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    Paragraph on Basic Mantra of Success in TruthFulness in Hindi

    Paragraph on Basic Mantra of Success in TruthFulness in Hindi

    Paragraph on Basic Mantra of Success in TruthFulness in Hindi: सत्य बोलना या सत्य की राह पर चलना सफल होने की प्रथम सीढ़ी बन सकती है। सत्य केवल भाषा में ही नहीं अपितु हमारे आचरण, व्यवहार और हमारे संस्कारों में भी होनी चाहिए। सत्य को अपने आचरण तथा व्यवहार में लाने से हम समाज को अपनी ओर आकर्षित करते हैं तो सभी का विश्वास जीतते हैं। सफलता को प्राप्त करने का कोई विशेष मंत्र नहीं है, लेकिन देखा जाए तो इसके कई कारक हो सकते हैं।

    सिर्फ सत्य की राह पर चलने मात्र से सफलता नहीं पाया जा सकता। सत्य की जैसे ही हम बात करते हैं तभी हमारे दिमाग में राजा हरिश्चंद्र का नाम आता है, जिन्होंने यह प्रण लिया था कि वह जीवन भर सत्य की राह पर चलेंगे। सत्य केवल शब्द ही नहीं अपितु आचरण अथवा व्यवहार है जिसका प्रयोग करके मनुष्य समाज में प्रतिष्ठित बनता है।

    सत्य का अर्थ

    सत्य का अर्थ एक छोटी सी कथा के रूप में समझते हैं। एक समय की बात है जब राजा हरिश्चंद्र ढोल बाजे के साथ कहीं जा रहे थे। उस राह पर स्थित ऋषि विश्वमित्र तप कर रहे थे। ढोल बाजे की ध्वनि से उनका तब भंग हो गया, जिससे ऋषि राजन पर क्रोधित हो गए और तभी राजन ने क्षमा मांगते हुए कहा कि साधु महाराज मुझे यह ज्ञात नहीं था कि आप यहां तब कर रहे हैं मुझे आप जो दंड देंगे वह स्वीकार होगा।

    ऋषि विश्वामित्र ने राजा को उसका राजपाट त्यागने और फिर 1000 स्वर्ण मुद्रा को लाने का दंड दिया। राजा ने सहर्ष उसे स्वीकार किया और अपना राजपाट ऋषि को सौंपकर स्वर्ण मुद्रा इकट्ठा करने के लिए अपनी पत्नी और बच्चों समेत चल पड़े। ऋषि ने राजन से कहा हे राजन आप यह स्वीकार कर ले कि आपने मेरा तप भंग नहीं किया और ना ही मैंने आपको कोई दंड दिया है तब मैं यहां से वापस चला जाऊंगा।

    राजन ने कहा कि मैं प्राण त्याग दूंगा लेकिन सत्य का परित्याग नहीं करूंगा राजा ने दंड के 1000 स्वर्ण मुद्रा चुकाने के लिए अपनी पत्नी बच्चे तथा अपने आप को दास दासी के रूप में बेच दिया लेकिन अपना धर्म अर्थात सत्य का परित्याग नहीं किया।

    ऋषि विश्वामित्र राजा हरिश्चंद्र की सत्य को इस प्रकार निभाने से इतने प्रभावित हुए कि ऋषि विश्वामित्र ने राजन को उनका सारा संपत्ति लौटा दिया और उन्हें प्रणाम कर वहां से चल दिए। इस कथा से यह सिद्ध होता है कि सत्य को सदा व्यवहार में लाने से सफलता अर्थात सम्मान प्राप्त होता है। इसी कारणवश आज जब भी हम सत्य के बारे में बात करते हैं तब मानव मन में राजा हरिश्चंद्र का नाम स्वतः ही आ जाता है।

    सत्य को जो व्यक्ति अपना आता है और कठिन परिस्थितियों में भी नहीं सकता वह व्यक्ति समाज में उच्च पद पर आसीन होता है तथा सभी के लिए प्रेरणा और आकर्षण का केंद्र बनता है। सत्य का सदा पालन करने से राजा हरिश्चंद्र अमर हो गए। आज तक उनकी स्मृतियां याद की जाती है।

    सफलता के लिए सत्य का महत्व

    जीवन में सत्य का बहुत महत्व है। सत्य हमें सदैव सम्मान दिलाता है। हम उन्हीं व्यक्तियों को पसंद करते हैं जो सदा सत्य का अनुसरण करते हैं जो व्यक्ति सत्य का अनुसरण नहीं करता अथवा झूठे और मक्कार लोगों को कोई पसंद नहीं करना चाहता है।  किसी बात पर अदालत में विवाद होने पर भी न्यायाधीश पूछते हैं सत्य क्या है? इस प्रकार हम यह समझते हैं कि सत्य का जीवन में बहुत अधिक महत्व है।

    सत्य के बिना सफलता को पाना लगभग असंभव के समान है। अगर सफलता मिल भी जाए इन सब के बिना तो वह सफलता असफलता से कम नहीं होती हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि सत्य छुपाए नहीं छुपती है  जो लोग झूठ, मक्कारी ,धोखाधड़ी का पक्ष लेते हैं उनकी निंदा सदैव होती है।

