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    Paragraph on a Spider Web in Hindi | एक मकड़ी के जाले पर अनुच्छेद हिंदी में

    Paragraph on a Spider Web in Hindi

    Paragraph on a Spider Web in Hindi: मकड़ी एक ऐसा प्राणी है जो 40 करोड़ साल से धरती पर स्थित है। मकड़ी की 10 लाख प्रजातियां पाई जाती है। मकड़ी के पूर्वज बिच्छू हैं। मकड़ी आर्थोपोडा संघ का एक प्राणी है। मकड़ी अपने बनाए हुए जाले के लिए काफी जानी जाती है। मकड़ी का उम्र 5 से 20 साल तक का होता है। इसके जिंदा रहने का एक वर्ल्ड रिकॉर्ड है कि एक मकड़ी 28 साल तक जीवित है।

    हम सभी सोचते हैं कि मकड़ी अपना जाला यानी उसका घर कैसे बनाती है और वह किस तरह से उसे न जाने कितनी मेहनत करके बनाती होगी। तो आज हम इसी के बारे में बात करने वाले हैं कि मकड़ी अपने जाले को बनाने में कितना समय लेती है और किस-किस प्रक्रिया को अपना कर वह अपने जाली को बनाती है।

    मकड़ी का जाला (Spider Web):

    संसार में हर जीव अपने आवास और भोजन की व्यवस्था अपने ही तरीके से करता है लेकिन मकड़ियों द्वारा उनका जाल बनाना काफी रोचक और बेहद कठिन है। मकड़ियां अपने लिए जाल बनाती है क्योंकि छोटे-छोटे कीट पतंग आकर उसमें फंस जाए जिससे वह उन्हें अपना भोजन बना सके। 

    मकड़ी (Paragraph on a Spider Web in Hindi) अपने जाले को इतनी होशियारी से बनाती है कि उसमें छोटे छोटे जीव आकर जब फस जाते हैं तब उन्हें बाहर जाने का रास्ता नहीं मिल पाता और वे उसमें अटक कर रह जाते हैं। मकड़ी अपने जाल को बड़े ही कारीगरी से बुनती है। जब कोई कीट पतंग आकर मकड़ियों के जाले में फंस जाता है तब मकड़ियों के जाले में एक अलग तरह की कंपन होती है जिससे मकड़िया भाप लेती है कि कोई शिकायत उसके सामने है और उसके जाल में फंस चुका है। इस प्रकार मकड़ियां अपने शिकार को जकड़ कर उसे जहर द्वारा घायल कर देती है। 

    मकड़ी अपने शरीर के पीछे वाले हिस्से से अपना जाला बनाती है। दरअसल मकड़ी के पीछे वाले हिस्से में सिल्क ग्लैंड जिसे हम हिंदी में रेशम की ग्रंथियां कहते हैं, वह उपस्थित होता है। इन ग्रंथियों को स्पाइडर सिल्क के नाम से भी जाना जाता है। यह वह ग्रंथियां है, जो रेशम को उत्पन्न करती है।

    सिल्क ग्लैंड का सिल्क कुछ नहीं बल्कि वह सिर्फ एक प्रोटीन होती है, जो मकड़ी के पीछे वाले हिस्से के थोड़ा नीचे तरल पदार्थ के रूप में यानी लिक्विड फॉर्म के रूप में रहता है। बता दें कि यह जो लिक्विड होता है वह चिपचिपा तरल पदार्थ की तरह होता है। 

    जिस समय यह मकड़ी के शरीर में उपस्थित spinneret से लिक्विड फॉर्म में निकलता है उस वक्त वह ऑक्सीजन के संपर्क में आने पर जाला के रूप में प्रकट हो जाता है और जाले का रूप ले लेता है। पर यही मजबूत होकर मकड़ी का जाला बनता है और यह प्लास्टिक के कॉमन पतले रस्सी से कई हजार गुना ताकतवर होता है। 

    कोई भी प्राणी प्राकृतिक रूप से बनाए गए मकड़ी के जाले को स्वयं नहीं बना सकता क्योंकि उसके शरीर में सिल्क ग्लैंड नहीं होता है। यह मकड़ियां अपने जाले में छोटे-छोटे कीट पतंगों को लपेटकर फंसा देती है और शिकार करती है। 

    मकड़ी के जाले के जरिए इसकी ताकत का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है क्योंकि अत्यंत महीन और रेशम जैसे धागों से बनाई गई इसकी जाले एक अनोखी ढंग से तैयार होती है।

    मकड़ी की प्रजातियां (Spider Species):

    मकड़ी अनेक प्रकार की होती है जिसमें राज मकड़ी, जल मकड़ी, जहरीली मकड़ी, कुश्ती मकड़ी आदि शामिल होते हैं। चुंकि मकड़ी का अस्तित्व हमारे धरती पर 40 करोड़ सालों से है, तो जानकारी के अनुसार मकड़ियों की खोज के पश्चात देखा गया कि धरती पर कुल 46 हजार प्रजातियां पाई गई है। सभी प्रजातियों में केवल लगभग आधे जाति की मकड़िया ही ऐसी होती है, जिनका जाला दिखने में बाइक व्हील की तरह लगता है। 

