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Essay on why the sky is blue | आसमान नीला क्यों होता है पर निबन्ध

Essay on why the sky is blue

Essay on why the sky is blue : जब भी हम आकाश की तरफ देखते हैं तो उसका नीला रंग देखकर मन खुश हो जाता है। लेकिन यह अंतहीन आकाश आखिर नीला क्यों होता है यह प्रश्न भी मन मे उठता है।

जैसा कि हम जानते हैं कि हवा का कोई रंग नही होता है, और यदि आकाश की बात करें तो यह वायुमंडल है, जो विभिन्न प्रकार के गैसों का मिश्रण है।

ऐसे में यह प्रश्न उठता है कि जब वायु का कोई रंग नही है तो आसमान नीले रंग का क्यों है।

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आकाश नीला क्यों है निबंध में हम आपको इसके पीछे का कारण और विज्ञान के बारे में बताएंगे।

आकाश नीला क्यों है पर निबंध (Why the Sky is Blue Eassy in hindi) – (250 words)

प्रस्तावना.

रंगों से परिचय हमारा जन्म के साथ ही हो जाता है। यह दुनियाँ रंगीन है। प्रकर्ति ने खुद को कई रंगों से सजाया हुआ है, जिससे यह देखने मे बहुत आकर्षक लगती है।

विज्ञान के जरिए हमें पता चला कि आखिर रंग क्यों होते हैं और ये कितने प्रकार के होते हैं। लेकिन रंगों से जुड़ा एक बड़ा रहस्य बहुत वक़्त तक अनसुलझा था।

वह था कि आसमान का रंग नीला क्यों होता है। इसका कारण खोजने के लिए कई देशों ने अनुसंधान किये और 1859 में इस प्रश्न का जवाब मिला।

आसमान का रंग नीला होने का कारण.

सूर्य का प्रकाश 7 रंग की किरणों से मिलकर बना होता है। सूर्य का प्रकाश जब तक वायुमंडल में प्रवेश नही करता तब तक सभी रंग एक साथ आते है।

लेकिन वायुमंडल में आते ही रंगों में बिखराव शुरू हो जाता है। नीला रंग सबसे छोटी वेव लेंथ का होता है, इसलिए यह काफी तेजी से चारो तरफ फैल जाता है।

लाल, पीला और हरा वायुमंडल में आने के बाद भी बिखरते और एक साथ चलते हैं। यही जब हमारी आंखों में पड़ते हैं तो हमें सूर्य का प्रकाश सफेद दिखाई देता है।

7 रंगों से मिलकर बनी है सूर्य किरण.

सूर्य का प्रकाश देखने मे भले ही सफेद लगता हो लेकिन यह बैगनी, जामुनी (इंडीगों), नीला, हरा, पीला, नारंगी और लाल रंगों से मिलकर बना हुआ है।

उपसंहार.

आकाश का नीला रंग प्रकृति की खूबसूरती में चार चांद लगा देता है। यह आकाश ऐसे ही स्वच्छ दिखता रहे इसके लिए जरूरी है कि वायु प्रदूषण कम से कम हो ताकि हम नीले अम्बर की खूबसूरती देख सकें।

आकाश के नीले होने के पीछे का विज्ञान पर निबंध (Essay on the science behind sky blue in hindi) – (400 words)

प्रस्तावना.

जब हम बच्चे थे तो अक्सर कल्पना किया करते थे कि यदि कुछ सीढियां लगाई जाए तो इस नीले आकाश को छुआ जा सकता है। लेकिन आगे चलकर पता चला कि यह नीला आकाश सिर्फ वायु है, इसे छुआ नही जा सकता है।

आसमान से जुड़ी हुई कई बातें हमें आश्चर्यचकित क़क्त देती हैं जैसे कि आकाश का अपना खुद का कोई रंग नही है, बल्कि यह रंगहीन है।

फिर भी हमें यह नीले रंग का दिखाई देता है। यदि रंगों की बात करें तो कुल 7 तरह के रंग होते हैं, पर आकाश हमेशा नीले रंग का ही दिखाई देता है।

रंगों के पीछे छुपा विज्ञान.

