश संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत, कतर, ओमान, सऊदी अरब हैं।

  • भैंस के मांस निर्यात का आंकड़ा कुछ इस प्रकार है; 

वर्ष 2019-2020 के दौरान भारत देश ने पूरे विश्व को 11,52,547.32 मैट्रिक टन, जिसकी कीमत करीब 22,668.48 करोड़ रुपए/3175.05 मिलियन अमेरिकी डॉलर निर्यात कर चुका है। जहाँ भारत के मुख्य निर्यातक देश हैं वियतनाम, मलेशिया, इंडोनेशिया, इराक अथवा मिस्र।

  • कुकुट का बढ़ता मांग

भारत के कृषि क्षेत्र में कुक्कुट सबसे तेजी से उभरता हुआ क्षेत्र है। अनाज उत्पादन के क्षेत्र में प्रतिवर्ष 1.5 सीट 2% दर से बढ़ोतरी हो रही है, जबकि अंडे उत्पादन और बॉयलर उत्पादन के क्षेत्र में वर्ष प्रतिवर्ष 8 से 10 प्रतिशत की दर से बढ़ोतरी हो रही है। हमारा भारत पूरे विश्व में अंडे के उत्पादन के क्षेत्र में पांचवा अथवा बॉयलर उत्पादन के क्षेत्र में 18 स्थान पर सबसे बड़ा निर्यातक बना हुआ है। इस क्षेत्र में हुई बढ़ोतरी के कई कारण हैं, जैसे – प्रति व्यक्ति आय में हुई वृद्धि, बढ़ती हुई जनसंख्या अथवा कुक्कुट के मूल्यों में हुई कमी है।

  • विश्व में बढ़ते हुए मांस की मांग

 विश्व में बढ़ते हुए मांस की मांग भी एक बढ़ता हुआ घटक है। पूरे विश्व भर में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जो कुक्कुट के क्षेत्र में शीघ्रता से वृद्धि कर रहा है। भारतवर्ष ने वर्ष 2019-2020 में पूरे विश्व भर में लगभग 3,50,817.80 मैट्रिक टन अंडे उत्पादन का निर्यात किया है। जिसकी कीमत लगभग 574.61 करोड़ों रुपए/ 80.34 मिलियन अमेरिकी डॉलर की कीमत पर किया है। प्रमुख निर्यातक देश ओमान, वियतनाम, इंडोनेशिया, रूस अथवा मालदीव है।

  • सुअर के मांस का बाजार

भारत में सूअर के मांस का कोई बूचड़खाना नहीं है। जिस वजह से सूअर के मांस बेचने वाले लोग खुले में ही जानवरों को मार देते हैं, जो कि स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक सिद्ध हो रही है। जिस वजह से भारत सरकार ने यह फैसला किया है, कि भारत की राजधानी दिल्ली में आधुनिक सूअर वधशाला यानी की सूअर स्लॉटर हाउस बनाए जाएंगे।

भारत प्रतिवर्ष 18,95,497.05 टन मांस जिसमें ज्यादातर भैंस के मांस का निर्यात किया जाता है। भारत के भैसों की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में काफी ज्यादा है, इसका सबसे बड़ा कारण इसके चर्बी रहित जैविक स्वरूप है। भारत देश ने वर्ष 2019-2020 में 439.60 मैट्रिक टन प्रसंस्कृत मांस का निर्यात किया गया है और इसकी कीमत लगभग 14.71 करोड़ रुपए है। अमेरिकी मिलियन डॉलर में जिसकी कीमत 2.03 है। जिसके, प्रमुख निर्यातक स्थान संयुक्त अरब अमीरात, म्यानमार, थाईलैंड, कतर, भूटान इत्यादि है।

  • अन्य मांसों के निर्यात का आंकड़ा कुछ इस प्रकार है, अन्य मांसों में स्वाइन, सूअर, खरगोश, घोड़े, ऊंट आदि अन्य प्रकार के पशु उपयोग में लाए जाते हैं। अन्य मांस भारत में एक महत्वपूर्ण प्रकार का गठन करता है। अन्य मांस ग्रामीण क्षेत्र अथवा वहाँ के लोगों के विकास के लिए महत्वपूर्ण योगदान के रूप में माना जाता है। अन्य प्रकार के मांस को भी विश्व भर के देशों में निर्यात किया जाता है। 

वर्ष 2019-2020 के आंकड़ों के मुताबिक विश्व भर में भारत से 1030.41 मैट्रिक टन निर्यात किया गया है, जिसकी क़ीमत लगभग 16.32 करोड़ 2.27 अमेरिकी मिलियन डॉलर थी। इसके प्रमुख निर्यात स्थान भूटान, वियतनाम, नेपाल, म्यानमार और लाइबेरिया है।

ऊपर दिए गए मांस कारोबार और निर्यात किए गए जाने वाले मांस के आंकड़ों को देखें तो हमें पता चलेगा कि, भारत मे सबसे ज्यादा निर्यात करने वाला मांस भैंस का है। जिसे इंग्लिश में वॉटर बफैलो के नाम से जाना जाता है। 

मांस निर्यात पर रोक लगाना जरूरी क्यों है? (Why is it necessary to ban meat exports?)

