पृथ्वी का तीन चौथाई (¾) भाग खारे पानी से भरा हुआ है। मानव जीवन यापन करने के लिए जल एक अमूल्य प्राकृतिक संसाधन है। जो सभी जीव- जंतु व मानव के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। बिना जल के पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं है। परंतु आज के युग में मानव के इस बाद से अवगत होने के बावजूद भी पानी का दुरुपयोग करके जल को नष्ट कर रहे हैं। एक मनुष्य अपनी सुख-सुविधाओं को ज्यादा महत्व देकर जल के व आने वाली पीढ़ियों के बारे में नहीं सोच रहे हैं। मनुष्य के जल का दुरुपयोग करने के कारण एक समय ऐसा आएगा जब पृथ्वी पर पीने योग्य पानी ही नहीं बचेगा। जल प्राकृति का दिया हुआ एक अमूल्य धन है। और जल मानव जीवन में एक अहम भूमिका निभाते हैं जैसे कि कृषि, उद्योग, जल विद्युत उत्पादन ,मत्स्य पालन, नौकायान इत्यादि क्षेत्र को विकसित करने के लिए जल्द बहुत ही जरूरी है।
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भारत में जल संसाधन:-
भारत अपने आप में एक खुशहाल और समृद्ध देश है ।जैसा कि हम सब जानते हैं कि भारत कृषि प्रधान देश है ।यहां का आधा से ज्यादा जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। भारत में खेती-बाड़ी ज्यादा किया जाता है। जिसके कारण वे ज्यादातर खेती-बाड़ी करने के लिए बारिश व नदियों के पानी पर निर्भर रहते हैं। परंतु आज के युग में शहरी लोग अपनी सुख-सुविधाओं को ज्यादा महत्व देते हैं , और उनकी सुख सुविधाओं के कारण वातावरण प्रदूषित होते जा रहा है, जिसके कारण मौसम विलुप्त होते जा रहे हैं ,इसीलिए जिस मौसम में वर्षा होना चाहिए उस मौसम में वर्षा ना होकर दूसरे मौसम में होता है या फिर नहीं भी होता। जिसका सबसे ज्यादा प्रभाव एक किसान के जीवन पर पड़ता है। दिन प्रतिदिन जल की समस्या बढ़ते ही जा रहे हैं। और पेयजल में दिन प्रतिदिन कमी आते जा रहा है।
2008 में किए गए सरकारी अध्ययन के मुताबिक भारत देश में कुल 654 बिलियन क्यूबिक मीटर ही जल उपलब्ध है परंतु तत्कालीन मनुष्य के उपयोग के लिए जल की कुल मांग 634 बिलियन क्यूबिक मीटर है। इस आंकड़ों को देखकर यह साबित होता है कि भविष्य में मांग और पूर्ति के बीच ज्यादा अंतर नहीं है। यह एक बहुत ही चिंताजनक बात है। जल पर ही पूरा जीव जंतु, व मानव जीवन निर्भर होता है, यदि जल की कमी होगी तो मानव जीवन का विकास कैसे हो पाएगा? यह एक बहुत बड़ा प्रश्न है, जिसका सामना आने वाली पीढ़ियों को भविष्य में करना पड़ेगा। भारत में जल संसाधन मुख्य रूप से वर्षा पर ही निर्भर होता है परंतु आज के इस प्रदूषण भरे देश में वर्षा होना भी नामुमकिन सा बनते जा रहा है।
जल संसाधन के प्रकार:-
इस बात से तो सभी अवगत हैं, कि पृथ्वी पर पानी का अभाव बढ़ते जा रहा है ।परंतु फिर भी जल संसाधन को दो भाग में बांटा गया है:-
1. सतही जल संसाधन( नदियां, तालाब):-
सतही जल संसाधन पूर्ण रूप से वर्षा पर निर्भर होता है। भारत देश में जल की उपयोगिता बहुत है। भारत देश में वर्षा मानसून( जून- सितंबर के समय में होता है। भारत में एक साल में औसतन 1160 मिली मीटर वर्षा होता है। भारत मे होने वाली वर्षा कालिका आधार पर पूर्ण रूप से परिवर्तनीय है, इसीलिए किसी भी वर्ष के भीतर भारत में बाढ़ या फिर सूखा पड़ना संभव है। भारत में होने वाली वर्षा तालाब ,नदियां , समुद्र, झील इत्यादि में इकट्ठा होती हैं, जिसे भारतवासी साल भर अपने उपयोग में लाते हैं।
