हमारे भारत देश में ऐसे कई सारे महान लोगो ने जन्म लिया है जो इतिहास को साक्षात हमारे सामने खड़ा कर देते हैं। बड़े-बड़े वेद ज्ञाता और ऋषि मुनि हमारे वर्तमान को पहले ही देख चुके हैं। जो कुछ भी आज हो रहा है उन सब चीजों के बारे में उन सब को पहले से ही पता होता था। उनके द्वारा बताई गई हर एक बात आज सच साबित हो रही है। ऐसे में भगवान श्री राम के परम भक्त माने जाने वाले कवि श्री गोस्वामी तुलसीदास (Essay on Tulsidas in Hindi) जी एक महापुरुष के रूप में हम सबके सामने आते हैं। बहुत सारे लोग इनकी रचनाएं पढ़ते हैं परंतु उन्हें उनके जीवन के महत्वपूर्ण हिस्सों के बारे में पता नहीं होता है। स्वामी तुलसीदास राम जी के इतने बड़े भक्त होने के बावजूद हर किसी से छिपे रहे और आज के समय में जब हर किसी को इनके बारे में पता चल रहा है तो लोगों की जिज्ञासा और भी ज्यादा बढ़ रही है।
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तुलसीदास कौन है?:-
इतिहास काल के सबसे महान धर्म और समाज सुधारक के साथ-साथ एक महान कवि और साहित्यकार के रूप में गोस्वामी तुलसीदास जी का नाम सामने आता है। पिछले कई समय में हिंदू समाज कई सारी बुराइयों का शिकार हुआ है परंतु इनके दिए मार्गो पर चल के ही लोग धर्म के मार्ग पर आ पाए है। जब देश में हर तरफ अपराध ही अपराध था तब गोस्वामी तुलसीदास ही केवल धर्म के मार्ग पर चलने की सही सलाह देते थे। तुलसीदास ने युग की मांग को पूरा करते हुए समाज की बुराइयों का निवारण करने का साहस दिखाया। इसी प्रकार तुलसीदास ने हिंदू धर्म तथा समाज के उदाहरण के रूप में बहुत महत्वपूर्ण कार्य किया और लोगों को सही रास्ते पर ले कर आए। कुछ इसी तरीके से तुलसीदास ने अपने नाम को लोगों के बीच मे बढ़ाया और अपनी छवि लोगों को आकर्षित किया।
तुलसदास का जन्म परिचय:-
गोस्वामी तुलसीदास जी का जन्म वर्ष 1589 में हुआ था। पुराणों के अनुसार गोस्वामी तुलसीदास जी का जन्म उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के राजापुर नामक एक छोटे से गांव में हुआ था। तुलसीदास जी के पिता का नाम आत्माराम दुबे था और माता का नाम हुलसी था। तुलसीदास (Essay on Tulsidas in Hindi) जी का बचपन बड़े ही दुख में और गरीबी में व्यतीत हुआ था। कहा जाता है कि तुलसीदास बचपन से ही ग्रंथ और काव्य में रुचि रखते थे। उनका विवाह रत्नावली नामक एक सुंदर कन्या से हुआ था। तुलसीदास जी अपने माता-पिता के पश्चात अपने पत्नी से सर्वाधिक प्रेम करते थे और यही कारण है कि उन्हें कई बार अपनी पत्नी के लिए अपमानित भी होना पड़ा था। एक बार तुलसीदास जी की धर्मपत्नी ने उनका बहुत ज्यादा मजाक उड़ा दिया था जिसके बाद उन्हें काफी दुख हुआ था। अपमानित होने के बाद तुलसीदास जी ने अपना जीवन श्री राम के चरणों में व्यतीत करने का निर्णय ले लिया।
तुलसीदास जी का माध्यम काल:-
गोस्वामी तुलसीदास जी ने गुरु बाबा नरहरिदास से शिक्षा और दीक्षा प्राप्त की। तुलसीदास ने अपने जीवन का ज्यादा समय चित्रकूट और काशी तथा अयोध्या में ही व्यतीत किया। गोस्वामी तुलसीदास जी ने अपने जीवन में कई सारे जगहों का भ्रमण किया और श्री राम प्रभु से मिलने के लिए कई सारे प्रयत्न भी किए। कई समय बाद जब श्रीराम भ्रमण के लिए निकले थे तो तुलसीदास ने उनकी छवी को देख करके उनका बहुत सुंदर चित्रण किया था। श्री तुलसीदास जी के ऊपर राम जी की असीम कृपा और महिमा भी थी जिनका लेख उन्होंने एक ग्रंथ में किया है। तुलसीदास जी के द्वारा कई सारे अनेक प्रकार के ग्रंथ और कृतियों का लेखन भी किया गया जिनमें से कुछ है राम चरित्र मानस, कवितावली, जानकीमंगल, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा, भैरव रामायण, गीतावली रचनाओं को उनकी प्रमुख रचनाओं में माना जाता है। तुलसीदास जी ने अपने जीवन में समाज में फैली हुई कई सारी बुरी धारणाओं पर आवाज भी उठाई थी।