कहते हैं सूर्य की 7 रश्मियां होती है, यही रश्मियां 7 अलग अलग रंग है। सूर्य के प्रकाश में कुल 7 तरह के रंग मिले होते है, इसी वजह से यह सफेद दिखाई देता है।

लेकिन जैसे ही प्रकाश वायुमंडल में पहुचता है, वातावरण में मौजूद सूक्ष्म कणों से टकराकर अलग अलग रंगों में विभाजित हो जाता है। ये अलग अलग रंगों की किरणें जब किसी चीज़ से टकराकर हमारी आंखों में पड़ती है तो वह वस्तु हमें उसी रंग का दिखाई देता है।

आकाश नीला क्यों होता है?

यदि बात करें आकाश के नीला होने का तो यह भी सूर्य के प्रकाश से जुड़ा है। जब प्रकाश वायुमंडल में आता है तो कई रंगों में विभक्त हो जाता है, जैसे कि हरा, लाल,बैगनी, नीला,पीला, नारंगी और जामुनी.

इन सभी रंगों में से ही नीला और बैगनी रंग काफी तेजी से फैल सकते हैं। इसलिए पूरे आकाश में ये दोनों रंग फैल जाते हैं।

लेकिन इन दोनों में भी हमें बैगनी रंग नही दिखाई देगा उसकी जगह सिर्फ नीला दिखाई देता है, जिसका कारण है कि हमारी आँखे बैगनी रंग के प्रति उतनी संवेदनशील नही होती, जितनी कि नीले रंग के लिए होती है।

इसलिए हमें पूरे आकाश में सिर्फ नीला रंग ही दिखाई पड़ता है, और शाम के वक़्त लाल रंग दिखाई देता है।

किसने खोज की?

जॉन टिंडल ने इस घटना के बारे में 1859 में दुनियाँ को बताया था। उन्होंने इसे प्रकाश का बिखराव नाम दिया था। इसी थ्योरी के आधार पर आगे चलकर समुद्र के नीले रंग का कारण और शाम के वक़्त आकाश में विभिन्न रंगों का कारण पता चला।

उपसंहार.

विज्ञान न सिर्फ हमारे जीवन को आसान बनाता है, बल्कि कई तरह के अंधविश्वास को भी दूर करता है। आज तक विज्ञान ऐसे कई प्रश्नों के जवाब दिए है, जो हम इंसानों के लिए किसी अबूझ पहेली से हम नही थे। आशा है विज्ञान आगे भी इसी तरह तरक्की करता रहेगा।

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यदि आज से 300 साल पहले की बात करें तो हमें कई प्रश्न के जवाब पता नही होते थे। लेकिन धीरे धीरे विज्ञान ने तरक्की की। कई महान वैज्ञानिकों तरह तरह की खोजें की और हमारी उत्सुकता को शान्त किया।

अब आकाश के संबंध में देख सकते हैं। कितनी पीढियां गुजर गई इस नीले आकाश को देखते हुए। सभी के मन में कभी न कभी यह प्रश्न तो उठा ही होगा कि आखिर यह आकाश नीला क्यों दिखाई देगा?

क्या इसका कोई किनारा भी है या नही? क्या इसे हम अपने हाथो से छू सकते हैं? ऐसे ही अनगिनत सवाल जहन में बस उठ कर उत्तररहित रह जाते थे।

लेकिन आज विज्ञान ने हर प्रश्न का जवाब दिया है। विज्ञान ने आज यह बता दिया है कि आकाश नीला क्यों दिखाई देता है? समुद्र और पृथ्वी के नीले रंग का सम्बंध भी इसी घटना से है।

हमारे आकाश का रंग क्या है?

