Home निबंध Essay on Dr Rajendra Prasad in Hindi

Essay on Dr Rajendra Prasad in Hindi

डॉ राजेंद्र प्रसाद हमारे देश के राज नेताओं में से एक हैं। महान पुरुषों में दिया जाने वाला नाम एक इनका भी है। हमारे देश के कई सारे महान पुरुषों ने कार्य किए हैं देश को आजादी दिलाने के लिए और बहुत सारे राज नेताओं ने अपनी जान की बलिदान भी दिए है। भारत देश की आजादी की लड़ाई बहुत ही कठिन रही है और इस दौरान हर एक महान पुरुषों की सहायता बहुत ही जरूरी हो गई थी। डॉ राजेंद्र प्रसाद हमारे देश के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में आए थे। राष्ट्रपति बनने के बाद डॉ राजेंद्र प्रसाद (Essay on Dr Rajendra Prasad in Hindi) करीब 10 साल तक हमारे देश के इस कार्यभार को संभालते रहे। डॉ राजेंद्र प्रसाद हमारे देश के लिए बहुत ही बड़े भक्त रहे है जिन्होंने अपना जीवन हमारे देश के लिए न्योछावर कर दिया।

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डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद का जीवन:-

डॉ राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर अट्ठारह सौ चौरासी को हुआ था। इनका जन्म सारण नामक स्थान के जिरादेई गांव में हुआ था। डॉ राजेंद्र प्रसाद जी का बचपन उनके बड़े भाई महेंद्र प्रसाद जी के साथ गुजरा उन्होंने इनका पालन पोषण किया और पढ़ा लिखा कर उन्हें ऊंचे दर तक पहुंचाया। राजेंद्र प्रसाद जी अपनी इमानदारी से पूरी दुनिया में प्रसिद्ध थे, यह एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखते थे। राजेंद्र प्रसाद के पिता का नाम महादेव सहाय और उनकी माता का नाम कमलेश्वरी था। इन्होने एक धार्मिक परिवार में जन्म लिया था।

इन्होंने सबसे पहले हमारे देश के राष्ट्रपति का कार्यभार संभाला। हमारे देश के महान पुरुषों में से एक राजेंद्र प्रसाद जी ने भी हमारी आजादी के आंदोलन में हिस्सा लिया था और गांधीवाद के रास्ते में चलकर इन्होंने देश के लिए अनेक कार्य किए थे।

डॉ राजेंद्र प्रसाद जी की शिक्षा:-

राजेंद्र प्रसाद जी को अक्सर लोग प्यार से राजेंद्र बाबू बुलाया करते थे इनकी शिक्षा पटना के टीके घोष एकेडमी से शुरू हुई थी। जिसके बाद यह कोलकाता के विश्वविद्यालय में वर्ष उन्नीस सौ में एंट्रेंस एग्जाम में सबसे ज्यादा राजेंद्र प्रसाद जी ने अंक लाकर अपना और अपने माता-पिता का नाम रोशन किया था, इसके बाद सभी देश वालों ने उनकी खूब प्रशंसा की थी। सन 1906 में राजेंद्र बाबू ने M.A. की परीक्षा को अच्छे अंक के साथ उतरीन किया था। M.A. की परीक्षा देने के बाद राजेंद्र प्रसाद जी एम एल की परीक्षा दिये| बचपन से लेकर बड़े तक राजेंद्र प्रसाद अपनी शिक्षा में सबसे आगे रहे। राजेंद्र प्रसाद जी के पास योग्यता बहुत ज्यादा थी और हर क्षेत्र में इनका मुकाबला कोई नहीं कर पाता था। पूरे भारत देश में राजेंद्र प्रसाद (Essay on Dr Rajendra Prasad in Hindi) जी का नाम रोशन हो गया था और इनकी शिक्षा से हर एक व्यक्ति जागरूक था। राजेंद्र प्रसाद जी ने अपनी वकालत की पढ़ाई करने के बाद सबसे पहले कोलकाता के हाईकोर्ट में वकालत किया उसके बाद पटना के हाई कोर्ट में वकील का कार्य आरंभ कर दिया। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि राजेंद्र बाबू हरे क्षेत्र में अपना बहुत ही ऊंचा नाम बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ा करते थे।

