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Law and Justice Essay In Hindi | Kaanoon Aur Nyaay Nibandh | कानून और न्याय निबंध हिंदी में

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Law and Justice Essay In Hindi : भारत जैसे ही अजाद हुआ वैसे ही भारत के विद्वानों ने विचार किया कि देश को चलाने के लिए नियम और कानून की आवश्यकता होगी और तुरतं ही कानून बनाने की तैयारी कर दी उन्हें मालूम था कि बिना किसी भी कानून के कोई  सँगठित देश नही चलाया जा सकता है,आजकल तो घर चलाने के लिए भी कानून बनते है और जब बात देश की हो तो कानून और भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं।

Table of Contents

लॉ(नियम)और जस्टिस क्या हैं– (Law aur Justice Kya Hai)

क्योंकि हर व्यक्ति की सोच अलगअलग होती है और वो चाहता है कि सब उसके कहे अनुसार या उसके सोचे अनुसार हो तो ये संभव नही है क्योंकि हर दूसरा व्यक्ति भी यही सोचता है कि सब उसके हिसाब से हो बिना उचित या अनुचित का अंतर जाने तब इन लोगो की सहूलियत ले लिए कानून जरूरी होते है कि जो हमे हमारी सीमाएं और सहीगलत के बारे में बताती है इन्हें ही नियम कहते है,कानून हम सभी की सहूलियत के लिए सभी के हित में होते है जहां सभी को बराबर कानून का पालन करना होता है।

किसी किताब में लिखा था कि आपकी सीमाएं वहां खत्म हो जाती है जहां से किसी और कि नाक शुरू होती है,मतलब सभी को बराबर जीने का अधिकार है चाहें वो अमीर हो या गरीब,चाहे वो काला हो या गोरा,बिना नियम के संग़ठन में रहना मुमकिन ही नही है।

जस्टिस की बात करें तो कानून का उल्लंघन करने वाले लोगो के लिए उनके अपराध के हिसाब से सजा दी जाती है और जिसके साथ अपराध होता है उसे तब मिलता है न्याय,लेकिन प्रक्रिया धीमी होने के कारण लोगो का विश्वास कम हो रहा है कानून पर और न्याय व्यवस्था पर।

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कब बना कानून– (Kab Bana Kaanoon)

भारत का संबिधान(कानून)2 वर्ष 11 महीने और 18 दिन में बन पाया जहां विदेशों में लागू अच्छे कानूनों को भी संबिधान में शामिल किया गया और साथ मे कई नए नियमो को जोड़ा गया,जहां हर व्यक्ति के हित को ध्यान में रखकर कानून का निर्माण किया गया और आज तक जनता के हित को ध्यान में रखकर कानूनों को जोड़ा और हटाया जाता है।

चूंकि संबिधान में विदेशो के अच्छे कानूनों को भी स्थान दिया गया है जिससे भारत का कानून और भी अलग और न्यायप्रिय बन जाता है लेकिन भारत के कानून को सिर्फ और सिर्फ न मानना या कानून का दुरुपयोग ही निराश कर रहा है।

क्यों जरूरी है लॉ(नियम)-(Kyu Jaroori Hain Law)

हर जगह कानून की आवश्यकता होती है क्योंकि बिना कानून के कोई भी काम नही सकता और हमारे देश मे तो कानून अतिमहत्वपूर्ण हैं क्योंकि हमारे यहां व्यक्ति स्वमं  के हित में किसी और का हित देखता ही नही है,अगर कानून नही होंगे तो कोई भी कुछ कर सकता है ये कानून ही है जो हमे बांधे रहता हैं कुछ गलत करने या देखने से।

अगर सही मायनों में देखे तो कानून हमारे गार्जियन के समान है जो हमारे अच्छे या गलत कामो पर हमें सजा देकर उनमें सुधार के लिए प्रेरित करता है।

भारत मे लॉ(कानून) की स्थित– (Bharat Mein Law Ki Stith)