भारत में दूसरी ओर जल संसाधन पर्वतों के माध्यम से भी होता है, यानी कि भारत के पर्वतों पर जमा होने वाले हिम ग्लेशियर गर्मी के दिनों में पिघल कर नदियों में मिलती है । और इसके कारण कई सारी छोटी- बड़ी नदियां भी प्रवाहित होती हैं, जिसमें से कुछ नदियां विश्व में महान नदियों के रूप से प्रसिद्ध है। जिसमें से कुछ प्रमुख नदियां हैं गंगा, ब्रह्मपुत्र ,मेघना ,सिंधु ,यमुना, इत्यादि है। भारत का आधा से ज्यादा जनसंख्या कृषि पर निर्भर होता है, जिसके लिए यह छोटी- बड़ी नदियां ही सिचाई का एकमात्र स्रोत होती हैं। भारत में नदियों का भौगोलिक क्षेत्र लगभग 329 मिलियन हेक्टेयर है। इसीलिए हम यह कह सकते हैं कि मानव जीवन और कृषि के क्षेत्र में नदियां एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
2. भूमिगत जल संसाधन:-
भूमिगत जल संसाधन वह साधन है जिसमें जल चट्टानों और मिट्टियों से रिसता है ,और जमीन के नीचे जमा होता है। चट्टानों द्वारा बारिश के पानी को संग्रहित किया जाता है उसे जलभृत भी कहा जाता है। और इसी जल को ट्यूबवेल, कुआं अथवा हैंडपंप द्वारा खुदाई करके उपयोग में लाया जाता है। यह पानी एकदम स्वच्छ होता है , और पीने के लिए बहुत अच्छा होता है। इस प्रकार का भूजल अक्सर भ्रंश घाटीयों और दरारों के सहारे संग्रह होता है। यहां भूजल संरचनाओं में पाया जाता है। भारत हमेशा से बाकी देशों के मुकाबले भूजल का ज्यादा उपयोग करने वाला देश रहा है। परंतु आज के समय में भूजल का उपयोग बहुत बढ़ गया है जिसके कारण भूजल धीरे-धीरे कम होते जा रहा है। जिस तरह आज के युग में लोग भूजल का दुरुपयोग करके उन्हें नष्ट करते जा रहे हैं, उस तरह आने वाली पीढ़ियों को भविष्य में जल से जुड़ी बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।
जल संसाधनों का उपयोग:-
जल संसाधनों का उपयोग एक मानव जीवन के लिए निम्नलिखित होती है, तो आइए कुछ महत्वपूर्ण उपयोग के बारे में जानते हैं:-
जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया कि भारत की आधी से ज्यादा जनसंख्या कृषि क्षेत्र पर निर्भर होती है। इसीलिए जल का प्रमुख उपयोग कृषि क्षेत्र में सिंचाई के लिए किया जाता है। हमारे भारत देश में जल से विद्युत ऊर्जा भी उत्पन्न किया जाता है, जल विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने का एक बहुत ही अच्छा साधन है, भारत में जल से 84000 मेगावाट की बिजली उत्पन्न करने की क्षमता है। भारत में उद्योग के क्षेत्र में भी पानी का बहुत ही महत्वपूर्ण उपयोग होता है। और घरेलू काम के लिए भी पानी की आवश्यकता होती है। कुल मिलाकर हमारा जीवन बिना पानी के कुछ नहीं है। पानी हमारे जीवन जीने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, इसीलिए हमें पानी का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए।
उपसंहार:-
जल जीवन जीने के लिए एक अमूल्य संसाधन है। जल ही जीवन जीने का आधार होता है। परंतु आज के युग में जल की दूरउपयोगिता बहुत बढ़ गई है। जिसके कारण जल का अभाव हो रहा है। परंतु यदि हम चाहे तो जल को संग्रह करके इस्तेमाल में लाया जा सकता है। सरकार द्वारा ऐसे कई सारे संस्थाओं का स्थापना किया गया है, जिसके अंतर्गत पानी की बचत के बारे में बताया जाता है। इसीलिए हमें इस प्रकार की संस्थाओं का पूरे मन से साथ देना चाहिए क्योंकि यह सारे संस्था जल को बचाने का काम करती है । जल मानव व जीव जंतु के जीवन जीने के लिए बहुत जरूरी है, इसीलिए हमें पानी का दुरुपयोग ना करके उसको बचाने की कोशिश करनी चाहिए, ताकि हमारे आने वाली पीढ़ियों को भविष्य में पानी का अभाव ना हो।