राजेंद्र बाबू को संस्कृति से प्रेम: –

राजेंद्र प्रसाद जी को अपने धर्म और संस्कृति से बहुत ही प्यार रहा था। अपनी देश की संस्कृति को बचाने के लिए इन्होंने बहुत से कार्य किए। देश की हर एक नागरिक को धर्म और संस्कृति को बनाए रखने के लिए जागरूक किया। धर्म और संस्कृति के लिए राजेंद्र बाबू प्रेरणा का स्रोत बने और उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन अच्छे कार्य और विचार में व्यतीत कर दिया। शांति में जीवन जीने वाले में से राजेंद्र बाबू का भी नाम आता था। राजेंद्र बाबू अपनी संस्कृति से बहुत ही प्रेम करते थे उनका लगाव हमारे भारत देश से बहुत ज्यादा था देशभक्ति (Essay on Dr Rajendra Prasad in Hindi) के नाम पर इन्होंने अपनी सभी कर्तव्य निभाएं। पूरे जीवन काल में इन्होंने अपना नाम देश में बनाए रखा। आज भी हर व्यक्ति इन्हें याद करते हैं।

भारत देश के प्रति आदर:-

राजेंद्र प्रसाद बाबू ने 1906 में विशाल छात्र संघ एवं बिहार छात्र नामक संघ में अपनी अहम भूमिका निभाई थी यह देश के प्रति एक बहुत ही अच्छा शैक्षिक संघ था। शुरू से ही राजेंद्र प्रसाद बाबू देश के प्रति बहुत ही आदर रखते थे भारतीय होने में उन्हें बहुत ही गर्व था। इसके पश्चात राजेंद्र प्रसाद ने अनेक संस्थाओं में अपना योगदान दिया और अपने अर्थशास्त्र के पढ़ाई में अच्छी डिग्री लाकर अपना नाम देश के लिए और भी ज्यादा गौरवशाली बनाया। 1915 में राजेंद्र प्रसाद जी ने लॉ की पढ़ाई में प्रथम ला कर स्वर्ण पदक पाया और भारत देश को इसका शुक्रियादा दिया। अपने सभी गर्व सील कार्य के लिए राजेंद्र प्रसाद जी भारत देशों में कई बार सम्मानित भी किए गए।

राजनैतिक सफर:-

राजेंद्र प्रसाद बाबू ने अपनी वकालत को स्थिर में रखकर गांधी जी के साथ असहयोग आंदोलन में सम्मिलित हो गए यहीं से इनका राजनीतिक सफर शुरू हो गया। इनके मन में बचपन से ही देश के प्रति देशभक्ति की भावना रही थी इसलिए इन्होंने देश के लिए किए जाने वाले हर एक कार्य में हिस्सा लेने से कदम पीछे नहीं हटाया। सबसे पहले राजेंद्र प्रसाद बाबू जी गोपाल कृष्ण गोखले से प्रभावित थे। गोखले सदैव देश के प्रति सभी कार्य करते थे बल्कि यह राजनीति (Essay on Dr Rajendra Prasad in Hindi) का हिस्सा नहीं रहे थे परंतु फिर भी इन्होंने समाज सेवा करने के लिए अपना जीवन निहीत कर दिया था। गोपाल कृष्ण गोखले के पश्चात इनका ध्यानाकर्षण गांधीजी पर गया था। महात्मा गांधी की देशभक्ति देखकर भी इनके अंदर देश प्रेम की भावना जागी थी। जिसके बाद उन्होंने सभी आंदोलन में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया और इनके पूरे जीवन काल में जितना हो सके उन्होंने सभी देश हित कार्यों में हिस्सा लिया।

निष्कर्ष:-

15 अगस्त 1947 में हमारा भारत देश आजाद हुआ था जिसके बाद से हमारे प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु जी को बनाया था और हमारा प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद को बनाया गया। आजादी के बाद से राजेंद्र प्रसाद जी राष्ट्रपति का कार्यभार देश के लिए बहुत ही अच्छे से उठाया। 10 साल तक राजनीतिक कार्य में इन्होंने अपनी अहम भूमिका निभाई। उनका जीवनकाल बहुत ही शांति मय रहा है इन्होंने अपने जीवन में केवल देश का नाम रोशन करने का कार्य किया है।

FAQ:-

1.प्रश्न:- राजेंद्र प्रशाद जी का जन्म कब हुआ था?

उत्तर:-  डॉ राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर 1884 को हुआ था।

2.प्रश्न:- इनके माता पिता का नाम क्या था ?

उत्तर:-   राजेंद्र प्रसाद के पिता का नाम महादेव सहाय और उनकी माता का नाम कमलेश्वरी था।

3.प्रश्न:- डॉक्टर राजेंद्र प्रशाद को किस रूप में याद किया जाता है?

उत्तर:- डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को भारत के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में याद किया जाता है।

4.प्रश्न:- राजेंद्र बाबू ने राष्ट्रपति का कार्यभार कब तक सम्हाला?

उत्तर:- 10 साल तक इन्होंने भारत के राष्ट्रपति का कार्यभार सम्हाला।