वैसे लिखित में जो भारत का कानून है वो कई देशों के कानूनों और अपनी सोच समझ के हिसाब से बनाया गया है तो वो और भी सर्वश्रेष्ठ हो जाता है लेकिन असल मे जो कानून की स्थित भारत मे है शायद वो कहीं नही होगी,यहां हम सिर्फ बात सरकारी कार्यालयों या लोगो की नही कर रहे बल्कि आम जनता ही क़ानून को अपने हिसाब से चलाना चाहती है,यहां देश के कानून या देश की तरक्की से किसी को कोई लेना देना नही है बस सभी को स्वमं की तरक्की ही चाहिए चाहे वो कानूनी हो या गैरकानूनी।

यहां कानून को लोग अपने हिसाब से जीते है अगर उनके हित में है तो कानून और खिलाफ है तो मानना ही नही,कानून होता है ताकि लोगो मे  कानून का डर रहे और वो उचित कार्य ही करें लेकिन कानून जितना शख्त होना चाहिए शायद उतना नही है क्योंकि हर वर्ष जाने कितने रेप, मर्डर ,चोरी होती ही रहती है और सभी को पता होता है कि चोरी या मर्डर किसने किया है फिर भी बस केस चलता रहता है और मिलती रहती है सिर्फ अगली तारीख,इसमें कोई भी दोहराए नही भारत की कानूनी प्रक्रिया धीमी है,जिस हिसाब से कानून है उस हिसाब से न्याय भी जल्द हो तो अपराधों की संख्या में कमी आएगी।

भारत मे जस्टिस– (Bharat Mein Justice)

भारत मे अपराधों की संख्या अधिक है और न्यायालय, न्यायधीश कम जिस कारण किसी को भी न्याय मिलने में समय लगता है लेकिन अगर यही प्रणाली अच्छी हो जाए तो जल्दी फैसले होंगे और लोगो को न्याय मिलेगा जिससे अपराधों में कमी आएगी और जनता का कानून के प्रति सम्मान भी बढ़ेगा।

कोई केश के सालों तक चलता रहता है और उन्हें न्याय नही मिलता कई बार तो ऐसा भी हुआ है कि व्यक्ति बूढ़ा होकर मर जाता है लेकिन केस चलता रहता है जिसमे बहुत सुधार की आवश्यकता है,कानून व्यस्थाओ में बड़े कानूनों को शामिल किया जाना चाहिए और अगर व्यक्ति सच मे दोषी है तो उसे तुरंत सजा मिलनी चाहिए।

कानून को दे सम्मान– (Kaanoon Ko De Saaman)

हमे कानून को सम्मान देना होगा क्योंकि जब तक हम कानून का सम्मान नही करेंगे जब तक हम नही मानेंगे कानून तब तक हमारे साथ न्याय कैसे हो सकता है,हमे अपने औऱ दूसरे लोगो के अधिकार और कानून पर हक़  को ध्यान में रखना होगा।

कानून किसी एक का नही है ये सबका है और सभी को बराबर मन्ना होगा तभी साथ मे खुश रह सकते हैं आपको याद रखना होगा कि आपकी बजह से किसी और को कष्ट न पहुचें।

कानून में सुधार की आवश्यकता– (Kaanoon Mein Sudhar Ki Aavashyakata)

  • कानून को सख्त करें
  • न्याय प्रणाली कम समय में न्याय दे।
  • न्याय बिना किसी भेदभाव से मिलना चाहिए।
  • न्यायप्रणाली में भृष्ट करचरियों को हटाया जाए।
  • न्याय प्रणाली में जितनी अधिक पारदर्शिता लाई जाए उतना ठीक रहेगा।
  • नियमो को तोड़ने वालों के खिलाफ शख्त कदम उठाएं जाने चाहिए।
  • किसी भी राजनेता को कानूनी प्रणाली में हस्तक्षेप न करने दिया जाए।
  • समयसमय पर कानून प्रणाली को जांचा जाए कि कहीं कुछ गलत तो नही हो रहा।
  • रिश्वतखोरी को बड़ा जुर्म बना दिया जाए और ऐसा करते पाए जाने पर कड़ी सजा दी जाए।
  • न्याय प्रणाली में काविल लोगों को कमहि स्थान दिया जाए।
  • कानून को सर्वोपरि किया जाए।