यदि यहां कहा जाए कि आकाश का कोई रंग नही है तो यह बात झूठ प्रतीत होती है और सच यही है। आसमान का खुद का कोई रंग नही है,यह रंगहीन है।

आकाश मुख्य रूप से गैस, वाष्पीकण के मिश्रण से मिलकर बना होता है। इसका अपना खुद का कोई रंग नही होता। हम पृथ्वी से देखते हैं तो हमें आकाश नीला दिखाई देता है।

वही अंतरिक्ष से देखने पर यह काला दिखाई देगा। असल में पूरा अंतरिक्ष ही काला है, क्योंकि यहां कोई वातावरण मौजूद नही है, जिसमें प्रकाश चल सकें या विभाजित हो सकें।

नीले आकाश का कारण.

आकाश हमें नीला दिखाई देता है, इसका कारण सूर्य से निकलने वाला प्रकाश है। दूर से सफेद नजर आने वाला सूर्य का प्रकाश 7 विभिन्न रंगों से मिलकर बना होता है।

ये 7 रंग, लाल,बैगनी, नीला,पीला, नारंगी और जामुनी है। पृथ्वी के बाहरी आवरण पर बहुत सघन वातावरण मौजूद है, जहां से प्रकाश भी छन कर आता है।

इसलिए जब प्रकाश वातावरण में प्रवेश करता है तो अलग अलग रंगों में बंट जाता है। प्रकाश तरंग के रूप में चलता है। सभी रंगों में से सबसे छोटी तरंग नीले रंग की होती है, जबकि सबसे बड़ी तरंग लाल रंग की होती है।

चूंकि नीले रंग की तरंगें सबसे छोटी होती है, इस वजह से आकाश में वह फैल जाती है। जबकि लाल और बाकी रंगों की तरंगें इतना नही फैलती क्योंकि तरंग की लंबाई ज्यादा होती है।

नीली तरंगों के फैलने की वजह से नीला रंग आकाश में अधिक बढ़ जाता है और आकाश नीला दिखाई देता है।

पहली बार जब खोज हुई.

1859 मे जॉन टिंडल ने अपने प्रयोगों के द्वारा दुनियाँ को यह सिद्ध करके दिखाया कि किस वजह से आकाश नीला दिखाई देता है।

इसके लिए उन्होंने के प्रयोग जिसमें दो ट्यूब का इस्तेमाल किया। इस ट्यूब में उन्होंने प्रकाश को इस तरह से आने दिया कि वो एक दूसरे से टकरा सकें।

इसको जब उन्होंने देखा तो वो एक तरफ से नीला दिखाई दे रहा है जबकि दूसरी तरफ से लाल। इस तरह से उन्होंने इस थ्योरी को सिद्ध किया।

इसके अलावा एक थ्योरी पिरामिड से भी जुड़ी है। मिस्र अपने पिरामिडों के लिए जाना जाता है। मिस्र में पिरामिड के आकृति के जैसे काँच के पिरामिड बनाए गए और इनसे प्रकाश को गुजारा गया।

देखने मे आया कि प्रकाश विभाजित हो जाता है और पिरामिड के दूसरे तरफ सबसे ज्यादा नीला रंग ही दिखाई देगा। इससे यह स्पष्ट हो गया कि जब प्रकाश की किरणें आकाश का भेदन करती है तो वह भी विभाजित हो जाती है, और नीला रंग आसपास फैल जाता है।

उपसंहार.

प्रकृति के कई रंग है, और हर रंग को सहेज कर रखना हम इंसानो की जिम्मेदारी है। हम नई नई खोजे तो करते जा रहे हैं लेकिन कही न कही हमें आज यह बात माननी होगी कि नीला आकाश हमे नही दिखाई देता क्योंकि हवा में प्रदूषण बढ़ गया है।

इसलिए वातावरण को स्वच्छ बनाये रखना बहुत जरूरी है।