    सफलता का मूल मंत्र 

    आपके फैसले ही आपकी जीत की राह तय करते हैं। आपकी जिंदगी किस पथ पर आगे बढ़ेगी यह आपके फैसले पर ही निर्भर करता है। अगर आप अपने निर्णय, क्षमता, योग्यता और संसाधन के अनुरूप लेते हैं तो आप कभी भी गलत नहीं हो सकते अर्थात सफलता की दूसरी  सीढ़ी भी चढ सकते हैं।

    अगर आप अपने निर्णय पर अटल रहते हैं तथा उसका पालन करते हैं तो चाहे कैसी भी परिस्थिति क्यों ना आ जाए तो आपको कोई नहीं रोक सकता सफलता प्राप्त करने से।

    कुछ ऐसे भी बातें हैं जिन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो सफलता के लिए आवश्यक है :-

    1. हमेशा बड़ा सोचे

    मनुष्य को हमेशा बड़ा सोचना चाहिए क्योंकि अगर लक्ष्य छोटा रखेंगे तो छोटी-छोटी खुशी से हम बड़े लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकते हैं। लक्ष्य को संसाधनों, योग्यता तथा क्षमता के अनुरूप ही निश्चित करना चाहिए। अगर हम लक्ष्य को अपनी योग्यता तथा संसाधन के अनुरूप ना रखें तो हमें लक्ष्य की प्राप्ति नहीं हो सकती है जिससे हम निराश भी हो सकते हैं इसलिए लक्ष्य निर्धारित करने समय पूरी एकाग्रता से करनी चाहिए।

    1. एकाग्रता अथवा लगन

     किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए चाहे वह बड़ा हो या छोटा एकाग्रता की अत्यधिक आवश्यकता होती है। एकाग्रता के बिना किसी भी लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया जा सकता। अतः हम यह भी मान सकते हैं कि सफलता प्राप्त करने का एक मूल मंत्र एकाग्रता भी है। 

    कई लोग थोड़ी सी असफलता देख कर परेशान हो जाते हैं फिर गलत कदम उठा कर अपना लक्ष्य ही बदल देते हैं, लेकिन हमें एकाग्र मन से अपने काम प्रति लगन लगानी चाहिए ताकि जो सफलता हम प्राप्त करें। वह हमारे मेहनत और लगन का परीणाम हो। केवल एकाग्र रह कर ही हम अपने सारे सपने सच कर सकते हैं।

    1. सकारात्मकता

     जब हम सकारात्मक सोचते हैं, तो हम लक्ष्य के करीब पहुंचते हैं, जैसे ही हम नकारात्मक विचारों से घिर जाते हैं तो हम अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं। इसलिए हमें हमेशा सफलता प्राप्त करने के लिए सकारात्मक सोच रखनी चाहिए।

    हमें अपने आस पास के नकारात्मकता से भी बचना चाहिए। क्योंकि हम जिस समाज मैं रहते हैं वह हर कोई एक दूसरे को नीचा और मनोबल कमजोर करने की कोशिश करता है। ऐसे मैं सकारात्मक रहना बहुत जरूरी है।  हमेशा सकारात्मक रहने के लिए महापुरुषों की जीवनी पढ़ना उचित साबित होता है जिससे हमें काफी सकारात्मक ऊर्जा मिलती है और हम अपने सफलता को प्राप्त कर सकते हैं।

    1. समय

    जिस प्रकार सफलता प्राप्त करने के लिए एकाग्रता, सोच,लगन जरूरी है उसी प्रकार समय का भी उतना ही महत्व है | विद्वानों ने सदैव कहा है कि समय का सदुपयोग करो दुरुपयोग नहीं क्योंकि जो व्यक्ति समय का दुरुपयोग करता है जो व्यक्ति समय को नष्ट करता है समय आने पर समय ही उस व्यक्ति को नष्ट कर देता है। अतः हमें हमेशा समय की कद्र करनी चाहिए ।समय प्रबंधन सफलता प्राप्त करने का एक मूल मंत्र भी है ।

    1. विश्वास

    जब तक हम अपने निर्णय पर विश्वास रखते हैं तब तक सफलता निश्चित रहती है। ज्योंही हम अपने निर्णय पर विश्वास खो देते हैं तो वहीं हम और सफलता का मूल मंत्र भी नहीं जान पाते हैं। आप खुद का विश्वास बढ़ाने के लिए छोटी-छोटी सफलताओं को प्राप्त कर सकते हैं इससे आपको खुद पर विश्वास बढ़ेगा।

    1. सत्यवादिता

    सत्यवादिता का अर्थ अपने काम के प्रति सत्य निष्ठा से होती है। सत्य की राह पर चलकर जो हमें सफलता प्राप्त होती है चाहे वह छोटी हो या बड़ी उसका महत्व झूठ की राह पर चलकर सफलता प्राप्त करने से कहीं अधिक होती है। सत्य की राह पर चलकर जो सफलता हमें प्राप्त होती है, उसकी प्रशंसा समाज करता है तथा झूठ की राह पर चलकर जो सफलता हमें प्राप्त होती है उसकी प्रशंसा हम स्वयं करते हैं समाज उसकी निंदा करता है ।

    निष्कर्ष :-  अंततः हमें यह ज्ञात होता है कि मनुष्य को सफलता हासिल करने के लिए एकाग्रता ,सोच- विचार ,सकारात्मकता ,समय ,सत्यवादीता ,विश्वास तथा निर्णय इत्यादि चीजों का अनुसरण करना चाहिए तभी हमें सफलता प्राप्त हो सकती है ।