भारत में मांस (Essay On Stop The Export Of Meat) के प्रतिबंध पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। बीते कुछ सालों में भारत दुनिया का सबसे अधिक मांस निर्यातक देश बन गया है। भारत में जिस तरह के मांस का निर्यात अधिक होता है उसमें से भैंस, बकरी, बैल आदि का मांस शामिल है। इन्हें मुख्य रूप से बीफ कहा जाता है। विशेष रुप से गाय का मांस निर्यात करना प्रतिबंध है क्योंकि यह भारत के हिन्दू धर्म से संबंधित है। जिसमें किसी के धर्म को ठेस नहीं पहुंचाया जा सकता है। लेकिन यह अभी भी पूर्ण रूप से प्रतिबंध नहीं किया गया है। 

सुप्रीम कोर्ट द्वारा मांस के निर्यात के लिये कुछ राज्य सरकारों को छूट दिया गया है। यही कारण है कि भारत के कुछ राज्यों में बीफ के निर्यात के लिये पूर्ण रूप से रोक है तो कुछ राज्यों द्वारा बीफ का निर्यात जारी है। 

भारत के कुल 11 राज्य द्वारा बीफ के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। जिसमें जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और 2 केंद्र शासित राज्यों में दिल्ली, चंडीगढ़ शामिल है। तो कहीं इसके अलावा कुछ ऐसे राज्य हैं, जहां बीफ़ के निर्यात पर कोई रोक नहीं लगाई गई है। जिसमें केरल, पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, नागालैंड, और सिक्किम आदि राज्य के नाम हैं। इसके अतरिक्त 4 ऐसे राज्य हैं जहाँ गाय का मांस पूर्ण रूप से प्रतिबंध है। लेकिन सांड और भैंस को काटने की इजाजत दी गई है।

 आज भारत के द्वारा मांस के निर्यात (Essay On Stop The Export Of Meat) इतना अधिक बढ़ गया है कि यह हमारे समाज के लिए खतरे का साबित हो सकता है। अतः मांस निर्यात का राज्य द्वारा एक सुचारू ढंग से कानून व्यवस्था बनाने की आवश्यकता है। मांस को कई मामलों में प्रतिबंध करना काफी जरूरी है।

  • धार्मिक रूप से

मांस का आयात निर्यात किसी धर्म से देखना काफी जरूरी है। हमें अपने देश में ऐसा माहौल नहीं बनाना है जहां धर्म के नाम पर युद्ध हो। आपकी समझ से इस समस्या को सुलझाया जा सकता है। जहां भारत में हिंदू धर्म के लिए गाय पवित्र मानी जाती है। जिसके मांस के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसी प्रकार  मुस्लिम धर्म में भी सूअर को अपवित्र माना गया है। अतः किसी धर्म की मर्यादा को बिना ठेस पहुंचाए ही हमें मांस निर्यात पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।

  • स्वास्थ्य रूप से

उत्तर प्रदेश राज्य सरकार द्वारा कई बूचड़खाने को बंद करवा दिया गया था। क्योंकि ये बूचड़खाने अवैध रूप से चल रहे थे। जहाँ मरे हुए पशुओं को बाजार में बेचा जाता था। जिसके मांस को खा कर लोगों की तबीयत पर असर पर रहा था। अतः ऐसे बूचड़खानों को स्वास्थ्य के नजर से बंद करवाना अति आवश्यक है।

निष्कर्ष

आज के समय में मांस के निर्यात पर रोक (Essay On Stop The Export Of Meat) लगाना अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए सरकार कई महत्वपूर्ण कदम भी उठा रही है। जैसे सरकार इन मांस के निर्यातक को अपने अधीन लेकर उन सभी पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए ताकि मांस निर्यात पर रोक लगाकर उसे समाप्त किया जा सके। गैर कानूनी तरीकों से जानवर तस्कर करने वालों पर कड़ी करवाई करनी चाहिए। भारत का स्थान पशु निर्यात में काफी अधिक बढ़ गया है इसे जल्द ही खत्म करना चाहिए।