    मकड़ी को अपने घर बनाने के लिए 60 मिनट का समय लगता है। बहुत सारी मकड़ियां ऐसी होती है जो अपना नया घर बनाती है और कुछ मकड़ियां पुराने को ही रिपेयर कर देती है। फिर वह अपने जाले में बैठकर शिकार के आने का इंतजार करती है और छोटे कीट पतंग उनके जाल में फस जाते है। 

    जब मकड़ियों के जाले में 1 दिन बाद चिपचिपाहट खत्म हो जाती है तो वह अपने पीछे के हिस्से से वापस उसे ज्यादा चिपचिपा बना देती है। मकड़ी जिस भाग पर स्वयं बैठती है वह चिपचिपा नहीं होता है जिसके कारण मकड़ी उसमें चिपक नहीं पाती और वह अपने जाल में एक अनुकूल वातावरण महसूस करती है। 

    मकड़ी पर शोध (Research On Spider):

    हनोवर मेडिकल कॉलेज में क्रिस्टीना अलबेली मकड़ियों (Paragraph on a Spider Web in Hindi) पर इतनी रोचक शोध की जा रही है कि उन्हें दूर दूर से लोग देखने के लिए आ रहे हैं। मकड़ी के जाले ऐसे दिखाई पड़ते हैं कि मानो लगता है कि कोई विशाल पेड़ की टहनी लटक रही है। इनका आकार देखने में बहुत ही बड़ा होता है। कुछ मकड़ियां आपस में एक दूसरे के साथ मिलजुल कर रहती हैं पर कुछ मकड़ियों का स्वभाव ऐसा नहीं होता। इनमें से कुछ मकड़ियां जहरीली होती है और यह जितना चाहे कमरे में अपना जाल बिछा सकती है।

    मकड़ी के जाले में मकड़ी का अनुकूलन (Adaptation Of Spider In Spider Webs):

    मकड़ी का जाल इस प्रकार व्यवस्थित होता है कि वह किसी को भी आसानी से कंफ्यूज कर देता है। जिस प्रकार यह मकड़ी का जाल इंसानों की सोच के भी परे होता है वही मकड़ी इन्हें इस तरह से व्यवस्थित करती है कि इसमें आने और जाने के लिए कई तरीके होते हैं। दरअसल मकड़ी के पैर इतनी तैलीय होते हैं कि वह उस जाल में नहीं चिपक पाते और मकड़ी आसानी से आना-जाना कर सकती हैं। 

    मकड़िया 1 साल में लगभग 2000 कीड़े खाती हैं और यह उन्हें अपने जाले से ही शिकार के रूप में प्राप्त होती है। कई मकड़िया तो इतनी ताकतवर होती है कि वह जिन जालों का निर्माण करती है, उसमें बड़े-बड़े पक्षी, चमगादड़ अथवा मेंढक जैसे जीव भी फंस जाते हैं। ऐसी मकड़ियों के जाले अत्यंत मोटे और मजबूत धागे से बने होते हैं। 

    मकड़ी के जाला हटाने का उपाय (Remedy To Remove Spider Web):

    मकड़िया अपने जाले को कई बार घर पर दीवार और छत के कोने में लगा देती है। इसे घर के लुक खराब हो जाते हैं और चारों तरफ जाले दिखाई देने लगते हैं। ऐसे में घर की सफाई करते समय भी काफी परेशानियां होती है। मकड़ी के जाले को हटाने के कई आसान उपाय हैं जो निम्नलिखित है-

    1. मकड़ी के जाले हटाने के लिए टूल का प्रयोग किया जाता है और यदि आपका बजट अच्छा है तो आप बाजार में मिलने वाली होम डस्टिंग किट की मदद से मकड़ी के जाले हटा सकते हैं।
    2. जाल के अंदर मकड़ी के होने से यदि आप उसे हटा नहीं पा रहे हैं तो किसी कागज में उसे लपेट कर जाले को आसानी से फेंक सकते हैं।
    3. पुदीना का तेल और पानी मकड़ियों को मारने के लिए काफी लाभदायक सिद्ध होता है। जिन जगहों पर मकड़ियां छिपी रहती हैं अथवा मकड़ियों के जाले लगे होते हैं वहां पुदीने के तेल को छिड़कने से मकड़ियां भाग जाती हैं।
    4. दो से तीन चम्मच हल्दी के साथ पानी को मिलाकर पेस्ट तैयार करके घर के कोने में लगाएं। इससे मकड़ियां घर से दूर हो जाती है और जाले भी नहीं बनाती।
    5. दालचीनी के पाउडर को रोज (Paragraph on a Spider Web in Hindi) जाले के पास छिड़कने से मकड़ियां उस जगह पर नहीं रहती और इसके तेज खुशबू से काफी दूर चली जाती है।