तुलसीदास का श्री राम से भेंट:-
कहा जाता है कि सतयुग में तुलसीदास अपने जीवन के लक्ष्य को प्रभु राम से भेंट करना समझते थे। इसी लक्ष्य को लेकर केवय चित्रकूट पहुंचे जहां पर उन्होंने रामघाट पर अपना आसन निर्धारित किया था। कथाओं और ग्रंथो के अनुसार चित्रकूट में तुलसीदास राम जी के सबसे प्रिय भक्त हनुमान जी से मिले। इसके बाद उन्होंने श्री राम के दर्शन करने की प्रार्थना की और हनुमान जी ने कहा कि तुम्हें चित्रकूट में रघुनाथ जी के दर्शन होंगे जिसके बाद वे चित्रकूट आ गए। एक दिन वह पद चित्र करने निकले ही थे कि उन्हें मार्ग में श्री राम के दर्शन हो गए। उन्होंने उन का चित्रण कुछ इस प्रकार किया है:- उन्होंने देखा कि दो बड़े सुंदर राजकुमार घोड़े पर सवार होकर के धनुष बाण लिए एक दिशा में जा रहे हैं और उनके रूप से हर तरफ रोशनी हो रही थी उनका आकर्षक चेहरा हर किसी को अपनी तरफ आकर्षित कर रहा था। वर्ष 1607 की मोनी अमावस्या में उन्होंने भगवान श्री राम के पूर्ण दर्शन किए जब उन्होंने भगवान श्री राम जी को बाल अवतार में देखा।
तुलसीदास जी की मृत्यु:-
हमारे पास तुलसीदास जी के कई सारे मृत्यु के कारण है परंतु ग्रंथों के अनुसार यह एक कथा है जिसमें तुलसीदास (Essay on Tulsidas in Hindi) जी काशी के विख्यात घाट असी घाट पर रहने लगे थे और एक रात कलयुग ने मूर्ति का रूप धारण करके उनके पास आ गया। इसके बाद वह उन्हें पीड़ा पहुंचाने लगा जिससे तुलसीदास जी ने हनुमान जी का ध्यान किया। हनुमान जी ने साक्षात प्रकट होकर उन्हें प्रार्थना के पद रखने को कहा इसके बाद उन्होंने अपनी अंतिम रचना विनय पवित्रा लिखा और उसके बाद भगवान के चरणों में उसे अर्पण करके श्री राम का नाम लेते लेते अपने प्राण त्याग दिए। वर्ष 1680 मेंसावन कृष्ण तृतीया शनिवार को तुलसीदास जी ने राम नाम लेते हुए अपने अंतिम सांस लिए और शरीर को त्याग दिया।
उपसंहार:-
तुलसीदास जी के कई सारे ऐसे कृति हैं जिनको पढ़ने के बाद आपको तुलसीदास की साक्षात छवि देखने को मिल जाएगी उन्होंने कई सारे कृतियों में श्री राम के बहुत ही सुंदर वर्णन किए हैं और बहुत सारे ग्रंथों में उनके कार्यों के बारे में लिखा है। आजकल के समय में हर कोई हनुमान चालीसा पढ़ते हैं उसमें तुलसीदास द्वारा लिखे गए हर एक दोहा बहुत ही सुंदर वर्णन करता है। तुलसीदास (Essay on Tulsidas in Hindi) जी ने अपने पूरे जीवन काल में श्री राम को अपना आराध्य मान करके उनकी पूजा आराधना की और उन्हीं के लिए अपने पूरे जीवन को व्यतीत कर दिया।
Faq:-
1.प्रश्न:- गोस्वामी तुलसीदास का जन्म कब हुआ था?
उत्तर:- गोस्वामी तुलसीदास जी का जन्म वर्ष 1589 में हुआ था।
2.प्रश्न:- गोस्वामी तुलसीदास जी किसके भक्त थे?
उत्तर:- गोस्वामी तुलसीदास जी श्री राम के भक्त थे।
3.प्रश्न:- गोस्वामी तुलसीदास जी को शिक्षा कौन दिया था?
उत्तर:- गोस्वामी तुलसीदास जी ने गुरु बाबा नरहरिदास से शिक्षा और दीक्षा प्राप्त की।
4.प्रश्न:- गोस्वामी तुलसीदास की मृत्यु किस वर्ष में हुई थी?
उत्तर:- गोस्वामी तुलसीदास की मृत्यु 1680 में हुई थी।